मंगलवार, 17 जुलाई 2012

साउदीमा बुद्धराम यादव को उद्धार@प्रभात राय भट्ट

साउदीमा बुद्धराम यादव को उद्धार 
कपिलवस्तु जिल्ला निवासी वर्ष २४ को बुद्धराम यादव विगत २० महिना देखि साउदी अरब मा एउटा मालिक को घर मा ईमानदारीपूर्वक आफ्नो काम कर्तव्य को निर्वाह गर्दै आईरहेको थियो ! न्यूनतम तलब मा आफ्नो श्रम बेचन बाध्य भएको बुद्धरामले महिना मरी सकदा पनि तलब नपाउने भयेपछि निरास मात्रै हैन कष्टकर जीवन को सुरुवात भैसकेको भान हुन्थाल्यो !
                               मालिक ले यो महिना तलब दिन्छ की भनेर आस गरेको बुद्धराम १६ महिना सम्म आफ्नो खून पसीना बगाएर कमाएको तलब कहिले पनि थापना पाएँन बेचारा बुद्धरामले तलब मागदा उल्टी सास्ती भोग्नु पर्यो !बुद्धराम लाइ साउदी को रियाध शहर बाट २०० की.मी.टाढा को मरुभूमि मा बाख्रा  चराउने काम मा लगाई दियो त्यहाँ बस्न को लागी न त घर थियो न त खान पिन को कुनै सामग्रिः
                               अर्को तरफ प्रचंड गर्मी मानौ की आगो को राप त्यस्तो ठाऊ मा बुद्धराम न मरनु न बाच्नु को अबस्थामा आई सक्यो मानौ जीवन र मृत्यु बिच मलयुद्ध चल्दै छ जून युद्ध मा बुद्धराम विजय प्राप्त गर्न अनेक उपाय गरेका छन बालुआ मा पानि हालेर अर्थात जमीन चिस्याएर त्यही बालुआ मा सुतेर आफ्नो प्राण को रक्षा गर्थ्यो बेला बख्त कपिल ले बुद्धराम लाई कुटपिट गरी शारीरिक यातना पनि दिन्थ्यो !यो घटना को खबर नेपाल राजदुतावास समक्ष पुग्यो तर दूतावास यो घटना को पीड़ित लाई उद्धार गर्न सकेन अंत तह यो घटना को खबर साउदी मा नव गठित संस्था मिथिला एकता समाज लाई जानकारी भयो संस्था को अध्यक्ष रुकेश कुमार शाह पीड़ित संग सम्बंधित निकाय हरु संग भेटी बुद्धराम को उद्धार कार्य मा जुटेको छ हल बुद्धराम मिथिला एकता समाज को निगरानी मा छ !

रविवार, 15 जुलाई 2012

भजनावली -2 प्रभात राय भट्ट

भजनावली -2

बाबा अहाँ सन कियो नै जग में महान
बाबा जन जन करैय अहिं केर गुणगान-२ मुखड़ा

अहिं छि दिन दुखी के दुःख हर्ता
सगरो जग केर पालन कर्ता
सृष्टि के बचेलौं करी कय विषपान
बाबा अहाँ सन कियो नै जग में महान
बाबा जन जन करैय अहिं केर गुणगान-२

भुत बैतालक अहाँ संग रहैत छि
घोरी घोरी कय अहाँ भंग पिबैत छि
भक्त के देलौं अन्न धन दान
बाबा अहाँ सन कियो नै जग में महान
बाबा जन जन करैय अहिं केर गुणगान-२ 

बाबा गला में पेन्हई छि सर्पक हार
बिकार वास्तु पर अहंक परम उपकार
हर जिव जगत अहिं केर संतान
बाबा अहाँ सन कियो नै जग में महान
बाबा जन जन करैय अहिं केर गुणगान-२

भोलेदानी अहाँ छि बड निराला
गला में सोभैय रुद्राक्षक माला
जटा पर चमक चमक च्म्कैय चान
बाबा अहाँ सन कियो नै जग में महान
बाबा जन जन करैय अहिं केर गुणगान-२

अहाँ करैछी बशहाबरद के सबारी
भोजन में भांग धतुर फलहारी
भष्म लगा बैसल छि समसान
बाबा अहाँ सन कियो नै जग में महान
बाबा जन जन करैय अहिं केर गुणगान-२

रचनाकार-प्रभात राय भट्ट






















































































































































































































































































































































































































































































































































गुरुवार, 12 जुलाई 2012

गजल-६२

गजल-६२
अहाँ सं कतेक प्रेम अछि हमरा हम बताऊ कोना
करेज अप्पन चिर सजनी प्रेम हम देखाऊ कोना

अहाँ विनु गोरी करेज हमर कराहि रहल अछि
कोना कोना हम रहैत छि ब्यथा सभटा सुनाऊ कोना

नीन नै अबैय गोरी स्वप्न में हम अहिं के देखैत छि
अहाँ केर सुन्दर छवी नयन सं हम हटाऊ कोना

अहाँक स्नेह मोन पडैय जागी जागी राईत बितैय
अहाँक प्रेम में भेल बताह दिल केर मनाऊ कोना

बड मुश्किल सं बितैय सजनी हमर राईत दिन
साँस साँस में अहिं छि अहाँक विनु दिल लगाऊ कोना

वर्ण-२०
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 10 जुलाई 2012

गजल-६१@प्रभात राय भट्ट

गजल-६१
आजुक दुनियाँ में मोल नै रहिगेलै इन्सान के
देखू  जग में रावनराज आबिगेलै सैतान के

जीवन कष्टकर भगेल छै जग में इन्सान के
सता शाशन कुर्सी हाथ चलीगेलै सैतान के

बाहुबली सभ निर्बल के सोनितपान करै छै
गाम शहर सगरो दम्भ मचीगेलै सैतान के

रक्तरंजीत भेल छै माए बहिन केर आँचर
इन्सान केर खून सं हाथ रंगीगेलै सैतान के

चौक चौराहा गली गली में जुवा भठ्ठी केर अड़ा
चौक चौक बार रेस्टुरेंट फूजीगेलै सैतान के

चरस गाँजा हफिमक बाजार सेहो गरम छै
बाल किशोर सभ शिकार बनिगेलै सैतान के

वर्ण-१८
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 8 जुलाई 2012

भजनावली

भजनावली

कने सुनियौ ने हमरो पुकार बाबा -२

अहाँ नै सुनब तं हम ककरा सुनाबी
मोनक वेदना कोना कs देखाबी
दुःख कs बोझ भेटल हमरा बड भारी
दुःख कें दूर करू हे भोलेनाथ बाबा
कने सुनियौ ने हमरो पुकार बाबा-२

दुःख क बोझ उठबैत उठबैत थाकिगेल कान्ह
ब्यथाक बयार उठल टूटीगेल सब्र केर बान्ह
दुखक मारल हम जीवन सं हारल
जीवन कोना चलत फूटैय मुह में लाबा
कने सुनियौ ने हमरो पुकार बाबा -२

मोन में शोक देह में विभिन्न रोग
कोना करी हम पूजा पाठ बन्गी
भिनभिन भिन्क्ल अछि हमर जिनगी
हम तीर्थ कोना करी काशी कावा
कने सुनियौ ने हमरो पुकार बाबा -२

कल्पी कल्पी बाबा हम करैत छि निहोरा
दिल के दिया में जरौने छि नोरक वाती
दियौ आशीष कनिया हमर रहे अहिबाती
अन्न विनु नेना बेकल विनु रोटी के जरैय ताबा
कने सुनियौ ने हमरो पुकार बाबा -२

रचनाकार- प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 2 जुलाई 2012

गजल-५९

गजल-५९
कोना कहू हम आई एतेक मजबूर किएक
प्रीतमक विछोड आई हमरा मंजूर किएक

हम तकैत रहिगेलौं नयन सं नयन मिला
छोड़ी हमरा चलिगेल प्रीतम निठुर किएक

दोष हुनक नै कोनो दोष अछि सभटा हमरे
आई बुझलौं हमरा में एतेक गुरुर किएक

ओ जान प्राण सं प्रेम करैत छलि हमरा सं
हम सदिखन रहलौं हुनका सं दूर किएक

हम परैख नहि सकलौं हुनक निश्च्छल प्रेम
आई बिछोड पीड़ा सं दिल हमर चूर किएक

आई हुनक डगर के हर मोड़ अछि अलग
हुनक जीनगी में बनब हम बबुर किएक

"प्रभात क "दिन भेल दुर्दिन प्रीतम अहाँ विनु
अहाँक सपना हम केलौं चकनाचूर किएक

वर्ण-१८
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 1 जुलाई 2012

मैथिलि कव्वाली मुकावला-1

 मैथिलि कव्वाली मुकावला-1

बंधुगन अपने लोकनिक समक्ष हम एकटा नव आयाम मैथिलि मुकबला कवाली पेश क रहल छि अप्पने लोकनिक सुझाब लेल सादर आमंत्रित छि आशा अछि की अप्पने सभक प्रतिक्रिया सं किछ नव ज्ञान सिखबाक मौका भेटत !


पुरुष :- ओ प्रेम की करत हमरा सं,जे जाने नै प्रेमक परिभाषा
तोड़ी के दिल हमर, मईट में मिलादेलक प्रेमक अभिलाषा
करैत छलहूँ जकरा से पियार ओकरे लेल हम बेकार भsगेलौं
मोनक ब्यथा कागत पर लिखी लिखी हम गीतकार भsगेलौं //२
गीतकार भगेलौं ,गीतकार भगेलौं , हम गीतकार भगेलौं .........  


महिला:- हम प्रेम की करब हुनका सं जे प्रेम में देलन एहन दगा
दिल लगा कs हमरा सं हमर बोहीन के लsगेल घर सं भगा
करैत छलहूँ जकरा से पियार ओकरे लेल हम बेकार भsगेलौं
दिल के दर्द कागत पर लिखी लिखी हम गजलकार भsगेलौं //२
गजलकार भsगेलौं ,गजलकार भsगेलौं ,हम गजलकार भsगेलौं .......



पुरुष:-ओ प्रेम की करत ककरो सं जे दू-दू टा प्रेमी के दिल में बसौलन
प्रीत जगा क दिल में हमरा हमर मीत सं विआह रचौलन
नै  पुछू इ खबरी सुईनते हम कतेक बीमार भ गेलौं
अप्पन कथा कागत पर लिखी लिखी हम कथाकार भsगेलौं //2
कथाकार भsगेलौं ,कथाकार भsगेलौं ,हम कथाकार भsगेलौं ........


महिला :- हम प्रेम की करब हुनका सं जे चढ़ल जोवन में देलक धोखा
छोड़ी कय घरक भोजन बहरे बाहर खैय दही चुडा पर चोखा
भरल जवानी में प्रीतमक जुल्म सहै पर हम लाचार भ गेलौं
अप्पन कथा कहानी कागत पर लिखी  लिखी हम साहित्यकार भगेलौं //2
साहित्यकार भगेलौं,साहित्यकार भगेलौं ,हम साहित्यकार भगेलौं ..............



पुरुष :- सोचु कने मोंन पाडू कोना बढल हमरा अहा बिचक दुरी
प्रेम निसा सं हम छलहूँ मतल अहाँ बुझलौं नै हमर मज़बूरी
प्रेमक पियास सं हम तडपैत छलौं अहाँ बेर बेर नखरा देखबैत गेलौं
अहाँ बुझलौ नै दर्द हमर हम बाहर बाहर भोजन करै पर लाचार भगेलौ //2
लाचार भगेलौ ,लाचार भगेलौ ,हम लाचार भगेलौ ................................





रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट