सोमवार, 27 जून 2011

हम एकटा पत्रकार छी@प्रभात राय भट्ट

हम एकटा पत्रकार छी उतर पूरब पश्चिम dakshin सं
खबर,घटना,सूचना,समाचार लाबैत छी,
पत्रिकामें छापि गाम गाम पहुंचाबैतछी,
एक दिन एकटा कार्यालय हम गेलहुं,
परिचयपत्र देख हमर भेल सभ परेशान,
एकटा कर्मचारी कहलक औ बैसू जजमान,
लेखाशाखामें रखल अछि अहांलेल अनुदान,
हम कहलहुं यी सभ हमरा किछु नए चाही,
बस हाकिम साहब सं भेटटदिय,
हम एकटा पत्रकार छी बस इंटरभ्यु लेब दिय,
एकटा महिला कर्मचारी झट सं बोलल,
हाकिम साहब छैथ मीटिंग में बड ब्यस्त,
जुनी अहां करू नै एतेक कष्ट,
पत्रकार सभक ब्यवहार सं हम सभ छी अभ्यस्त,
लेखापाल कें भेटगेल छै हाकिम साहबक आदेश,
जौं कोई पत्रकार आबे हुनका उपहार दिया विशेष,
किछु नै लिखू किछु नै छापू बंद रखु अपन बोली,
चुप चाप निकैल जाऊ ऐठाम सं भैरक अपन झोली,
हम कहलियैन यी सभटा बात अछि निराधार,
की पत्रकारों करेय भ्रष्टाचार ???
जौं पत्रकार भज्यात भ्रष्ट कोना भेटत समाचार प्रष्ट ???

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 21 जून 2011

अहां रहैत छि परदेस पिया@प्रभात राय भट्ट

अहां रहैत छि परदेस पिया,
एसगर लागेना मोरा जिया,
ओ सजनजी लागेना मोरा जिया.....२

जागल आईख सपना देखै छी,
नितदिन अहांक बाट तकैत छी,
अहांक देखैला फटेय हमर हिया,
ओ बलम जी लागेना मोरा जिया....२

रिमझिम वर्षीय सावनके बदरा,
केकरा संग सुतब लाईगक पजरा,
आईग लागल देहमें पिया जी मोरा,
ओ पिया जी लागेना मोरा जिया.....२

अहां विनु सुना लगैय पलंगिया,
गाम आबिजाऊ बलम जनकपुरिया,
बुझाऊ प्यास मिलनके जुडाऊ हिया,
ओ सजन जी लागेना मोरा जिया......२

देखू पिया उमरल जैइय हमर जवानी,
जेना सावनमें उमरैय कमला कोशीके पानी,
जुवानी भरेय हुकार अहां आबैछी नए किया,
ओ बलम जी लागेना मोरा जिया.........२

देखू सजनजी हम सोलह श्रृंगार केने छी,
अहिंके सूरत सैद्खन  हम ध्यान देने छी,
पंख लगा उईर आऊ घुईर फेर नै जाऊ,
ओ सजनजी अहां बिनु लागेना मोरा जिया....2

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट



६०१ सभासद महान@प्रभात राय भट्ट

जे नै देखलौं कतय दुनियां में
ओ सभटा देखलौं नेपाल देस में
चोर डाका घुसल शिंहदरवार में
लोकतान्त्रिक नेता क भेष में
लूटपाट में सभ लागल अछि
 देसक मालखजाना
भिखमंगा कह्बैय अपना के 
आब उच्च राजघराना 
साईकल जे चलबैछल बिनु ब्रेक के
ओ करैय लैंडक्रूजर के सवारी,
जे पेनहैछल फाटलपुरान अंगा
ओ पेन्हैय आब सुटसफारी
उज्जर केश रैंग करैय कारी
खाई में जेकरा छल आफद चायपान
ओ बियर वार में करैय मधुपान
गाम में जेकर छल टुटलफूटल मकान
राजधानीमें बनौलक महल आलीशान
देखू यी चोर नेता सभक शान
सय में अछि पचासी बेईमान
तैयो अछि ६०१ सभासद महान
जे नै देखलौं कतय दुनियां में
ओ सभटा देखलौं नेपाल देस में
दू वर्ष में नै बनौलक संविधान
संविधानसभाक समय केलक अवसान
फेर एक वर्ष ललक अनुदान
ओकरो यी ६०१ केलक अपमान
फेर लेलक ३ महीनाक अनुदान
दिन बितल जाईय देखू
कहिया बनत संबिधान
गिद्ध जिका करैय सभ घिचातानी
नेता सभक पोषण में
 देसक टाका बनल पानी
तिन पार्टी में तेरह गुट
स्वार्थलोलुपतामें भेल फुट
करैय में लागल अछि सभ ब्रम्ह्लुट
सावधान!! सावधान!! सावधान!!
भलेही तू नेता जो स्वार्थमें फुट
मुदा हम जनता अखनो अछी एकजुट
शाही तंत्र के हम जनता केलौं अंत
जुनी बुझिहें अपनाक बलबंत
जौं तिन महिनामें संविधान नै बनलौं
हेतौ ६०१ सभासद्क शर्मनाक अंत !!!

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट





स्नेह लगाक@प्रभात राय भट्ट


गजल:-

स्नेह लगाक किये मुह  मोईड लेने छि,
प्रीत जगाक दिलमे किये छोइड देने छि,
अंहि सिखेलौं हमरा यी प्रेमक परिभाषा,
जुनी बनू बेदर्दी पूरा करू हमर अभिलाषा,
उईड चलू प्रेम नगर मोनमें इक्षा जगल,
मिलनके प्यास बुझाब  हम येलु भागल,
प्रेम मे अहांक प्रियतम भेल छि हम बताह,
सभटा जनैतबुझैत अहां बनल छि घताह,
हम अहां बिनु जिब नए सकब सजनी,
जहर बियोगक पीव नए सकब सजनी,
हम देखैछि अहांके जेना चाँदके देखैय चकोर,
आऊ सजनी अन्हार जिन्गिमे कदीय ईजोर,
देखू रिमझिम रिमझिम बरशैय साबनके बदरा,
फुल अहां छि हम भंभरा,रसपान कराउ हमरा,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

रविवार, 19 जून 2011

हम दू:खिया दू:ख केंय मारल@प्रभात राय भट्ट

हम दू:खिया दू:ख केंय मारल@प्रभात राय भट्ट

हम दू:खिया दू:ख केंय मारल के पूछत हमर हाल,
केकरा स कहू के पतियाईत हमर बिप्तिक हालत,
अपने सुखमें आन्हर भेल अछि ऐठाम सभ नेहाल,
अपन हारल दुनियाके मारल भेल छि हम बेहाल,

दू:ख के सागर में अटकल अछि हमर जिनगीक  नैया,
विधाता भेल बेपक्ष बईमान मलाह  भेटल हमर खेबैया,
हम कोना उतरब पार बिधाता फसल छि बिच मजधार,
किछु नै सुझाइय किछु नै बुझाईय कोना हयात उद्धार,

दोस्त बनल दुश्मन अपन नाता गोता सेहो भेल पराया,
फूटल करम हमर जहिया स: कालचक्र के परल छाया,
हम निर्दोष सरस बोली बजैत अछि दिल स: साँच साँच,
दोषी कहिक धधरा में लगाबैय सभटा हमरा आंच,

सुईखगेल आईखक नोर कल्पी रहल अछि हमर ठोर,
करैय घाऊमें नुनदलन यी दुनिया भेल केहन कठोर,
जिनगी भेल पहार की दुनिया लगैय आब अन्हार,
अपनों आब मुह मोडैय जेना रही हम अनचिन्हार,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 17 जून 2011

माए अहाँ ऐइ जग में महान छि@प्रभात राय भट्ट

माए अहाँ ऐइ जग में महान छि,
हमरा लेल अहाँ एकटा भगवन छि,
नौ मास हमरा  गर्भ में रखलौं,
मृत्युक मुहमें जाक जन्म देलौं,
ब्यथा पीड़ा वेदना सभटा सहलौं,
हर्षित मोन स मलमूत्र सेहो केलों,
अमृत समान धुधपान करेलों,
जागी जागी अहाँ राईत बितेलौं,
आँचर स झापि गोद में सुतेलौं,
हम अबोध किछु नए बजलौं,
मोनक बात अहाँ सभटा बुझ्लौं,
हमर सुख में अहाँ कतेक दू:ख उठेलौं,
था था करी आँगुर पकरी चलब सिखेलौं,
माँ माँ बा बा बोलीक  बाजब सिखेलौं,
बत्सलनिश्छल प्रेम हमरा पैर लुटेलौं,
ममताक रूप भगवतिक स्वरुप,
माए हम इस्वर में देखैत छि अहींक रूप,
मंदिर मस्जिद सभठाम गेलौं,
मुदा अहाँ स बैढ़क ओ भगवन की ,
जईमें अहांक सूरत नै देख्लौं,
माए अहिं छि चारोतीरथ चारोधाम,
जन्म जन्मान्तर हम रटब अहींक नाम,
माए अहाँ ऐई जग में महान छि,
हमरा लेल एकटा भगवान छि,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 16 जून 2011

एकटा उड़नखटोला कक्का छै@प्रभात राय भट्ट



एकटा उड़नखटोला कक्का छै,
सकल्सुरत स भोलाभाला, 
मुदा एकनंबर उचका छै,
सत्य कहैत हुनका बड तित लगैय,
झूठ बोलैत बड मीठ लगैय,
भीतर स छैथ ओ बिलकुल खाली,
झूठमुठमें हैंस हैंस क मारैय ताली,
घरमें छथि दू दुगो घरवाली,
मुदा हुनका मोन परैय छोटकी साली,
धुवा धोती में लगाबैय टिनोपाल,
सिल्क कुरता पैर छीट लालेलाल,
कान्हा पैर रखैय मखमल के रुमाल,
अजब गजब छै हुनक चालढाल,
सुइत उईठ भोरे भोरे करैया मधुपान,
गप मारी मारी खाय पिबैय चायपान,
चाहे दिन भैर हुनका भेटे नै जलपान ,
मुदा सैद्खन मस्त रहैय करैमे धुम्रपान,
झुठमुठ क करैया ओ रोजगारी,
चौक चौराहा बैठ क मारैय पिहकारी,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 5 जून 2011

बाबुजी छैथ बड होसियार@प्रभात राय भट्ट

हमर बाबुजी छैथ  बड होसियार,
हुनका सन कियो नै बुधियार,
लेनदेनमें छैथ ओ बड माहिर ,
भला अर्थ स: संसार चलैय,
ई बातों छै जग जाहिर,
हम कहैछी बी.ए.एम्.ए.पढ़दीय,
बाबु कहैछैथ बस आब रहदीय,
आई.ए.पैढ़ लेलौ ई की कम अछि?
हम कोण पढ़ल लिखल ?
मुदा शिक्षा मंत्री बनल अछि,
पि.ए. स:सभटा काज कराबैछी,
साइनके जगह औठाछाप लगाबैछी,
काज करू एहन जैमे पाए नै लागे,
बैसल बैसल अपार धन सम्पति घर आबे,
बात हमर सुन बेट्टा,बन तहूँ हमरा सन नेता,
फेर देख जिन्दगी में चमत्कार भजेतौं,
हमरा संग संग तोरो उधार भजेतौं,
जो मंदिर,मस्जिद में आईग लग्बादे,
गिरजा घर,बौध गुम्बा पर डोजर चल्बादे
ई सब करिहे राईत के अन्हार में,
दू चाईर गो हिन्दू के गिरादीहे ईनारमें,
फेर देख हिन्दू मुस्लिम में लडाई भजेतई,
हमरा नेता सभक बड़का कमाई भजेतई,
भलेही मंदिर मस्जिद के आईग बुईझ जेतई,
मुदा धर्म मजहब केर आईग लागले रहतई,
अनेरो घुमैत रहिहे गामेगाम टोला टोला,
साथ वोकरे दिहे जेकर छै बोलबाला,
वोट बैंक बैढ़ जेतौं भजेबें तहूँ हमरा सन नेता,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट





गुरुवार, 2 जून 2011

एतेक चंचल तू किये@प्रभात राय भट्ट

एतेक चंचल तू किये
भेले रे मनमा,
भभर में हम फसल छि
तोहरे करनमा,
हमरा जे नै भावे 
ओतह करेछे  तू परिक्रमा ,
कह कोना हेतई
हमरो दिन सुदिनमा,
राईत दिन साझ सबेरे
रहैछे तू अपने फेरे,
निक बेजाई किछु नै सोचे
मस्त रहैछे तू अनेरे,
जालमे तोरा फसलछि
केने छे तू केहन काबू,
कियो जाईन नए सकल
रे मनमा तोहर जादू,
क जाईत छे तू एहन काम,
भ ज्यात छि हम बदनाम,
सूक्षम अतिसूक्षम रूप तोहर,
कियो देख नै सकैय तोरा,
निक काज में प्रसंसा
बेजाय में उलहन परे मोरा,
हम तारा स दूर दूर भागी,
मुदा साथ नए छोड़े तोहर छाया,
हमरा काया के भीतर,
पसरल छौ तोहर महामाया,
रे मनमा कोना हम समझाऊ,
तू हवा स तेज बुझाइतछें,
जते हम सम्झाबी तोरा,
ओत्बें तू बहकल जाईछें,
क्षण में महल माकन बनबैछे,
होस अबैत सभटा गिरबैछे,
कखनो राजा कखनो रंक,
कखनो जोगी कखनो भोगी,
हम तोहर की तू हमर ??

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट





मातृभाषा@प्रभात राय भट्ट

मिथिलावासी बोल बोलू मेची स: महाकाली,
हिंदी उर्दू इंग्लिस चाहे बोलू आऔर नेपाली,
मुदा सब स अनमोल रत्न अछि अपने मातृभाषा,
किया तुलल छि कर पैर मातृभाषा के दुर्दशा,
जन्म लैत कान स:सुनलौ मैथिलि स्वर मधुर,
मैथिलि स्वर मधुर सुनीक नाईच उठैय मयूर ,
सरस सरल ममता सा भरल अछि माएक बोली,
जेना आमक गाछी में कु कु कु कुह्कैय कोयली,
मथिली भाषा आ मिथिलाक जीवनशैली स:
उत्तपन भेल अछि मिथिलाक विराट संस्कृति,
मनमोहक आ मनोरम अछि मिथिलाक प्रकृति,
गंगा हिमालय कोशी गण्डकी के मध्य्भूमि,
हराभरा जंगल एतिहासिक नदी के संगम,
अछि प्रेम प्राग सुन्दर अनमोल अनुपम,
हिंदी उर्दू इंग्लिस बोली चाहे अओर बोलू नेपाली,
माए के माथक टिकुली अछि मैथिलि बोली,
टिकुली बिनु सुन्दर नै लागत माएक सृंगार,
अपने हाथे किये करैत छि माएके सृंगारक ऊजार,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट