सपना हमे दिखाया था
काश ये सपना पूरा हो पता
हमारे बच्चे स्वतंत्र हो जाता
तेरे साथ साथ हमने भी
अपना कदम बढाया था
स्वतंत्र मधेश की यात्रा में
रक्त भी बहाया था
हमने अपने
सिने पर गोली खा कर
प्राण की आहुति तक दिया था
सुना है की तुम
कायर कांतर की भांति
बहती नदिया में
तुम नहा धोकर
सता पाने की महत्वाकांक्षा में
कभी मोर्चा बनाकर जुट जातें हो
धिकार .....है
गिरगिट की तरह
रंग बदलनेवालों पर
मधेश माँ तुझे ललकार रही है
तेरी माँ तुझे धिकार रही है
गुलामी की जंजीर में जकड़ी
तेरी माँ चीत्कार रही है
पर तू विलीन है
दमनकारी के मेल में
लिप्त है तू पैसा कमाने के खेल में
मुझे स्वतंत्र कर
एक मधेश एक प्रदेश बनाएगा
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
हमने उन सपनोको
अपने दिलमे सजाया था काश ये सपना पूरा हो पता
हमारे बच्चे स्वतंत्र हो जाता
तेरे साथ साथ हमने भी
अपना कदम बढाया था
स्वतंत्र मधेश की यात्रा में
रक्त भी बहाया था
हमने अपने
सिने पर गोली खा कर
प्राण की आहुति तक दिया था
अफसोश इस बात की नहीं
की तुम मुझे भुला दी है सुना है की तुम
कायर कांतर की भांति
पथभ्रष्ट हो गया है
हम सहिदों की खून से बहती नदिया में
तुम नहा धोकर
बहुरुपिया नेता कहलाने लगा है
हम सहिदों की सपनेको
तुम अपने स्वार्थमें मिटाने लगा है सता पाने की महत्वाकांक्षा में
कभी मोर्चा बनाकर जुट जातें हो
तो कभी स्वार्थलिप्सा में फुट जाते हो
मोटी रकम मिलने पर
खुद ही बिक जाते हो
धिकार है,धिकार है,धिकार है
तुम जैसे मकार नेताओ पर धिकार .....है
गिरगिट की तरह
रंग बदलनेवालों पर
मधेश माँ तुझे ललकार रही है
तेरी माँ तुझे धिकार रही है
गुलामी की जंजीर में जकड़ी
तेरी माँ चीत्कार रही है
पर तू विलीन है
दमनकारी के मेल में
लिप्त है तू पैसा कमाने के खेल में
तेरी माँ अब भी राह देख रही है
मेरा वीर सपूत वापस आएगा मुझे स्वतंत्र कर
एक मधेश एक प्रदेश बनाएगा
मधेशियों का जन्मशिद्ध अधिकार दिलाएगा
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