बुधवार, 7 दिसंबर 2011

उठाऊ नए सजनी घुंघटा@प्रभात राय भट्ट

लग आबू नए सजनी प्राण प्रिया
अहांक सूरत देखैला फाटेय हिया
केस लागैय कारी बादलक घटा सन
देह लागैय  बिजुली  केर  छटा सन
हौले हौले उठाऊ नए सजनी घुंघटा //
मुह  देखीमें  देब  रेशम  कय दुपटा //२

लग आबू नए सजनी प्राण प्रिया
अहांक सूरत देखैला तडपैया  जिया
आजुक राईत गोरी अछि खास यए
मोनमे लागलअछ मिलनक प्यास यए
हमरा गलामे गोरी गलहार द दिय //
अई बदलामे हिरा केर हार ल लिय//२ 

लग आबू नए सजनी प्राण प्रिया
अहांक सूरत देखैला तरसैय अंखिया
लाज  सरम गोरी   किया करैतछी
हम तें  सजनी  अहिं  पैर मरैतछी
लग आबू नए सजनी प्राण प्रिया//
आन बुझु नए हम छी आहंक पिया//२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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