बुधवार, 28 सितंबर 2011

खुद बदलो बदल डालो दुनिया@प्रभात राय भट्ट

बातें तो युहीं बड़े बड़े सभी करतें हैं
मैं समाज बदल सकता हूँ मैं देश बदल सकता हूँ
यार मैंने मना की तुम सबकुछ बदल सकता है
पर पहले तू खुद को तो बदल के देखा
यथास्थितिबाद के सिधान्त से बहार निकल के तो देखा
स्वाधीनता प्राप्त की डगर पे चल के तो देखा
तू बदल गया तो ये जहाँ बदल जायेगा
नाबिनता की सृजन जहाँ में नजर आएगा
तुझ में वह उर्जाशक्ति है पहचानो अपनेआपको
प्रवाहित करो परिवर्तन की धार
प्रज्वलित करो क्रांति की मुलभुत आधार
अंकुरण करो जन जन की मानसपटल पर
नव संग्राम की युगांतकारी बिचार
प्रष्फुटन करो परिवर्तनशील सिधान्त की सार
तुम खुद लेलो कार्लमार्क्स की अवतार
खुद बदलो और बदल डालो ये भ्रष्ट संसार
तेरे प्रतिभा की प्रयाश से बुझेगी जन जन की प्यास
स्थापित होगी अमन चैन सुख समृद्धि शांति
खुद बदलो बदल डालो दुनिया यही है नव क्रांति

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट




शनिवार, 17 सितंबर 2011

हम परदेशी@प्रभात राय भट्ट

हम परदेशी  परदेश में रहैतछी
की कहू कोना कोना  जिबैतछी
माए बाबूजीक बड याद आबैय
हमर सूनरी कनियाँ मोन परैय
माए केर ममता ल्या मोन हहरैय
बाबूजीक स्नेहदुलार  ल्या जी तर्सैय
गामक जिनगी मोन परैय



हम परदेशी  परदेश में रहैतछी
की कहू कोना कोना  जिबैतछी
लाल भैया कें डाटफटकार
बडकी भौजीक प्यार दुलार
हमर कनियाक मीठ मीठ बोली
पाबैन त्यौहार दशहरा होली
ई सभटा हमरा  मोन परैय

हम परदेशी  परदेश में रहैतछी
की कहू कोना कोना  जिबैतछी
बाट तकैत हेती बोहीन हाथमें लेने राखी
पुछैत हेती भैयाके आबैमे कतेक दिन बांकी
माए कहैत हेती सुनु यए दुल्हिन
भोरे भोर चनवार पैर कुचरैय कौआ
परदेश छोड़ी गाम अबैय हमर बौआ
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

मैथिलि हमर भाषा @प्रभात राय भट्ट

जन्म हमर मिथिलामे मैथिलि हमर भाषा -२
मिथिलाक स्वाभिमान बढ़ाएब करब नै ककरो आशा -2
बसु अमेरिका अफ्रीका चाहे लन्दन या जापान
बाजल करी मैथिलि भाषा बढ़त अहंक शान
मृदुलभाशी मिथिलावासी ठोर पैर सैद्खन मुश्कान
सदभाव सद्प्रेम अछि अप्पन मिथिलाक पहिचान

जन्म हमर मिथिलामे मैथिलि हमर भाषा -२
मिथिलाक स्वाभिमान बढ़ाएब करब नै ककरो आशा -2
र्मभुमिक रंगमंच पैर मिथिलाक झंडा फहराऐब
सुख समृद्धि शांतिक प्रगतिशील मिथिला बनाऐब
सफलता केर  शिखर चूमी मिथिलाक शान बढ़ाऐब
आमूल परिवर्तन के गीत झूमी झूमी हम गाएब

जन्म हमर मिथिलामे मैथिलि हमर भाषा -२
मिथिलाक स्वाभिमान बढ़ाएब करब नै ककरो आशा -2
बेर बेर मिथिला पैर रचल जईय शाषक के षड़यंत्र
बसुधा के हृदय मिथिला पैर शाषण अछि परतंत्र
मिथिलाक मैथिल अंगीकार करी क्रांतिक मूलमंत्र
बनाबू अपन भाषा भेष शाशित मिथिला राज्य स्वतंत्र
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

जेहन करनी तेहन भरनी @प्रभात राय भट्ट

माए बाबु केर बुझलक बैरी
घरवाली सं करैय खूब प्रीत
देखू दुनियांकें अजगुत रीत
बेर बेर कनियाक मुह निहारैय
कहि कहि कें ललमुनिया 
माए बाप काहि: कटैय
बेट्टा  बजाबैय हरमुनिया 
महलक रानी बनल अछि पुतोहू
चाकर बनल अछि  बेट्टा 
माए बाप के झोपरी में पठौलक
देलक टुटल थारी फूटल लोटा
बरखा में देह पैर टप टप पानी चुबैय 
थर थर कापी देह सिहरैय
बेट्टा पुतहु शुख शयल  करैय 
जरल परल जुठकुथ
माए बाबुके खुआबैय  
मिट मछली खुवा मलाई
घरवाली सभटा नेराबैय
तरैस तरैस माए बाबु
सिधाएरगेलाह: परलोक
कहैय बेट्टा काल कंटक टरल
मोनमें नै कनियो शोक
बौआ  लाबू एकटा सलाई
झोपरी में आब के रहत
तें दैछी आब आइग लगाई
पोता के इ सभटा देख
मोनमें उठल उद्वेग
करैय बाबा दाई संग
बीतल घटनाक खेद
अहां  किये केलों
बाबा दाई संग दुरब्यबहार
अहां केहन कपूत भेलौं
दैतछी हम धिकार.............
आब हमरो किछु करैदीय 
इ टुटल झोपरी रहैदीय 
बाबु अहां बृद्ध हयब जखने 
अहू के उठाक झोपरी में
धदेव हम तखने 
रहैदीय इ टुटल थारी फूटल लोटा
अहिं के नक्सा पैर हमहूँ  चलब
किये त हम छि अहंक बेट्टा
जेहन करनी तेहन भरनी
याह अछि दुनियाक रीत
अपना संग दुरब्यबहार देख
किये लगैय आब तित ?????????
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट




  

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

चुनमुन चुनमुन करैत चिड़िया@प्रभात राय भट्ट

चुनमुन चुनमुन करैत चिड़िया 
बैसल अपना खोतामे
ऊपर सं मूत्र प्रवाह केलक
हमर जल भरल लोटामे
तामस सं हम मातल
आइग लगेलौं खोतामें
फुर सं चिड़ैया उड़ीगेल
आइग लागल हमरा कोठामें
चीं चीं करैत चिड़ैया
खोता जरैत देख ब्याकुल भेल
लहलहैत आइगमें चिड़ैयाक
 बच्चा जैरक मईरगेल
मनाबरूपी दानव तोई
केले किये एहन दुष्कर्म
रिस रागक वशीभूत मनुख
कतय गमैले दया धर्म
हमरा खोतामे आइग लगेले
अपनो घर जरैले
तू बुझैत छे इ कोठा तोहर
हम बुझैत छि इ खोता हमर
ईर्ष्या  दोष  लोभ  क्रोध  मोह 
त्याग  देख  कने दूरदृष्टि
मुदा नै किछ तोहर नै हमर
इ थिक  ईस्वरक श्रृष्टि 
खाली  हाथ  येले  जगमे  
खाली  हाथ तोई जएबे
कर्निक धरनी मालिक कें
दरवारमे तोई पएबे
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट