बुधवार, 8 फ़रवरी 2017
मैथिल कने करि विचार !!
विराट मिथिला क छाती पर
चलल कोना हरक फार
चिर माए मिथिलाक छाती
भाइ से भाइ कोना भेल काती
एकटा बनल कोना मधेस
दोसर कोना बनल बिहार
हे मैथिल कने करि विचार......२
माए मिथिला तडपि तडपि
ब्यथा अपन सुनाबी रहल अछ
नयनक नोर बनल ईनहोर
वेदना सँ कराही रहल अछ
हे मिथिलाक मैथिली ललना
माए केर कने सुनी पुकार
हे मैथिल कने करि विचार ........२
लूटल गेल माए केर स्मिता
भोरहल अछ मान मर्दन
भाषा भेष भुगोल बदलल
झुकल स्वभिमानक गर्दन
हे मैथिलपुत्र सुनी कने
माए मिथिलाक चीत्कार
हे मैथिल कने करि विचार.......२
हे मिथिलाक मैथिल ललना
माए पडल अछ सुद्द भर्ना
अंग्रेज़ केलक एहन घात
आधा मिथिला काते कात
नेपाल के देलक सौगात
माए कहि देल जाए उपहार ?
हे मैथिल कने करि विचार......२
हे मैथिल आब ते जागु
एहि पार ओहि पार,दोनो पार जागु
गरिमामय इतिहास बचावु
अपन मिथिला राज्य बनाबु
करि मिथिला राज्य निर्माण
तखने भेट्त चहुओर सम्मान
हे मैथिल जुनि बनी लाचार
हे मैथिल कने करि विचार .......२
ऋषि मुनि कए पावन धर्ती
मिथिलावासी थिकहु सन्त
माएक स्मिता रक्षा हेतु
संकोच नहि बनए मे चँड
सुरवीर केर सन्तान हम
सौर्य नहि अछी हमर कम
मुदा फुटल किएक करम कपार
हे मैथिल कने करि विचार ........२
बनत जखन मिथिला प्रदेस
मिटत दुख दारिद्र कलेस
सुख समृद्धि,सुमंगल् वृद्धि
होएत रिद्धी सिद्धि श्रीगनेश
फेर बढत विद्वजन विद्वुषि कए मान
होत मिथिला राज्यक निर्माण
लिखु मिथिला के करम कपार
हे मैथिल कने करि विचार.......२
रचनाकार :- प्रभात पुनम
सदस्यता लें
संदेश (Atom)