भेजब कमाके धन रुपैया मीठमीठ सनेश,
जग केर रित सजनी आब अहाँ जानु,
जिनगीके चौबटिया पर येना नए कानु प्रभात राय भट्ट
प्रीत स जौं चलैत जिनगी त पेट किया जरैत,
अन्न विन दुनियां में लोग किया मरैत,
अहाँ विन सजनी हम जिव नए सकैत छी,
मुदा भूखे जौ पेट जरत त प्रीतो नए सुहाय्त,
गरीव भक जन्म लेलौ अई पत्थर के संसार में,
जिनगीक नाव अटकल रहिगेल मजधार में,
हम नाव बनब अहाँ पतवार बनू,संग संग चलू,
हम नवका खोज के राही,अहाँ राय दैत चलू ,
दुःख सुख केर जीवन साथी अपन साथ दिय,
जिनगीक यात्रामें जौं लरखराई त हिमतके हाथदिय,
जीवन के कटुसत्य सजनी आब अहाँ मानु,
जिनगी केर चौबटिया पर येना नए कानु,
लड़ दिय हमरा जिनगी स चलदिय कर्मपथ पर,
गन्तव्य स्थान जरुर मिलत चलू दुनुगोटा धर्मपथ पर,
रचनाकार:प्रभात राय भट्ट
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