केलेय ने कखनो केकरो भलाई
दमन शोषण रूपी तू कसाई
करनिक भरनी सं भेलौ जग हँसाई
अपना ऊपर परलौ तेह करैछे हाय हाय
की आभू चेत रे भाई.....................२
मानवता कय रखले ताख
दानवता कय बुझले साख
गुण शील विवेक लगैले पाख
ईर्ष्या द्दोष सं जैइर भेलेह राख
अपना ऊपर परलौ तेह करैछे हाय हाय
की आभू चेत रे भाई.....................२
अपन बाजब लागैछौ अमृत
आनक बोली लागैछौ तित
अपन हंसी पैर अपने ख़ुशी
आनक हंसी पैर किएक दू:खी
अपना ऊपर परलौ तेह करैछे हाय हाय
की आभू चेत रे भाई.....................२
हमही खाऊ हमही निक पहिरी
हमही सुख शैल मोज करी
लुईट गरीबक धन सं भरी अपन भखारी
तोहर महत्वाकांक्षा छौ बड़ भारी
अपना ऊपर परलौ तेह करैछे हाय हाय
की आभू चेत रे भाई.....................२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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