गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

माँ तेरी आँचल है रक्तरंजित 
वीर सपूत सहिदों की खून से 
तेरी दर्द वेदना की चीत्कार सुनकर
मैं सो नहीं सका सकूँ से
गहरी नींद में सोये मधेसियों को
ललकार ललकार कर जगाऊंगा
मधेश आजादी की धुन से
माँ तेरी दुर्दशा देखकर
धधकरही है हमारे सिनेमे जो आग 
उसी आगमें सामंतवादी 
शाषक का चिता हम जलाएंगे 
दमन शोषण उत्पीडन को 
सदाके लिए हम मिटायेंगे 
हम मधेसी एक मधेश
एक प्रदेश बानायेंगे
माँ तेरी स्वतंत्र भूमि में
आजादी की झंडा लहरायेंगे 
जब बनेगा एक मधेश एक प्रदेश
तब स्वतंत्र होगा हमरा मधेश
मिलेगा हमारा अपना अधिकार विशेष
मिट जाएगी जन जन की कलेश
घर आंगनमें होगी खुशियों की प्रवेश
 
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
 

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