सोमवार, 7 नवंबर 2011

दहेज़ की आग लगी है@प्रभात राय भट्ट

कहीं  दीपा जली है
कहीं ज्योति  जली है
जैसे लग रहा है
दहेज एक नरसंघार बना है
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२

कहीं  बेट्टी जली है
कहीं बहु जली है
जैसे लग रहा है
दहेज़ की आग लगी है
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२

कहीं मीना जली है
कहीं नगीना जली है
जैसे लग रहा है
मेरी प्यारी बहना जली है
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२

कहीं घर जला है
कहीं घरवाली जली है
जैसे लग रहा है
एक प्यारी दुल्हन जली है
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२

कहीं दिल जला है 
कहीं दिलवर जली है 
जैसे लग रहा है 
मोहबत की चित्ता जली है 
दहेज़ बना नरसंघार यहाँ
अब बेट्टी वाले जायेंगे कहाँ //२
 रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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