शनिवार, 21 मई 2011

सजना हमर मनमोहना@प्रभात राय भट्ट

हे ययो दुलरुवा सजना हमर मनमोहना,
अहाँ बिनु दिन राईत हम काटैछी कहुना,
बितल अषाढ़ एलई देखू सावन के महिना,
संगीसहेली सभक आबिगेलय प्रियतम पहुना,

मिलल नजैर अहाँ संग  हमर जहिया स:,
अहाँ बिनु दिल लगैया नए हमर तहियाँ स:,
बड़ मुश्किल स: हम दिन राईत काटैछी,
सद्खैन सजना अहाँक बाट तकैत छि,

टुनिया मुनिया चुटकुनिया के भेलई वियाह,
पुनिया ललमुनिया के द्वार  एलई बराती,
मुदा हम बनल छि संगी सभक सराती,
नीन्द स: उठी उठी गबैछी हम पराती,

यी सभ देखिक मोन कटैय हमर अहुरिया,
हम कहिया बनब अहाँक घर क बहुरिया,
हे ययो दुलरुवा सजना हमर मनमोहना,
अहाँ बिनु दिन राईत हम काटैछी कहुना,

एसगर राईतमें नुका नुका श्रृंगार करैछी,
लाल लाल चुनरी ओढ़ी हम पेटार करैछी,
मोने  मोन हम सोचलौ यी बेकार करैछी,
फेर अपने हाथे श्रृंगारक उज्जार करैछी,

हम तडपैछी जेना ज़ल बिनु तडपैय मीन,
जाईगजाईग प्रात: करैछी उडीगेल आईखक निन,
सजना निरमोहिया राखु हमर स्नेहक लाज ,
जल्दी स: लक आऊ बराती संग शाज बाज , 

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट




शुक्रवार, 20 मई 2011

मुह किया फुलौनेछी@प्रभात राय भट्ट

मुह किया फुलौनेछी नोर किया बहौनेछी,
किछ बाजु नए सजनी हमर प्राण प्रिया,
मोन कुह्कैया सजनी फटईय हमर हिया,
भूल करबै नए कहियो  देब  दगा प्रियतम,
अहाँक पबैला लेब हम  बेर हजार बेर जन्म,

संग देब अहाँ केर  जाधैर चलतै  हमर साँस,
अहूँ संग नए छोड़ब यी अछि हमर आस,
अहाँ छि अनमोल रत्न रखाब हम जतन,
अहिं पैर निछावर केनु प्रिया अपन तनमन,

अहाँक स्नेह स: मोनमे हमरा उमरल उमंग,
प्रेमक  डगैर पैर हम चलब अहाँक संग संग,
कियो तोईर नए सकैत अछि यी प्रेम बंधन,
आई नए त काईलह हेतई अपन प्रेम मिलन,

लाख बैरी हेतई दुनिया चाहे अओर जमाना,
प्रियतम जौं अहाँ संग दी त मिलजेतै ठेगाना ,
प्रेम स: उपजैय जिनगीमें रंगविरंगक बहार,
प्रेमक जे दुश्मन ओकर जिनगी अछि बेकार,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 10 मई 2011

हमारे देस की संबिधान@प्रभात राय भट्ट r

संबिधान की समयअब्धि 
 हो रही है अबसान,
अब कब बन पायेगी
 हमारे देस की संबिधान,
प्रचंड आया तांडब दिखाया,
जनता को खूब भ्रमाया,
जब तलक कुछ कर पता,
भला होता या बुरा होता ,
फस गए वेचारा अपनेही,
हाथों बुने हुए जाल में ,
हाथ आई लोटरी डूब गयी,
टुक्रे टुक्रे हुए सरे सपने,
छोड़ चले मात्रिका जो थे
उसके अपने,
बाबुराम किरण बैध भी
 क्या कम थे
कहदिए प्रचण्डको निक्मा,
वेचारे प्रचंड अक बक
 कुछ बोल न पाया ,
फिर एक नयी प्लान बनाया ,
उसमे भी जोर का झटका पाया,

सत्ता की कुर्सी पाने की लालच में 
कई सौदागर मौजूद थे,
गिरिजा बाबु की हाथ
 पड़े माधव के माथ,
 माधव की अतृप्त ईच्छा
 हुवा साकार,
बने एमाले की
मिलीजुली सरकार,
जनतामे एक नयी आस जगी,
झूठाही सही कुछ तो प्यास बुझी
माधव ने संबिधान बनाने की
 कसम उठाया,
झलनाथ और प्रचंडको ये बात 
रास न आया,
फस दिए उसके पैरों में जंजीर ,
तान दिए लक्ष्मण रेखा की लकीर,
प्रचंडने दिखाया अपना कारनामा,
माधव को देना पड़ा राजीनामा ,

तीर निशाने पर लग गयी,
मानो की झलनाथ की
झंझट टल गयी,
क्या होगा ईस देस का?
कब बनेगी संबिधान?
आनेवाली खतरा से
जनता है थर्कमान,
आक्रोशित हुए
देस की सारे जनता,
रेग्मी की हाथों पीट गई,
 झलनाथ जैसे राजनेता
झलनाथ को एक 
थपड क्या मारा,
रातो रात मिलगया ,
माओबादी का सहारा,

सत्ता की कुर्सी का
फिर से हुवा मारामारी   
झलनाथ ने कहदिया
अब वारी हैं हमारी,
जैसे की मानो उसकी
बपौती हैं सम्पति,
नहीं मिलने पर उसे,
 होगी बड़ी आपति,
जनताको तो सबोंने लुटा,
 एक वार तुम भी लुट्लो
भरलो अपनी माल खजाना,
पैसा भी पिट्लो,
संबिधान तो तुमसे भी
 न बन पायेगी,
क्यों की कीनर हो
तुम सारे के सारे,
बस हाय हाय करके
ताली बजाते रहो,
संबिधानसभा की
म्याद बढ़ाते रहों,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


शनिवार, 7 मई 2011

यात्रा@प्रभात राय भट्ट

मरलोउपरांत रहैय ओ आत्मा जीवंत,
जिनकर यात्रा होइत अछि अनन्त,
अनबरत चलैत रहू लक्ष्यक डगर पैर,
मिलय नए मंजिलक ठेगाना जाधैर,

पाछू कखनो घुईर नए ताकू,
डेग पैर डेग बढ़ाऊ आगू,
पाथैर कंकर पैर चल परत,
कांट क चुभन सहपरत,

भसकैय संगी सेहो साथ नएदिए,
एसगर जिनगी क यात्रामें चल पड़य,
रही रही मोनमें उठ्य जोर टिस,
जुनी कियो नए ताकत अहाँदिस,

भसकैय अपनों सम्बन्ध पराया,
साथ छोइड सकैय स्वस्थ काया,
मुदा टूटे  नए अटल विस्वास,
एक दिन बुझत मोनक प्यास,

भेटत अहांके अपन मंजिलके ठेगाना,
जिनगी अनंत यात्रा छै बुझत जमाना,
मरलोउपरांत रहैय ओ आत्मा जिवंत,
जिनकर यात्रा होइत अछि अनन्त,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


गुरुवार, 5 मई 2011

की अछि हमार नाम@प्रभात राय भट्ट

जन्म लेलौं हम जतय सीता माए के अछि गाम,
म्या गै हमरा एतेक बतादे की अछि हमार नाम,
किया कहैय हमरा सीसी बोतल आर बिहारी धोती,
आफद भगेल ख्यामे हमरा अपने देशमें दू छाक रोटी,
अपने देश बुझाईय परदेश शासक बुझैय हमरा बिदेशी,
नए छौ तोहर कोनो नागरिक अधिकार तू भेले मधेसी,
भूख स मोन छटपट करैय भेटे नए किछु आहार,
दया धर्म इमान नए छै शासक के किया करैय तिरस्कार,
की यी हमर राष्ट्र नए अछि? या हम सुकुम्बासी थिक?

बौआ हमर नुनु ययौ कान खोइलक दुनु सुनु ययौ,
अहाँ थिक मधेशक धरतीपुत्र हम अहाँक मधेस माए,
निठुर शासक के हाथ बन्धकी परलछि देलौं सब्किछ गमाए,
तन मन धन सब लुट्लक आब करैय खून पसीना शोषण,
आशा केर दीप अहिं अछि हमर वीरपुत्र करू मधेस रोशन ,
मधेसमे जन्म लेली जे कियो फर्ज तेकरा निभाव परत ,
नेपाल स मधेस माए के मुक्त कराब परत ,
सुन्दर शांत स्वतंत्र एक मधेस एक परदेश बनाब परत,
मंगला स त भेटल नए आब छीन क लेब परत ,
लड़ पडत आजादी के लड़ाई देब परत बलिदान ,
तखने भेटत मान समानं आ बनत मधेस महान ,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट