मंगलवार, 30 अगस्त 2011

नया प्र.म.ज्यू@प्रभात राय भट्ट

हे नया नेपाल का
नया प्र.म.ज्यू
पुराना प्र.म.हरु अघाए
खाएर टनै घ्यू
अब बाँकी छ हाम्रो देशमा
अलिकता त्यूँन
आशा छ यसैमा तपाई
अघाऊन सकून
यातिले तृष्णा मेटियें न भने
हाम्रो आलो रगत छदैछ
बाघ रूपी नेताहरु का लागि
नेपाली जनता बाख्रा बनेकैछ
अब लुकी छिपी
शिकार न गर्नुस
हाम्रो घांटी मै
दांत गाड़ी वार गर्नुस
हामी तपाईको
आहार बन्न तयार छु
हाम्रो निमंत्रन्ना
स्वीकार गर्नुस
आलो रगत संगै मासु का
चोकटा पनि तान्नुस
तपाई को सेवा गर्नु
हाम्रो परम कर्तव्य हो
यति गरिएंन भने यो नर्क बाट
मुक्ति कसरी पाईन्छ
तपाईलाई त सत्ता
शासन कुर्सी चाहिन्छ
हामीलाई त केवल
संबिधान चाहिन्छ
खुवा मलाई मिठाई
ना ना थरिका ब्यंजन होइन
दुई छाक भोक टार्ने
साधन चाहिन्छ
ठूला ठूला गगन चूमी
महल होइन
खर पात माटो
ढुंगा काठ बांस को
झोपरिमा शांति र
मिठो निन्द्रा चाहिन्छ
आमूल परिवर्तनको नाममा
हमरा वीर सपूत हरु
चढ़े वलिदान
र पनि हामी
पाऊन सकेनौ
सार्वभौमसत्ता को 
नया संविधान
संविधान पाऊन त 
गार्हो भयो भयो 
भूखा निमुखा गरीबको
जीवन पनि सार्हो भयो
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट









शनिवार, 27 अगस्त 2011

धोती कुरता गम्छाको लोकप्रियता @प्रभात राय भट्ट

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  • धोती कुरता गम्छाको लोकप्रियता !!!
मानव सभ्यताको संग संगै भारत वर्षमा जिउ ढाकने पहिरन को पहिलो पोशाक को रुपमा धोती कुरता
र गमछा को उत्थान भयो र यो पोशाक को दक्षिन एसिया मा राम्रो लोकप्रियता स्थापित भयो यो पोशाकले आफनो विशिस्ट विशेषताहरु बोकेका छन लगाउन सजिलो हुने जिउमा खुकुलो हुने कुनै पनि
शारीरिक परिश्रम गर्दा अप्ठ्यरो न हुने अर्थात आरामदाई पोशाक को रुपमा मानिन्छ साथै हिन्दुहरुको लागि यो अपरिहार्य पोशाक हो यसले हाम्रो संस्कृतिको झलक पनि दिन्छ धोती कुरता फाग र गम्छाले  सजिएको भेषमा विश्व सामु हाम्रो परिचय दिराख्नुपर्ने आवश्यकता पर्दैन हाम्रो पहिरन हाम्रो पोशाकले नै हाम्रो परिचय झलकाएको हुन्छ !यो  एउटा पोशाक मात्र न भएर हाम्रो अमूल्य संस्कृति को एउटा गहना हो ! यस माथि कसैले हस्तछेप गर्न खोज्यो भने हामी निरीह भएर बस्न सक्दैनौ !
                यो एउटा बड़ो आश्चर्यजनक कुरो हो मान्छे बिकसित हुदैमा आफ्नो संस्कृति लाई नै धरापमा पारिदिनु कहाको नियति हो ?  ज्ञातव्य गराउन चाहन्छु हमरा नेपाली दाजू भाई बुद्धजीवी र अग्रज हरु लाइ नेपालका आदिवासी र मंगोलियन संस्कृति बोकेका हमरा नेपालीहरु बाहेक सम्पूर्ण नेपाली नागरिक बाहुन छेत्री मधेसी मुस्लिम हरुको उद्गम स्थल सिन्धुतट हुदै गंगा तट्को आर्य समाज बाट यात्रा गर्दै नेपालको पहाड़ी भेग र मधेशको जंगली पर्यावरण क्षेत्र सम्म आइपुग्यो र स्थाई बसोबासको भूमि स्थापित गरियो ! हो हामी त्यही भारतवर्ष को संस्कृति बोकेर आयौ, हो त्यही को पहिरन धोती कुरता गमछा आज पनि प्रतेक नेपालीको घर घरमा बिधमान  छन यसलाई नकारन सकिदैन चाहे
मधेसी  होस की पहाड़े ! पहाड़े बुद्धजीवी हरु संग एउटा चाख्लाग्दो प्रश्न गर्न मन लाग्यो----------
धोती लगाउने मधेसी हरु लाई हेप्हा दृष्टी ले हेरिन्छ्न र उपहास को पात्र पनि  बनाईन्छ्न भने पहाड़े बाहुन हरु त्यही धोती लगाएर शुभ कार्य यज्ञो यज्ञादि पूजा प्रतिष्ठान वर्तवर्धन बिहे श्राध्य जस्तो सुभ कार्यहरू किन गर्छन ??? हो यसको उत्तर सजिलो छ यही नै तपाईको संस्कृति हो.........धोती कुरता नै तपाईको पोशाक हो  यो धरातलीय सत्य लाई नकारन मिल्दैन ! तसर्थ मेरो एउटा विनम्र आग्रह छ तपाईहरुको माझ मा आफ्नो पुर्वजका पहिरन धोती लाई हेला घृणा र उपहास को साटो मर्यादित ढंगले नेपालमा प्रतिष्ठित गर्नु तपाई हाम्रो परम कर्तव्य हो !
              आजको आधुनिक युगमा धेरै फेस्नेबुल मोडल मा डिजाइन गरिएका लुगाहरू आयो तर धोती कुरता का स्थान कसैले लीनसकेन धोती को लोकप्रियता मा कुनै कमी आएको छैन नेपाल भारत श्रीलंका बंगलादेश पाकिस्तान लगायत बिभिन्न देशहरुमा आफ्नो अस्तित्व कायम राखेकै छन ! धोती रत श्रीलंका र बंगलादेश का राष्ट्रिय पोशाक पनि हो ,संस्कृति परिवर्धन तथा पुरातत्व विभागले यस माथि विचार पुर्याउने हो भने नेपालको राष्ट्रीय पोशाक धोती कुरता गमछा बाहेक अरु कुनै बिकल्प छैन  !!!
                  by   प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

गरीबक जिनगी भेल पहार@प्रभात राय भट्ट

गरीबक जिनगी भेल पहार
दुनिया सगरो लगैया अन्हार -- २

भूखल पेट जेकर टूटल घरदुवार
वर्षा में भीत गिरल हवा उरौलक चनवार
फाटल अंगा झलकैया अंग उघार
सर्दी सं थर थर कापिं बहैय पूर्वाबयार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2

दिन दू;खी पैर हुकुम करैया
नेता आर सरकार
गरीबक बच्चा कोना जिबैय
केकरो नै कुनु दरकार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2

बड़का माछ छोटका माछके
बनौलक अपन  आहार 
धनवान बनल अछि शिकारी
निर्धन के करेय शिकार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2

अन्न अन्न लय जी तर्सैया
भेटे नै किछु आहार
के बुझत मर्म गरीबक
साहू महाजन नै दैय उधार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2

माए बाबु रोग सं ग्रसित
कोना करी हुनक उपचार 
तंग आबिगेलहूँ हम
देख इ दुनियाक व्यवहार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2


रचनाकार:- प्रभात राय भट्ट




गुरुवार, 25 अगस्त 2011

दूर जाऊ यौ दीवाना@प्रभात राय भट्ट


हम अहांक प्रेम दीवाना
अहिं सं प्रीत करैत छी
हमरा जुनी बुझु आन
अहिं छी हमर जान
कहैछी बात गोरी हम धर्म इमान सं
प्रेम करैछी अहां सं हम दिलोजान सं

दूर जाऊ यौ दीवाना
हमरा लग नै आबू
खोजू दोसैर ठिकाना
हमरा नै बह्काबू
बात हमर मानु  यौ करू नै अहां नादानी  
भैया हमर मोन पाडी देता अहांक नानी 

जयपुर सं लहँगा लेलौं
वनारस सं वनारसी साड़ी
जगमग करत रूपक ज्योति
देव अंग अंग हम हिरामोती
भेलू हम दीवाना गोरी देख अहांक रूपरंग 
मोन होइय अहांक हाथ पकरी चली संग

अटरपटर अहां येना किये बजैत छी
लेफ्ट राइट आगू पछु किये करैत छी
हमरा नै सिखाबू अहां प्रेमक परिभाषा
हम जनैतछी अहांक मोनक अभिलाषा
नै चाही हमरा हिरामोती आर अहांक लहँगा साड़ी
बापक प्यारी म्याके दुलारी हम थिक मिथिलाक  नारी

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 22 अगस्त 2011

मैथिल करू अपन मात्रिभुमिक रक्षा

जागु जागु यौ मैथिल युवा जागु
सुनु मिथिला माएक विह्वल पुकार
सोनित सं भिजल माएक आँचर
छाती पैर हुनक चलल हरक फार
सुनु हृदय विदारक माएक चीत्कार
क्रूर शाषक  रहे मिथिलाक खतरा
ब्रिटिश केलक मिथिलाक चिर दू कतरा
बनौलक त्रिपक्षय सुगौली संधिक पत्रा
नेपालमें पईरगेल आधा मिथिलाक टुक्रा
बिहार नेपालमे मिथिला भेल अछि विभक्त
जागु जागु यौ मैथिल मिथिला माएक भक्त
कोना खेलब यौ मैथिल मिथिलाक कोरामें 
माएक आँचर डुबल अछि नोरक अश्रुधारामें
बिहार में मैथिलके देख्बैय बिहारी लाठी
नेपालमे देखाबैय मैथिलके पहाड़ी खोर्नाठी
केहन इ दुर्भाग्य बनल छि भाई भाई अनचिन्हार 
लहू सं लतपत भेल अछि मिथिलाक मुहार
१९१६ के सन्धिमें मिथिला बाँटल गेल
आधा मिथिला नेपालमे लीज पैर चैलगेल
जनकपुरधाम अछि नेपालक अंग तोडू इ भ्रम
२०१६ में भरहल अछि सन्धिक समझौता ख़त्म 
जागु जागु मैथिल करू अपन मात्रिभुमिक रक्षा
सब करी एक मिथिला एक प्रदेशक प्रतीक्षा
जय मिथिला जय मैथिल ///////////////////////

रचनाकार--अप्पू मिथिला









शनिवार, 20 अगस्त 2011

चलैतछी डगैर पैर@प्रभात राय भट्ट

चलैतछी डगैर पैर शुद्ध मन वचन कर्म सं
गबैतछी गीत हम अपन ईमान धर्म सं
वैदेहीक जन्मभूमि  राजर्षि जनक के गाम 
मिथिलाक हम  वासी वास हमर जनकपुरधाम
जग में सुन्दर अछि इ नाम जय जय जय मिथिलाधाम

मिथिलाक जन जन मैथिल मथिली हमर भाषा
पुनह पुनह जन्म ली मिथिलेमें इ हमर अभिलाषा
उत्तर हिमगिरी हिमालय दक्षिण पावन पतित गंगा
कोशी गंडक  जनकपुर  चाहे   बसु दरभंगा  
इ समस्त भूमि अछि मिथिला जय जय जय मिथिलाधाम

दया धर्म हृदय में राखी मिथिलाक जन जन मैथिल
सौहार्द्य वातावरण सृजन करी मिथिलाक जन जन मैथिल
जातपातक भेदभाव सं दूर रही मिथिलाक मैथिल
हिन्दू करैय मुस्लिमके सलाम मुस्लिम  हिन्दुकें प्रणाम
डोम घर दहिचुरा खेलैथ पाहून राम जय जय जय मिथिलाधाम

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट





शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

परदेश छोईड चलू@प्रभात राय भट्ट

परदेश छोईड चलू अपन गाम यौ मीता
सभ भाईकें बोलाबैय अपन बोहीन सीता
घुमु अमेरिका लन्दन चाहे रूस जापान यौ 
भेटत नै जगमे यी सुन्दर मिथिलाधाम यौ
स्वर्ग सं सुन्दर अछि अपने जनकपुर नगरिया
चले चलू मीता राजा जनक केर दुवरिया

उर्वर्भूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ
गम गम गम्कैय खेत में बासमती धान
सगरो भेटैय माछ मखान आर पान यौ
गाछ गाछ पैर झुलैय मालदह आम
चले चल मीता बोहीन सीताक गाम यौ 
जगमें महान हमर मिथिलाधाम यौ

परदेश छोइड चलू अपन गाम यौ मीता
सभ भाई के बोलाबैय अपन बोहीन सीता
पाहून हमर मर्यादा पुरोषोतम राम यौ
विद्यापति वाचस्पति मिथिलाक शान यौ
मुर्ख बनैय एकही राईतमें ईठाम विद्वान यौ
कालिदास हमर भेलाह समूचा जगमे महान यौ

चले चल छोइड सौदी कतार दुबई कुबेत रे
श्रम सं सीचब मीता अपने बारी आर खेत रे 
रंगविरंगक साग सब्जी उब्जत खईब भईर पेट रे
हिया जुडैतो माए बाबु बोहीन भौजीक स्नेह रे
चले चल मीता अपन बोहीन सीताक गाम रे
जगमे महान हमर अपने मिथिलाधाम रे

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट




गुरुवार, 18 अगस्त 2011

हे मधेश माता@प्रभात राय भट्ट

हे मधेश माता
हमारे भाग्यविधाता  
प्रकृति की तू हैं सुन्दरता
मैं तेरा ही गुण गाऊ
तेरी अनमोल मिटटी की
चन्दन ललाट  लगाऊ
कोशी कमला  बलान की
जल हैं अमृत समान
हे मधेश माता
तुझमें हैं हमरा प्राण
हिमशिखर की गोदमें
मां है तू विराजमान
वाग्मती नारायणी गंडक की
अविरल जलधारा
हमे लगता है प्यारा
सेती महाकाली की बात अनोखा  
जैसे हो झरनों की  झरोखा
मां तेरी हैं उर्वरभूमि
अन्न धनं की क्या बात करें
भगवान बुद्ध की
जन्म तेरी ही गोदमें
शक्तिस्वरूपा सीता
अवतरित हुए तेरे  ही खेत में
प्रकृति की तू हैं अनमोल रचना
अंग अंग  में शोभित हैं
मनोरम प्रकृति
विराट संस्कृति की गहना
हीरे मोती से भरे हैं तेरी खजाना
मां तुम्हे टुक्रे टुक्रे करनेकी
बन रही है प्लान
तेरी अस्तित्व की
होने जारही हैं अवसान
हम जान करेंगे कुर्वान
पर तुम्हे हर हालमे
है हमे बचाना 
भला मां से बेट्टा को
कोई क्या जुदा कर पायेगा
मेरे रग रग में बहती हैं मां
तेरी मिटटी की खून
उस खून को
हम देंगे वलिदान
पर होने न देंगे 
हम  तेरी अपमान
दुश्मनो की छाती पर
हम करेंगे वार
मधेशियोंकी हाथ हाथ में
चमके गी तलवार
हम लेके रहेंगे अपनी
मातृभूमि की अधिकार 
सावधान हो जाओ मधेश को
टुक्रे टुक्रे करनेवाले सरकार
हम  ओ योद्धा हैं जो 
डूबते कश्ती को
तूफान से निकाल लातें हैं 
हमे मत समझो लाचार
समग्र मधेश एक परदेश
यह है हमरा अधिकार
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट











बुधवार, 17 अगस्त 2011

घुईर आऊ गाम यौ@प्रभात राय भट्ट

बौआ हमर नुनु  घुईर  आऊ गाम यौ
दिन राईत हम राटैछी अहिक नाम यौ
माए कें बिसरी बौआ गेलें तें प्रदेश
ममता केर देलें बौआ वियोगक सनेश

बौआ हमर नुनु  घुईर  आऊ गाम यौ
अहू ठाम भेटै छै रोजगार आर काम यौ
आनक चाकर बनल छोडू करू अपन देशक सेवा
सुख समृधि शांति भेटत आर भेटत निक निक मेवा

बौआ हमर नुनु घुईर आऊ गाम यौ
जगमे कहा भेटत एहन सुन्दर मिथिलाधाम यौ
मातृभूमि छोईड़ गेलें बौआ हमर कमौआ
माएक ममाताकें आंच लगा कतयेक कमेबे ढौआ

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


हम मधेसी हमर मधेश@प्रभात राय भट्ट

मेची सं महाकाली
चुरेभावर सं तराई
ई अछि हमर मधेश माई
हिन्दू मुस्लिम थारू
हम सभ छि भाई भाई
हिन्दुकें प्रणाम हमर मुस्लिमकें सलाम २ 

हमरा सभक एक मधेश माई
भगवान बुद्धक जन्मभूमि
बिधयापतिक कर्मभूमि
जनकदुलारी जानकी
जन्म लेलैथ अहिठाम
हिन्दूके प्रणाम हमर मुस्लिमके सलाम २

हम मधेसी हमर मधेश
हमरा चाही एक मधेश एक प्रदेश
अपन भाषा अपन भेष
कंचनपुर बसु या जनकपुर
चाहे लहान या ईलाम
हिन्दुकें प्रणाम हमर मुस्लिमकें सलाम २ 

आऊ भाई मिल क स्वतंत्रताक गीत गाऊ
कदम पैर कदम वीरकें भांति आगू बढ़ाऊ
परतंत्र मधेश केर स्वतंत्र मधेश बनाऊ
मधेश मुक्ति केर उत्सव सैद्खन मनाऊ
हरेक रंगमंच पैर मधेशक झंडा फहराऊ
हिन्दुकें  प्रणाम हमर मुस्लिमकें सलाम २

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

रक्षाबंधन@प्रभात राय भट्ट

जगमें अनमोल अछि भाई बोहिनक प्यार
रक्षाबंधन अछि भाई बोहिनक बड़का त्यौहार
जुग जुग जीवु रन बन सं जीतक आबू
सुख समृधि शांति भैया अबिरल अहां पाबू

जगमें अनमोल अछि भाई बोहिनक प्यार
लौनेछी बोहिन अहांलेल रक्षाबंधनक उपहार  
भेटत कतय बोहिन सन निश्च्छल स्नेहक अनुराग
बिचरण करय जगमें बोहिनक निस्वार्थ प्रेमक प्राग

जगमें अनमोल अछि भाई बोहिनक प्यार भैया
सैद्खन पावि हम अहींक प्रगाढ़ प्रेमक दुलार भैया
मुह मिठाई  माथ फाग सोभैय ललाट पैर चन्दन 
बिसरब  नै बोहिन  केर भैया बन्हैछी रक्षाबंधन 


रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 8 अगस्त 2011

बम बम महादेव@प्रभात राय भट्ट

बोलू यौ भैया बोल बम
बोलू ए बहिना बोल बम
मन सं बोलू बोल बम
तन सं बोलू बोल बम
सैद्खन बोलू बोल बम
बम बम महादेव बम बम बम २

बाबा रहैय भुत पिशाचक संग
बजैय डमरू आर मृदंग
पिबैय घोईर घोईर भंग
रहैय बाबा सैद्खन मतंग
नचैय भुत बैतालक संग
बम बम महादेव बम बम बम  २

गलामें बाबा केर सर्पक हार
छोडैय नाग फुफकार 
खोलू न बैद्नाथ अपन केबार 
भक्त आएल अहांक द्वार
करू न  दानी हमरो उधार
बम बम महादेव बम बम बम २

सभक नाथ बाबा पशुपतिनाथ
हमरा केने छि किये अनाथ
कल्पी कल्पी विनती करैछी जोड़ी हाथ
दर्शन दिय मोर दुखियाके हे जलेस्वरनाथ
शरणमें आएल छि अहिंके हे कप्लेस्वरनाथ
बम बम महादेव बम बम बम २

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

हम नै ज्याब आब मेला अकेला@प्रभात राय भट्ट

यौ  पिया हम नै ज्याब आब मेला अकेला
मेलामें देखलौं पिया बड बड अजगुत खेला
आदमी पैर आदमी रहे ठेलमठेल
बिचमें छौडा सभ करैत  धुरमखेल
यौ पिया हम नै ज्याब आब मेला अकेला २

दरुपिबा सभ केलक बड़ा हुलदंगा
केलक हमरा छेड़खानी लुचालाफंगा
कियो मारैय टिहकारी कियो मारैय पिहकारी
मटकी माईर माईर बोलाबे हमरा छौडाछेबारी
यौ पिया हम नै ज्याब आब मेला अकेला २

प्रेमी मग्न भेल गाबैत रहे पिया मल्हार
चोरबा लक भागल ओकर गिरमल्हार
कान ककरो चिरल नाक रहे फारल
चाई चंडाल गहना लक सभटा भागल
यौ पिया हम नै ज्याब आब मेला अकेला २

गंजा भांग पिने बुढ्बो अपने मोन मतंग
बड बड लीला भेल कनिया बहुरियाक संग
छौडा सभ केलक पिया हमरो बड तंग
आँखी सं देख्लौ पिया ई सभटा खेला
यौ पिया हम नै ज्याब आब मेला अकेला
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


सोमवार, 1 अगस्त 2011

हम बजैतछि मैथिलि@प्रभात राय भट्ट

माथमें किछु घुसए नै
बात किछु बुझय नै
मुदा झुठमुठमें
या या यप यप करैत जाईछी
हम बजैतछि मैथिलि
अहां इंग्लिश किये बतियईतछि
मिथिला अछि एकटा
सुन्दर दुलहिन
मथिली भाषा अछि
एकर माथक बिंदी
हम बजैतछि मैथिलि 
अहां बजैछी किये हिंदी
माएक बोली अहां गेलौं बिसरी
आनक भाषा  लगैय मिसरी
अहां भेलौं केहन परचट
आनक भाषा बजैतछी फटाफट
हम बजैतछी मैथिलि
अहां नेपाली किये बतियाईत्छी
माएक बोली तित लगैय
आनक भाषा मीठ लगैय
मिथिलाक जन जन छि मैथिल 
भारत बसु चाहे नेपालमें रही
सैद्खन अपन माएक बोली 
मैथिलि भाषाक समान करी  
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट