शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

दहेज़ मुक्त मिथिला बनाबू@प्रभात राय भट्ट

 
समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

बेट्टा बनल अछि मालजाल बाप बनल पैकारी
दहेजक आईगमें जईर रहल अछि बहु बेट्टी बेचारी
समाजमे दहेजक रोग लागल अछि बड भारी
जौं उपचार नहीं करब तेह फ़ैल  ज्यात महामारी
समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

बेट्टी जन्म लईते बाप माथ पैर हाथ धरैय
बेट्टीक ब्याह कोना करब चिंतामें डुबल रहैय
शिशु हत्या  करैया   कियो भ्रूण हत्या करैया
आईग लागल दहेजक बेट्टी जईर जईर मरैय
समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

मैथिल ललना पैढ़लिख भोगेलैथ विद्द्वान
मुदा दहेज़ छै अपराध ई किनको नहीं ज्ञान
मांगी दहेज़ किये करैतछी बेट्टी बहुक अपमान
करू आदर्श ब्याह यौ ललना बढ़त अहांक शान
समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

उठू जगु मैथिल ललना बढ़ू आब आगू
तिलक दहेजक विरुद्ध एक अभियान चलाबू
मैथिलि बैदेही जानकीके भ्रूण हत्या सं बचाबू
उठू जगु मैथिल दहेज़ मुक्त मिथिला बनाबू
समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 24 नवंबर 2011







रोटी रोजीक खोजी@प्रभात राय भट्ट

नेपालक मधेस प्रान्तमें महोतरी जिलाक धिरापुर गामक बर्ष ३० के भोला खत्बेक जीवनचक्र पैर आधारित यी आलेख अछि जे सम्पूर्ण मध्यमबर्गीय आओर निम्मन बर्गीय समुदाय के जीवन जुडल यथार्थ जीवनी  !
                        भोला एकटा निम्नबर्गीय परिवार में जन्म लेलक हुनक माए बाबु बड मुस्किल से मेहनत मजदूरी करी  भोला के पालनपोषण केलक, भोलाक माए बाबु गरीब होवाक कारन भोला प्रारम्भिको  शिक्षा  बन्चित रहल जेनतेन समय बितैत गेल  समयानुसार भोला पैघ सेहो भगेलाह ! समय के संग संग हुनक दाम्पत्य जीवन सुभारम्भ सेहो भगेलई,भरल जुवानी के अबस्था में दाम्पत्य जीवनक रस्वादन एवं आन्नदमें  पूर्णरुपेन डुबिगेलाह अपन आर्थिक स्थितिके नजैर अंदाज करैत गेलाह मुदा विना अर्थ जीवनक गाडीं कतेक दिन चैल सकैय ! कनिया के सौख श्रींगारक सामग्रिः भोजन भातक ब्यबस्था बृध माए बाबु के दबाई दारू सभक आभाव चारू   खटक लग्लई,तकर बाद भोला के अपन जिमेवारिक  बोध भेलैन ! हुनका किछ नै सुझाई  जे की करू  नै करू राईत दिन बेचारा भोला घरक लचरल ब्यबस्था देखि बड चिंतित रहलागल !एक दिन अपन मिता सुरेश कापर के अपन सभटा दु: सुनैलक  ! सुरेश बड नीक सलाह देलकै देखू मिता अई नेपाल देश में स्वरोजगारी के कोनो ब्यबस्था नै छई पढलो लिखल मनुख के नोकरी नै भेटैछैक तहन  हम अहां कोण जोक्रक छि ! हम एकैटा सलाह देब सउदी अरब चैल जाऊ ओईठाम बड़ पैसा भेटैछैक अहंक सभटा दू:ख दूर भ्ज्यात,सुरेशक गप सुनिक भोलाके माथमें चकर देबलगलै !!मुदा किछ देरक बाद भोला सहमती जनौलक आ सुरेश सं बिदा लैत घर तरफ प्रस्थान केलक!
               सुरेश घर पहुचैत कनियाँ कतय गेली ये हमरा बड़ जोर सं भूख लागल अछि किछु खयाला दिया नए,कनियाँक कोनो जवाब नै अयीलाउपरांत ओ भानस घरमे गेल कनियाँ के देखलक माथ हाथ धयने आ सिशैक सिशैक क कानैत,अहां किये कनैछी ये अतराढंवाली ?की भेल किछ बाजब तब नए हम बुझबई ! कनिया कहलकै....हम की बाजु आ बाजल बिनु रहलो नै जैइय,अहां जे कोनो काम धंधा नै करबै तहन ई चुल्हाचौका कोना चलति एक पाऊ चाबल छल जेकर मद्सटका भात बनाक माए-बाबु आ बच्चा सभमे परसादी जिका बाईंट देलौ आ हम त उपबासो कलेब मुदा अहांके त भूख बर्दास्त नै होइया ताहि सं हमर छाती फटी रहल अछि मुदा अहांके त कोनो चिंताफिकिर रह्बेने करेय !तपेश्वर मालिक सेहो बड़ खिसियक द्वार पर सं गेल कहैछल जे ५०० टका के हमर सूद ब्याज सहित २५००० भगेल मुदा यी भोलबा अखन धरी देब के नाम नै लैय,
     हे यए अतराढंवाली अहां आब जुनी चिंता  करू हमरा पैर भरोषा रखु सभ ठीक भजेतई ई किछ दिनक दू:ख थीक एकटा कहाबत छै जे भगवानक घरमे देर छै मुदा अंधेर नै,अतारधवाली के मोन अति प्रसन्न भेलै आ झट सं पुईछ बैठिय आईंयो रामपुकारक पापा आई की बात अछि जे अहां एतेक पुरुषार्थ वाला गप करैत छि ?की बजली यए अतराढंवाली एकर मतलब अहुं हमरा निक्मे बुझैत छि? त कान खोईलक सुनिलिय हम आब सउदी अरबिया जारहल छि  आ ढेर पैसा कमाक अहां लेल भेजब !अतराढंवाली ई बात सुईनते घबरागेल आ कहलागल की बज्लौं ?कने फेर सं बाजु त अहांके जे मोन में अबैय सहे बाईजदैत छि,एहन बात आब बजैत नै होईब से कहिदैछी हम................मोन त भोला के सेहो उदास भजैय मुदा हिमत करिकें कनियाँ के समझाबक कोशिश करेय देखियो कनिया हम जनैत छि जे हम कोनो काम धंधा नै करैत छि तयियो अहां हमरा सं खूब प्रेम करैत छि,आ हमहू अहां बिनु एकौ घडी नहीं रही सकैत छि यी सभटा जनैत बुझैत हम मज़बूरी बस एहन निर्णय लेलहुं आ अईके अलाबा दुसर कोनो रस्तो नहीं अछि ! आखिर यी जीवन त प्रेम आ स्नेह सं मात्र नै चलत नए जीवनमे दुःख सुख भूख रोग सोक पीड़ा ब्यथा वेदना संवेदना प्रेम स्नेह विबाह बिदाई जीवन मृत्यु समाज सेवा घर परिवार ईस्ट मित्र कर कुटुंब नाता गोता मान सम्मान प्रतिष्ठा घर माकन खेत खलिहान बगीचा मचान सत्कार तिरिस्कार मिलन बिछोड यी सभटा जिनगीक अभिन्न अंग अछि,आ यी सभटाके जैर एकैटा थीक जेकर नाम ऐच्छ पैसा............तै हमरा परदेश जाहिटा परते अहां कनिको मोन मलाल नै करू सबहक प्रियतम पाहून परदेश खटेछैक ! हेयौ रामपुकारक पापा यी बात सुनिके हमर छाती फटेय..तहन अहां बिनु हम कोना रहीसकैछी? नए नए हमरा नहीं चाही पैसा कौड़ी महल मकान हम नुने रोटी खेबई सेहो नहीं भेटत त साग पात ख्याक जिनगी काटीलेब कहैत भोलाके भैर पांज पकरिक सिशैक सिशैक नोर बहबैत कानैलागैय....मुदा भोला कुलदेवता के सलामी राखैत माए-बाबु सं आशीर्वाद लैत घर सं प्रस्थान भगेल.....................! अगिला पाठ क्रमश:.............
लेखक:-प्रभात राय भट्ट
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रोजी रोटिक खोजी भाग :-२@प्रभात राय भट्ट
२.भोला साउदी अरबके एकटा कंस्ट्रक्सन कम्पनी में राईतके ११बजे पहुंचल आ भिन्सरमे ७बजे आफिस में हाजिर भोगेल कम्पनी के मैनेजर साहब भोला सं कबूलनामा कागज पैर साईन करबौलक आ भोलाके उक्त कबूलनामा के विवरण सुनौलक :- १.मासिक वेतन ५०० रियाल ड्यूटी ८ घण्टा २.करार अवधि ३ वर्ष ! भोला इ बात सुनिक हतप्रभ भोगेल जेना मानु भोलाके माथ पैर बज्रपात गिरगेल फेर भोला अपने आपके सम्हारैत मैनेजर साहब सं कहलक नेपाल के मेनपावरक कबूलनामा अनुसार हमर पगार ६०० रियाल + खाना +२०० ओभर टाइम आ दू वर्षमे ३ मासक छुटी के सर्त भेल छल मुदा मैनेजर भोलाके एकोटा बात नै सुनलक तहन भोला कहलक हम सुखा ५०० में काम नै करब २०० खानामे खर्च भोज्यात बचत ३०० रियाल ३०० रियाल्के नेपाली टाका ६०० हजार मात्र होइतअछ तेहेतु हमरा वापस भेज दिय ! मैनेजर भोलाके सामने साम दंड भेद क सूत्र अनुसरण करईत कडा रूप सं प्रस्तुत भेल बेचारा भोला मैनेजर के चंडाल रूप आ कडा चेताबनीके सामने निरीह बईनगेल आ काम करबलेल तयार भोगेल !
             भोला अपन भाग्य के साथ समझौता करैत क्म्पनिके काजमे ईमानदारी पुर्बक सरिक भोगेल मुदा महिना लागैत पगार हातमें आबिते भोला हिसाब किताब में लाईग जाईतछल खाना नास्ता के खर्च निकालैत बाद मुस्किल सं ३०० रियाल बचैक आब भोला घरके बारेमे सोचैलागल ३०० रियाल के सिर्फ ६००० हजार नेपाली होइतअछ जाही सं घर परिवार चलत की रु.१००००० कर्जा सधत जेकर सिर्फ ब्याज ३०० हजार चैलरहलअछ याह बात सोचैत सोचैत प्रात:भोगेल फेर वेचारा भोला अपन दैनिक काम काज में तठास्त रूप सं लाइग जाय याह: क्रम लगभग ५/६ महिना चलैतगेल तेकरबाद भोला किछ टाका घर भेजलक जाही सं हुनक घर खर्च चैलरह्ल छल ! १ साल बितला बाद भोलाके घर सं चिठ्ठी आएल भोला उक्त चिठ्ठी पैढ़क मर्माहित भोगेल चिठ्ठीमें लिखल रहैक रामपुकार के बाबु घरक स्थिति बड़ नाजुक अबस्था सं गुजरी रहलअछ आ अहां जे कर्जा लक गेल छि ओकर ब्याज ३६०० हजार भोगेल महाजन आएल छल कहिक गेल जे आब मूल धन रु१३६००० भोगेल ऐ बात पैर ध्यान दिय भोला चिठ्ठी पढैत फेर घर क चिंता में डुबिगेल कर्जा कोना सधत ? भोलाके उदास देख हुनक संघतिया पुईछ बैठल आईयो मिता अहां ऐना सदिखन एतेक उदास किये रहैत छि यौ ? भोलाक ध्यान भंग भेल आ संघ्तियाके अपन सभटा दू:ख 
सुनौलक  ! संघतिया हाथ में खैनी मलैत कहलक रुकू कने ई खैनी खाय दिय तहन हम कुनु उपाय बताबैछी खैनी ठोर में धरैत झट सं एकटा गप भोलाके सुनौलक देखू हम जे कहैत छि से ध्यान सं सुनु चुप चाप हम आर अहां दुनु गोटे इ कम्पनी छोईडक भाईग चलु कतौ दोसरठाम जतय निक कमाई होइत होइक ! मुदा भोलाके संघतियक गप कनियो निक नै लागल  भोला कहलक देखू इ दोसर के देस में भाईग क कतय जाईब कहीं देहि नही भोगेल तहन के मदत करत आ दोसर इ देस के कानून बड़ कडा छैक पकड़ा गेला पैर जेलमे चकी चलबा पडत तहन धोबी के कुता नै घर नै घाट के होइतअछ से बुईझलिय  हम तह नै ज्याब अहां ज्याब तेह जाऊ !
              भोला फेर अपन काम काजमे जुइटगेल आ भोलाक संघतिया मासिक १५०० सय पगारमे दोसर ठाम काम करैलागल देखते देखैत दुई साल बितगेल ! भोलाके घर सं फेर एकटा चिठ्ठी आएल भोला चिठ्ठी पढ़लक चिठ्ठी पैढ़क खुसी होमय बजाय पुनह उदास भोगेल आ गंभीर सोचमे डुबिगेल भोलाके सब से बड़का परेशानी रहैक कर्जा जे साउदी आब बेरमे लेने रहैक भोला सोचलक जे एतबा न्यूनतम पगारमे कर्जा कोना सधत अंतत:भोला कम्पनी छोईड भागके निर्णय ललेलक ! भोला कम्पनी सं भाईग संघतिया के कम्पनिमे चईल्गेल आ मासिक १५०० सय पर काज करैलागल भोला ५ महिनामे रु १००००० टाका घर सेहो भेज देलक आ कनिया सं फ़ोन मार्फ़त गप केलक कनिया सं कहलक इ एक लाख टाका महाजन के खता में जमा कदिय आ हुनका कहिदीय जे ५  महिनके बाद हम हुनकर सभटा पाय चुकता कदेबैय ! आब भोला किछ प्रसन्न मुद्रामे रहैलागल आ अति प्रसन्ता के साथ सोचैलागल लोक ठीक कहैतछई जे
भगवान के घर देर छै मुदा अंधेर नै आब हमरो विपतिक घडी टैर रहलअछ मुदा वेचारा भोलाके की पता जे भाग्य रेखा कियो नै देखने छैक कखन की हेतई से मनुख क कल्पना सं बहुत दूर के चीज छैक समयचक्र कखन कुन रूप लेत इ एकैटा परमात्मा जनैत छथी! बड़ मुस्किल सं भोलाके ठोर पैर मुस्कान आएलछल मुदा दैबके इ रास नै येलैय भोला के जीवन में तेज गति सं एकटा बड़ भारी बज्रपातके आगमन भेलै भोला अपन ड्यूटी ख़त्म क्याक डेरा तरफ जाईके क्रम में रोड पार करैत समयमे भोलाके देह पैर तेज गति में कालरुपी एकटा गाड़ी चैढ्गेल भोला जीवन आ मृत्यु के बिच एक घण्टा लादैत रहल अंत:भोला अपन  चेतना गुमाबैठल ताहि समयमें उद्धार टोली आबिक भोलाके अस्पतालमें भरना कोदेलक ! इ दुखद घटनाके २० दिन बाद भोलाके घरमे खबैर गेल जे भोला आब इ दुनियामे नहीं रहिगेल रोड एक्सीडेंट में हुनक मृत्यु भोगेल इ बात सुनैत बेचारी भोलाके कनिया मूर्छित पैरगेल आ गाम घरक महिला सब भोला कनियाके चूड़ी फोईर मांगक सिंदूर धोबीक विधवा बनाबक काजमे एकमत भोगेल  तखने समाजसेवी एकटा महिला इ बातक घोर विरोध केलन आ सब महिलाके सम्झौलन जाधैर कुनु ठोस पुष्टि नए भेटैय ताधैर रूईक जाऊ कहीं इ समाचार गलत होइक आ भोला जिन्दा होइक ! गायत्री देवी जी के सुपुत्र प्रभात राय सेहो साउदी अरब में रहैथ ओ फोन सं सभटा बात सुनैलैथ आ प्रभात राय अस्वासन देलैथ जे अहां सभ हमर फ़ोन के प्रतीक्षा में रहू हम अखने वास्तविकता कीअछ
प्रभात भोलाके घटना प्रति जानकारी हासिल करैमे लागिगेल ! अस्पताल,पुलिस,एम्बुलेंस,ट्राफ्फिक सभठाम पता लागौल्क बाद प्रभातक मेहनत रंग लौलक 
भोलाके जिबिते अबस्था में रियाद स्थित एकटा अस्पतालके कोमा में भरना भेल देखलक प्रभात तुरत गाम में फोन स आँखी देखल पुख्ता जानकारी देलन्हि इ बात सुनैत धिरापुर गाम में हर्सौलास के माहौल बनल आ गामक सबलोक प्रभात के धन्यबाद दैत एकटा विनम्र अनुरोध केलैथ जतय खर्चा लागते हम सभ चंदा उठाक देब मुदा भोलाके जान बचादियौ ! प्रभात अस्वासन देलैथ अहां सभ जुनी चिंता करी हमरा सं जतय बैन पडत हम जरुर करब आब भोला के उद्धार कार्य में प्रभात दिन राईत एक क देलक तिन मासक बाद भोला अर्धचेतन अब्स्थामे आएल फेर एक महिना उपचार के बब्जुदो किछ आंशिक सुधार मात्र भेल एम्हर अस्प्तालक खर्च सेहो जीवन विमाके हद पार कगेल प्रभातके प्रयासमें भोलाके बैधानिक कम्पनी आ जीवन विमा अस्पताल क खर्च चुकता केलाक बाद डिस्चार्ज भेल आ नेपाल पठाउलगेल ! भोलाके जिबिते अबस्थामे गाम आबक खबैर सुनिक भोलाके परिवार लगायत समूचा गामक लोक एकबेर पुनह खुश भेल २ दिनक बाद भोला अपन मातृभूमि में पहुंचल आ सबहक प्रतीक्षा के घडी ख़त्म भेल ! भोलाके जीवित देखैला समूचा गामक लोक आबिगेल मुदा भोला इ सभ बात सं बहुत दूर जाचुकल रहैक ओ ऐ काबिल नै रहैक जे किनको सं मिलन के खुसी बाईट सकय भोला के अपांग आ अर्धचेतन अबस्था देख सबके मुह सं आह 
निकैल्गेलई ! भोलाके कनिया अपन सोहागरूपी पति परमेश्वर के अपांगो अबस्थामें भेटगेलैय ते खुसी जरुर भेलै मुदा किछ दिन बाद अतराढवाली के लेल ओकर सोहाग एकटा दीर्घकालीन बोझ बैनगेलैय ओई बोझक भार उठेनाई बड़ मुस्किल भरहल छै किये तेह आजीवन अपांग आ अर्धपागल रही गेलाह !!
लेखक:-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 19 नवंबर 2011

बढ़ल परेशानी चढ़ल जवानी@प्रभात राय भट्ट

लालपुर के हम लालपरी
ललमुनिया हमर नाम
रुसल फूलल सभक दिल
बह्लाबक अछि हमर काम
एक तेह हमर चढ़ल जवानी
दोसर जान मरैय सावनके पानी
हाय रामा.........................२
हाय रे हाय रे हाय रामा // २

बढ़ल परेशानी चढ़ल जवानी
कियो कहे दिलवरजानी
कियो कहे रुपकरानी
कियो कहे आबू एम्हर
कियो बजाबे ओमहर
हम जाऊ कोमहर कोमहर
हाय रामा .......................२
हाय रे हाय रे हाय रामा //२

कसमस चोली मरैय जान
घघरीमें उठल प्यारके तूफान
जान मरैय ठोरक लाली कानक बाली
केशक गजरा आईखक कजरा
आगू पाछु घुमैयसमूचा  हिंदुस्तान
भेली रे भेली हम जवानी सं परेशान
हाय रामा ..................................२
हाय रे हाय रे हाय रामा .........//२

लच लच लचकैय पतरी कमरिया
देह सं ससरल जाईय हमर चुनरिया
कियो कहे आई लव यु
हेलो मैडम हाउ आर यु
निहायर २ मारे जुल्मी नजरिया  
आगू पाछु करे समूचा दुनिया
हाय रामा ...........................२
हाय रे हाय रे हाय रामा ...//२

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट






उर्वरभूमि बनाएब हम अपन धरती@प्रभात राय भट्ट

विचित्र सृष्टिक रचैता हे ईस्वर //
सभक सुदी रखैयबाला परमेश्वर // २

गरीबक जिनगी की अछि बेकार
किये करैया लोग हमर त्रिष्कार
पैघ मनुख किये दैय धिकार
कुनु ठाम नहीं अछि गरीबक अधिकार //

हे ययौ पालनहार कने सुनु ने हमर पुकार
सभक उद्धार  केलौं कने सुनु ने हमरो उपकार
फुलक हार नहीं नैयनक नोर चढ़ाबआएलछि
आईखक दुनु प्यालामे किछ मांगलेल आएलछि//

गगनचूमी कोठा अटारी नहीं चाही
हमर झोपरीमे सुख शांति दिय
कंचन कोमल काया नहीं चाही
बज्रदेह बाहिमें ताकत दिय.........//

विघा दस विघा जमीं नहीं चाही
कठा दस कठा खेत बारी दिय
चटान फोरबाक हिमत दिय
हिमाल सन अटल छाती दिय //

आराम आर विश्राम नहीं चाही
श्रमिकके श्रम करबाक सौभाग्य दिय
कोईर कोईर तोईर तोईर बाँझ पर्ती
उर्वरभूमि बनाएब हम अपन धरती //

खुवा मेवा मिष्ठान नहीं चाही
भोर साँझके दू छाक आहार दिय
सुख शैल विलास नहीं चाही
जीवन चालबलेल कुनु अधार दिय //

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट












सोमवार, 14 नवंबर 2011

संक्रमणकालिन देसमा सत्ताको खेल@प्रभात राय भट्ट

कुनै बेला संसारकै सामुशान्तिको देस भनेर नेपाल लाई चिन्हीन्थ्यो हुनत सत्तासिन क्रुर शाषकहरु द्द्वारा गरिब र निमुखा जनताहरुमाथि आन्तरिकरुपमा दमन शोषण उत्तपीडन जस्ता घृणित कुकार्यहरू भैराखेकै थियो र सिधा सोझा जनताहरु सामन्तवादी शाषकहरुको विरुद्धमा कुनै किसिमको प्रतिकार नगरेको हुनाले सरसर्ती हेर्दा शान्ति दुत बुद्धको जन्मधरती नेपालमा शान्ति नै देखिन्थ्यो तर बदलिदो विश्व को अबलोकन गर्दै केहि युगान्तकारी योद्दा हरुले माउवादीको सिधान्त लाई अंगिकार गर्दै जनयुद्धको विगुल बजाई २०५२ फाल्गुन मसान्त १ गते शक्ति द्वारा सत्ता प्राप्त गर्ने   संकल्प लिईयो र १० वर्ष सम्म देसब्यापीरुपमा भूमिगत सैनिक कारबाही गर्दै आयो र देशले ठुलो क्षति व्यहोर्नुपर्यो हजारौ नेपालीहरुले असमायिक ज्यान गुमाउनु पर्यो हजारौं महिलाहरु विधवा भएँ हजारौं बालबालिकाहरु टुहुरा भएँ हजारौं आमाबाबुहरू निसन्तान भएँ साथै अर्बौं खरबौं को भौतिक संरचनाहरु ध्वस्त भयो उता राज्यले शान्ति सुरक्षाको नाम मा गरिएको खर्चले देशको आर्थिक अबस्था पनि खस्किदै थियो त्यसै कमजोरी हरुको मौका छोपी तत्कालिन राजा बिरेन्द्रको सपरिवार सुनियोजित ढंगबाट हत्या गरियो यो घटनाले नेपालको भुमंडल मा महाभूकम्प ल्यईदिएको थियो देश शोकाकुल अबस्थामा थियो राष्ट्रले राष्ट्राध्यक्ष गुमाई सकेको थियो त्यसपछि  कोमा मा रहेको   मृत युवराज दीपेन्द्रलाई नाटकीय ढंग बाट राजा घोषणा गरियो र केहि समय पछी दिपेन्द्र को निधन भएको घोषणा गरियो  तत्पस्च्यात  राजपरिवार को नियमानुसार उतराधिकारी ज्ञानेन्द्रले राजगदिमा आसिन भयो ! निवर्तमान राजा ज्ञानेन्द्रले नेपाली जनता लाई शान्ति सुरक्षा दिई प्रजातन्त्र ब्यबस्था लाई जीवित राख्नु पर्ने ठाउमा वैमन्यस्तापूर्ण ढंग बाट तत्कालिन प्रधानमन्त्री शेर बहादुर देवबा लाई पदच्युत गरि संसदीय ब्यबस्थालाई भंग गरियो र शाही सरकार को घोषणा गरि प्रजातान्त्रिक नेताहरुलाई  बन्धक  बनाईयो  ! त्यस पछी  राजनैतिक दल र भूमिगत माउवादी पार्टीले  दिली दरवारमा १२ बुंदे सम्झौता गर्यो र जनान्दोलन गर्ने निर्णय लियो यता ज्ञानेन्द्र शाशित सरकारको उत्पीडन जनताको लागि असहनीय भईसके पछी जनताहरु २०६२/६३ को जनान्दोलनमा होमिए देशका सपुतहरु आफ्नो रगत को वलिदान दिई मुलुक लाई ज्ञानेन्द्रको हात बाट मुक्त गराउन सफल भएँ अन्तः मुलुक एकतन्त्र बाट गणतन्त्र नेपालमा परिमार्जित भयो यो युद्ध र जित जनताको जनान्दोलनले ल्याएको विजय थियो जसलाई नेपाली कांग्रेस एमाले र माउवादिले आफ्नो पार्टीले ल्याएको आमुल परिवर्तन ठान्दछन
                           लोकतन्त्र नेपालले नया नेपाल बनाउने प्रतिबध्ता को सम्बोधन गरे पछी वर्षौं देखि भय डर त्रास भोक प्यास अनिन्द्रा हत्या हिंसा अपहरण चन्दा फिरौती चोरि डकैति उदंड़ता बर्बरता अनैतिकता र विध्वंसात्मक क्रियाकलाप बाट आम नेपाली जनताले मुक्ति पाउने मार्ग प्रसस्त भयो जनतामा ठुलो आशा र विश्वास जाग्यो र यी सम्पूर्ण दुखदायी पिडा र व्यथाहरु लाई उन्मुलन गर्नको निमित देस लाई नया संविधानको आबस्यकता अनुरुप संबिधानसभाको चुनाव भयो तर कुनै पार्टीले बहुमत प्राप्त गर्न सकेन तथापी पहिलो ठुलो दलको रुपमा मौउवादी दोस्रो नेपाली कांग्रेस तेस्रो एमाले चौथो मधेसी जनाधिकार फोरम र पाँचौ तराई मधेस लोकतान्त्रिक पार्टी को उददय भयो  र माउवादी पार्टी को नेतृत्वमा लोकतन्त्र नेपालको पहिलो सरकार र प्रचण्ड पहिलो प्रधानमन्त्री बन्यो तर दुर्भाग्य भनुपर्छ प्रचण्ड सरकार सत्तामा टिक्न सकेन जसको मूल कारण प्रचण्ड नै हो प्रधान सेनापति प्रकरण मा प्रतिपक्षी दलहरु को दबाब मा आएर राजिनामा दिनु पर्यो ! त्यसपछि जिरिजा बाबुको असिम कृपाले माधव नेपाल प्र.म.को कुर्सि मा विराजमान हुन् सफल भयो तर आफ्नै पार्टी को असहयोग र प्रतिपक्षी दलहरुको दबाबमा माधव सरकारको पनि अल्पआयु अवसान हुनपुग्यो त्यसपछि कुर्सिको लालचमा रयाल काढेर पालो कुड़ीरहेका झलनाथ को भाग्योद्द्य भयो  सहमति को सरकार बनाउने प्रक्रियामा सबै पार्टी दतचित भएर लागि परेका बेला यता कसैले थाहै नपाईकन रातारात प्रचण्डको आशिर्वादले झलनाथ खनाल लोकतन्त्र नेपालको तेश्रो प्र.म.को रुपमा विराजमान भएँ तर आफनै पार्टी भित्रको अंतरध्वंध र प्रतिपक्षीहरुको अवरोध ले गर्दा झलनाथ सरकारको पनि असामयिक निधन भयो !  अपितु आ- आफ्नो स्वार्थलोलुपता परिपूर्ति गर्ने खेलमा यी  सत्ता शाशन र कुर्सि क लागि आसक्त भएका संकीर्ण मानसिकताका रोगि राजनेताहरुले शान्ति सुरक्षा र संबिधानलाई ओझेलमा पार्दै गयो र मुलुक को भविष्य नै अन्धकार मा पर्ने संकेत देखा पर्न थाल्यो !
                     अन्तरिम संविधानमा संबिधानसभाले दुई वर्ष भित्र शान्ति ब्यबस्थापन र संबिधान दिसक्नु पर्ने विधेयक पारित भएको थियो तर बिडम्बना भनु पर्छ २ वर्ष को  अबधि भित्र नेपालले संबिधान पाउन सकेन  र पटक पटक संबिधानसभाको म्याद थपिदै गयो जसको प्रमुख कारण के छ भने देस लोकतन्त्र भए पनि नेताहरु लोकतान्त्रिक हुन् सकेन यथास्थितिवाद सामन्तीहरु भेष बदलिएर लोकतान्त्रिक नेताका मुखौटा लगाएका छन्  र साम्राज्यवादी शाषकहरुको उत्तराधिकारीहरु  उच्चवर्गीय छाद्म्भेदीहरु हुन् जसले देशलाई पुनः कब्जा गरि गरिब निमुखा जनताहरुलाई र मधेसी समुदाय लगायत आदिवासी जनजाती हरुलाई बन्धक बनाई  दिर्घकालिन शोषण गर्ने षड्यन्त्रमा लागि परेका छन् यसका अभिष्ठहरु हुन् नेपाली कांग्रेस एमाले र मोहन बैध पक्षधरहरु  यिनीहरुको अभिव्यक्ति सुन्दा जनताहरु मर्माहित हुन् पुगेका छन् ! देसले तिन वटा असफल प्रधानमन्त्रीहरु बाट संबिधान नपाए पछी सम्पूर्ण देसवासी निरुत्साहित भएँ र सर्वत्र निराशा छायो ! यस्तो संक्रमण  कालमा देसवासीहरुले एक चोटी पुनः विस्वास गर्ने ठाउं डा.बाबुराम भट्टराई मा देखियो र भट्टराईको नेतृत्व बाट देसले संविधान पाउन सकिन्छ भने जनविश्वास पैदा भयो जनताको भावनाले अवलोकन गर्दै माउवादी पार्टीले डा.भट्टराई लाई प्र.म.बनाउने सहमतिमा आए तत्पश्च्यात मधेसी मोर्चा संग ४ बुंदे सहमतिमा भट्टराई नेतृत्वको सरकार बनियो र आम जनता मा हर्षोलास देखियो ! डा.भट्टराई नेतृत्वको सरकार ले इमान्दारीपूर्वक सर्वहारावर्ग  को चाहना अनुरुप काम गर्दै जादा यथास्थितिवादी का पुजारीहरू भट्टराई सरकार माथि निराधार आरोप प्रत्यारोप लागौं थाले कहिले मधेसी मोर्चा संग गरेको ४ बुंदे सहमति राष्ट्रघाती हो भने कहिले निवर्तमान रक्षमंत्रिको अभिव्यक्ति राष्ट्रघाती हो भने कहिले विपा सम्झौता लाई राष्ट्रघाती भन्ने जस्ता   विभिन्न प्रकारका निराधार आरोप लगाई कर्मनिष्ठ र लोकप्रिय नेता भट्टराई को सरकार लाई  बिना निष्कर्ष भंग गर्न खोजिएको छ ! यता शुशील बाजेले अब नेपाली कांग्रेस नेतृत्वको  सरकार बन्नु पर्छ भने जस्ता लजास्पद अभिव्यक्ति दिराख्दा उता रामचन्द्र पौडेल ले अबको प्र.म. बन्ने पालो मेरो हो भन्छन भने माधब नेपाल ले गिरिजा बाबुको जुठो नुनको सरियत दिदैछन मध्बले पनि भन्छन अबको सरकार नेपाली कांग्रेस को नेतृत्वमा बन्नु पर्छ तर वर्तमान सरकारलाई सहयोग गरि संबिधान बनाउनु पर्छ भन्ने तिर कसैको अभिव्यक्ति आउदैन !
                      यी सत्ताका खेलाडीहरु लोकतन्त्र सिधान्तलाई नै खिल्ली उडाएका छन्  सम्पूर्ण देस्वसिका भावना संग खेलवाड गर्दैछन भने कुराको ज्ञान किन नभएका होला? संक्रमणकालिन देसमा सत्ताको खेल खेल्न उत्साहित भएका यी राष्ट्रघाती नेताहरु आफुलाई राष्ट्रवादी भनेर कसरि साबित गर्न सक्छन? देस र जनतालाई संबिधान दिनु पर्छ भनेकुरा बिर्सेर पालो पालो देसको ढुकुटी कुम्ल्याउने दाउपेच मै लिप्त भएका यस्ता गद्दार दलाल अकर्म्निष्ठ कुपात्रहरु देशको अर्थतन्त्र लाई नै अपाहिज बनाई सक्यो संबिधानसभाको नाम मा खर्च भएको हाल समको रकम १२१ खर्ब रुपियाँ  हो २ वर्ष म्याद भएको संबिधानसभाको अबधि सकेर पटक पटक म्याद थप्दै ६०१ अपांग सभासद्हरुलाई राज्यले विशिष्ट सुखसुबिधा तलब भात दिएर पाली राखेका छन् यी सत्ताका खेलाडीहरु अनैतिकता र अनियमितता को पराकाष्ठ नै पार गरि सकेका छन् ! हामी आम नेपाली नागरिकहरुले नेताहरुलाई साबधान गराउन चाहन्छौ डा.भट्टराई नेतृत्व र मधेसी मोर्चाको सरकारले देशलाई शान्ति सुरक्षा र संविधान दिने यो अन्तिम प्रयास हो यदि यो प्रयास लाई पनि असफल बनाउन खोज्यो भने देसको भविष्य अन्धकारमा पर्ने निश्चित देखिन्छ यस्तो  विदार्कपूर्ण स्थितिको सृजना गर्ने र जनताको बलिदानले ल्याएको सौभाग्य्पूर्ण अवसर लाई अवसान गर्न खोज्ने राजनैतिक दलहरुलाई  हामी आम नागरिकले समाज बाट बहिष्कार गरनेछौ र यो संबिधानसभालाई बिघटन गराउन सडकमा आउनेछौं !
लेखक:-संक्रमणकालिन देसमा सत्ताको खेल@प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 12 नवंबर 2011

हम है मधेशी यह मधेश है हमरा@प्रभात राय भट्ट

जय मातृभूमि जय मधेश माँ
तेरे चरनोमें है हमरा प्रणाम
तेरे ही गोदमें है मिथिलाधाम
जहाँ मोहित हुये भगवान राम
जहाँ हो राजर्षिजनक जैसे पिता
वहां अवतरित होती है सीता
इन्सान बनजाते हैं भगवान जहाँ
सिद्धार्थ गौतम  हुये बुद्ध यहाँ
जन जन करते है गुणगान
यह धरती है मधेश महान
ऋषि मुनि की  जन्मभूमि
तपश्वी की यह है तपभूमि
कर्मनिष्ठ की यह  कर्मभूमि
हमारे लिए यह धरती  है स्वर्गभूमि   
भौतिक सुख समृद्धि की 
जहाँ हो अपार भण्डार
परालौकिक सुखों की 
जहा हो  विराट  जीवन सार
पूरब मेची पश्चिम महाकाली
जहाँ है चारोओर हरियाली   
उत्तर हिमगिरी हिमालय
दक्षिण पवानपतित गंगा की धरा    
यह धरती है बुद्ध जनक का प्यारा  
हम है मधेशी यह मधेश है हमरा
हम मधेसी है माँ मधेश का दुलारा

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
 




शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

मैं तेरही हूँ सनम@प्रभात राय भट्ट

चाहे तू मुझे जितना भी ठुकरादो
चाहो तो नजरों से भी मुझे गिरादो
पर दिल से कभी निकल नहीं पाओगी
तू जहाँ भी जाओगी मुझे साथ पाओगी
कल तुने सपनेमे जो ख़ाब देखि थी
मीठी मीठी प्यार की एक एहसास थी
मनमें मिलन की एक अनोखा प्यास था
सच पूछों तो ओ मेरा ही साया था
चाहो तो मुझ से बढालो जितनी भी दूरियां
चाहे समझो या न समझो मेरी मजबूरियां
पर दो मन की फासले न होगी कम
हरजाई कहो या वेवफा मैं तेरही हूँ सनम

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

जरा दिल से मुश्कुरादेना@प्रभात राय भट्ट

मैं एक पंक्षी हूँ मेरा नहीं एक ठेगाना
आज यहाँ हूँ कल कहीं और हैं जाना
सारे कश्मे सारे वादें आज हैं निभाना
कल कहाँ जाना हैं ये मैंने भी नहीं जाना

कैद हूँ तेरे पिजरें में तू समझती है मैं हु तेरा
पिजड़ा खुल गयी तो पंक्षी डालेगा कही और बसेरा
मैं तुझसे जुदा होजाऊंगा  बस  रह जायेगा याद मेरा
पल दो पल में भूल जाओगी जब आएगी नया सबेरा

मैं उड़ता पंक्षी हूँ कल और कहीं है जाना
आज तो मैं सिर्फ तेरा हूँ कल होजाऊंगा बेगाना
खुदको भुलाकर मुझमें इतना दिल मत लगाना
मुझको जाने से  मुश्किल न हो जाये तेरा जीना 

मेरी यादों में युही साडी जिन्दगी न गुजार देना
जो मिले तुम्हे नयी पंक्षी उसे अपनालेना
गुजरे हुए कल की सारे यादें दिल से भुलादेना
मेरे अंतिम घडिमे जरा दिल से मुश्कुरादेना

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


मंगलवार, 8 नवंबर 2011

दहेज बनल हमर अभिशाप@प्रभात राय भट्ट

सभक बियाह भेलई यौ बाबु //
हमर लगन लगतै कहिया ...//२

नन्हका छौराछेबारी बनल बाप
दहेज बनल हमर अभिशाप
बड़का बटुआ बाबु सियौनेछी
हमर जिया किये तर्सौनेछी
सभक बियाह भेलई यौ बाबु //
हमर लगन लगतै कहिया ...//२ 

अगुआ घटक अबिते बाबु
भोजैतछि अहां सभ बेकाबू 
काका मंगैय चैर पचास
बाबु करैय पुरे पांचक आस
सभक बियाह भेलई यौ बाबु //
हमर लगन लगतै कहिया ...//२ 

घटक घुईर जाईत कहैय रहू कुमार
दहेज़ कारन जरल हमर कपार
केस पाकल दाढ़ी पाकल
चोट्क्ल हमर दुनु  गाल
सभक बियाह भेलई यौ बाबु //
हमर लगन लगतै कहिया ...//२ 

आब दाम कियो नै लगाबैय
बाबु देख अहांक झखरल माल
बाप बनल अछि पैकारी
बेट्टा बनल अछि मालजाल
सभक बियाह भेलई यौ बाबु //
हमर लगन लगतै कहिया ...//२ 

सगरो लागल अछि देखू
दहेज़ कुप्रथाक रोजगारी
बेट्टा भलही रही जाय कुमार
बापके लागल दहेजक बीमारी
सभक बियाह भेलई यौ बाबु //
हमर लगन लगतै कहिया ...//२ 

ऊमर बितल जाईय हमर
बुढ़ारीमें कोना करब घ्यूढारी
मोन करेय हमहू जईतौ कोहबर
बाबु छोडू इ दहेजक रोजगारी
सभक बियाह भेलई यौ बाबु //
हमर लगन लगतै कहिया ...//२ 

 रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 7 नवंबर 2011

दहेज़ की आग लगी है@प्रभात राय भट्ट

कहीं  दीपा जली है
कहीं ज्योति  जली है
जैसे लग रहा है
दहेज एक नरसंघार बना है
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२

कहीं  बेट्टी जली है
कहीं बहु जली है
जैसे लग रहा है
दहेज़ की आग लगी है
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२

कहीं मीना जली है
कहीं नगीना जली है
जैसे लग रहा है
मेरी प्यारी बहना जली है
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२

कहीं घर जला है
कहीं घरवाली जली है
जैसे लग रहा है
एक प्यारी दुल्हन जली है
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२

कहीं दिल जला है 
कहीं दिलवर जली है 
जैसे लग रहा है 
मोहबत की चित्ता जली है 
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२
 रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

नेता जी नेता जी@प्रभात राय भट्ट

नेता जी नेता जी
आपने जो भी सोचा है
आपके उस हरेक बातोंमें
ढेर शारी लोचा है
आपकी कुर्सी के चकरमें
बंद हड़ताल होता है
कभी आपने सोचा है 
गरीबों की दिल क्यूँ रोता है
जाके पूछों उन
मजदूरी करनेवाले गरीबों से
जो त्रस्त है
ईस बंद और हड़तालों से
आपके घर तो बैठे बैठे
चौरासी ब्यंजन आजाते हैं
जाके देखो उन गरीबों की घर में
जिनकी पेट तो जलजाते है
पर चूल्हा नहीं जलपाते है
एक एक दाना की
मोहताज ओ होजाते है
जव बंद हड़तालों में
गरीब बेरोजगार होजाते है
नारा जुलुस तो कभी
विजय उत्सब आप मनाते है
विपदा की घडी तब आती है
जब भूख से गरीब मरजाते है
उसके घर तो आप
मातम मानाने भी नहीं आते है
जनता की मत से
आप मंत्री बन जाते है
उन्ही जनता को बर्बाद करके
खुद आबाद हो जाते है
भूख से जब गरीब
जनता की जनाजा उठती है
तो आप क्रूर शाषक और  
जलाद भी कहलाते है
नेता जी नेता जी
आपने जो भी सोचा है
आपके उस हरेक बातोंमें
ढेर शारी लोचा है
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

की आभू चेत रे भाई@प्रभात राय भट्ट

सब दिन लोक क केलेय बुराई
केलेय ने कखनो केकरो भलाई
दमन शोषण रूपी तू कसाई
करनिक भरनी सं भेलौ जग हँसाई
अपना ऊपर परलौ तेह करैछे हाय हाय
की आभू चेत रे भाई.....................२ 
 
मानवता कय रखले ताख 
दानवता कय बुझले साख 
गुण शील विवेक लगैले पाख
ईर्ष्या द्दोष सं जैइर भेलेह राख 
अपना ऊपर परलौ तेह करैछे हाय हाय
की आभू चेत रे भाई.....................२
 
अपन बाजब लागैछौ अमृत
आनक बोली लागैछौ तित
अपन हंसी पैर अपने ख़ुशी
आनक हंसी पैर किएक दू:खी
अपना ऊपर परलौ तेह करैछे हाय हाय
की आभू चेत रे भाई.....................२
 
हमही खाऊ हमही निक पहिरी
हमही सुख शैल मोज करी
लुईट गरीबक धन सं भरी अपन भखारी
तोहर महत्वाकांक्षा छौ बड़ भारी
अपना ऊपर परलौ तेह करैछे हाय हाय
की आभू चेत रे भाई.....................२
 
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट