शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

गीत बालविबाह@प्रभात राय भट्ट

हम नए ब्याह करब यौ बाबा वालीउमरिया में !!

पढ़ लिख खेल कूद दिय,हमरा अपन संग्तुरिया में !!

--निक घर वर भेटल छौ,दहेज सेहो कमे मंगैछौ !!

आगुम की हेतै से नए मालूम,ब्याह करहीटा परतौ !!

ब्याह करहीटा परतौ गे बेट्टी.........................!!

--हम चौदह वरखक कन्याकुमारी अहाक राजदुलारी !!

मुदा दूल्हा छैथ विदुर आ पाकल हुनक केस दाढ़ी !!

हम नए ब्याह करब यौ बाबा वालिउमरिया में २ !!

--दूल्हा विदुर भेलई तईस: की धन सम्पति अपार छई !!

भेटतौ नए कतौ एहन घर वर दूल्हा सेहो रोजगार छई !!

--रुईक जाऊ रुईक जाऊ बाबा यौ हमरा पैघ होब दिय !!

पैढ़लिख क हमरो कोनो सरकारी नोकरी करदिय !!

बेट्टावाला अहाक दरवाजा पर अओता !!

कहता अहाक बेट्टी स:हम अपन बेट्टा क ब्याह करब !!

अहा कहब नै नै अखन हम बेट्टी क ब्याह नए करब !!

फुइक फुइक क चाय पीयब ,अहू किछ शान धरब !!

हम नए ब्याह करब यौ बाबा वालिउमरिया में !!

--एक लाख टका के बात कहले तू भगेले सयान गे !!

बेट्टी क भविष्य नए सोचलौ,हमही छलौ नादान गे !!

बेट्टी क ब्याह कोना हयात सतौने छल हमरा दहेज़ क डर !!

बाल विबाह करबई छलौ,खोईज लेलौ बुढ्बा वर !!

नए ब्याह करबौ गे बेट्टी तोहर वालिउमरिया में !!

पढ़ लिख खेलकूद तू अपन संगतुरिया में !!

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

कुमारी धिया@प्रभात राय भट्ट

सुनु सुनु यौ मिथिलावासी आऔर मिथिलाक बाबु भैया !!
संगी सखी सभक भेलई ब्याह, हमर होतई कहिया !!
तिस वरखक भेली हम, मुदा अखनो रहिगेली कुमारी धिया !!
हमरा लेल नए छाई संसार में, एक चुटकी सिंदुरक किया !!
रोज रोज हम सपना देखैत छि, डोली कहार ल्या क ऐलैथ पिया !!
आईख खुलैय सपना टूटईय, जोर जोर स: फटईय हमर हीया !!
गामे गाम हमर बाबा घुमैय,ल्याक हाथ में माथक पगरी !!
कतहु वर नए भेटैय,की विन पुरुख के छई यी मिथिला नगरी ?!!
बेट्टावाला केर चाहि पाँच दश लाख टाका आ गाड़ी सफारी !!
तिनचाईर लाख टाका ऊपरस:जौ चाहैछी जे ओझा करे नोकरी सरकारी !!
अन्न धन्न गहना गुरिया एतेक चाही जे भईरजाई हुनक भखारी !!
बेट्टीवाला दहेज़ में सबकुछ लुटा क अपने भजाईत अछि भिखारी !!
बाबा हमर खेत खलिहान बेच देलन आ बेच रहल छैथ अपन घरारी !!
अहि कहू यौ मिथिलावासी आऔर मिथिलाक बाबु भैया !!
कतय स:देथिन बाबा हमर दहेज़ में एतेक रुपैया !!
रचनाकार: प्रभात राय भट्ट


मिथिला माए@प्रभात राय भट्ट




अहो भाग्य अछि हमर जन्म लेलौ मिथिला माए के कोरा में !!

एहन निश्छल आ बत्सल प्रेम भेटत नए चाहुओरा m

प्रकृति केर सुन्दर उपहार ,संस्कृति केर बिराट संसार !!

मानबता केर सर्बोतम ब्याबहार मिथिलाक मुलभुतआधार !!

राम रहीम मंदिर मस्जिद दसहरा होई या ईद क रित !!

मिथिलावासी हिदू होई या मुस्लिम एक दोसर स:करैछैथ प्रीत !!

मिथिलाक पसु पंछी सेहो जनैत अछि प्रेमक परिभाषा !!

मधुरों स:मधुर अछि मिथिलाक मैथिलि भाषा !!

ज्ञान सरोबर एतिहासिक धरोहर अछि मिथिलाक संस्कृति !!

मन मग्न भजईत अछि देख क सुन्दर आ मनोरम प्रकृति !!

मिथिले में जन्म लेलैथ सीता केर रूप में माए भगवती !!

महाकवि विद्यापति केर चाकर बनला महादेव उमापति !!

वैदेही केर सुन्दरता पर मोहित भेलैथ भगवान राम !!

बसुधा केर हृदय बनल अछि हमर महान मिथिलाधाम !!

कहैछैथ शास्त्र पुराण विद्वान पंडित आऔर प्रोहित !!

मिथिलावासी क दर्शन स:मात्र भजाईत अछि !!

मनुख क सम्पूर्ण पाप तिरोहित !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट



मिथिलांचल@प्रभात राय भट्ट



गंगा तट स: हिमालय केर पट

कोसी स: गनडकी तक !!

यी सम्पूर्ण भूमि अछि मिथिलांचल !!

जतेय बहथी निर्मलगंगाजल !!

हम थिक मिथिलाभूमि केर संतान !!

मिथिलांचल अछि हमार आन वान शान !!

मिथिलाक संस्कृति अछि हमर स्वाभिमान !!

स्वर्ग स: सुन्दर अछि हमर मिथिलाधाम !!

वसुधा केर हृदय थिक यी जनकपुरधाम !!

जतेय जन्म लेलैथ माँ जानकी आऔर साधू संत कवीर !!

एतही परम्पद पैलैथ ऋषि मुनि संत महंथ आऔर फकीर !!

राजर्षि जनक छलैथ विदेह राज्यक महर्षि राजा !!

कवी कौशकी गंडक बाल्मिकी मंडन !!

भारती सुशीला कुमारिल भट्ट नागार्जुन !!

महाकवि बिध्यापतिसं: बिद्वान रहथि प्रजा !!

मिथिला रहथि न्यायिक आऔर मसंसा ज्ञानक प्रदाता !!

येताही ब्याह केलैथ चारो भाई मर्यादापुरुषोतम राम बिधाता !!

मिथिला अछि भारतवर्ष केर प्राकृतिकाल स: ज्ञानबिज्ञान क स्रोत !!

यी सब हम जनैत भेलंहू ख़ुशी स: ओत प्रोत !!

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


अशांत मधेस@प्रभात राय भट्ट


समस्या दिन पे दिन बढती ही जारही है , कल तक हमे अपने मान समान हक अधिकार की फिक्र थी तो आज हमे अपनी जन-धन और इज़त की खतरा नजर आरहा है । मधेश में हर दिन सुननेको मिलता है . . .हत्या आतंक ,चंदा ,अपहरण ,चोरी और डकैती की संजाल फैल्ताही जारहा है .अशिक्षा , उदंड , दमन अशिष्ट समाज की प्रबिर्ती बढ्ताही जारहा है .जिसकी लाठी उशकी भैंस बाली कहाबत आज हमारे मधेश में चरितार्थ हो रहा है .साधू संत भ्द्रभ्लादमी एबम सजनब्रिंद को जीना मुहाल हो गया है . एक तरफ हम अपनी अधिकार सूरछित करने के लिए सरकार से लड़ रहे है दुशरी तरफ हमे अपनेही समुदाय के लोग से खतरा बढ़ रहा है . तो क्या हम चुप चाप ये तानडब देखते रहेंगे या कुछ करेंगे ? हम सारे युवा मिलेंगे तो एक नयी सोच पैदा होगा समाजमे बिकृतियाँ रोकने की जागरूकता फैलेगी .और हम युवा एक स्वक्छ , सबल , स्वश्थ, शिक्षित एबम आदर्श मधेस समाज की निर्माण कर सकते हैं .और ये हमारी मुलभुत कर्तब्य है .क्यों की युवा पीढ़ी से ही समाज की निर्माण होती है .हमे अपना घर खुद बनाना पड़ेगा नहीं तो कल आनेवाला पीढ़ी हमे प्रश्न की घेरो में घेर लेगा और हमारे पास कोई जवाब नहीं होगा !.तो आओ हमारे मधेस की युवा क्यों की नेता हो तुम्ही हमारे लिए .ख़तम करदो हत्या हिंसा और जुल्म सदियों के लिए !!!!!!! जय मधेस . . . . . . . .जय मातृभूमि !!!!!!!

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

आबिगेलई होली@प्रभात राय भट्ट



गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया,आबिगेलई होली !!

अहि केर प्रेमक रंग स: रंगाएब हम अपन चोली !!

यी प्रेमक पाती में लिखरहल छि अपन अभिलाशाक बोली !!

अईबेर प्रभात भाईजी गाम अओता की नए पूछीरहल अछि फगुवा टोली !!

बौआ काका के दालान में बनिरहल अछि फगुवाक प्लान !!

चईल रहल छई चर्चा अहिके चाहे खेत होई या खलिहान !!

कनिया काकी कहै छथिन बौआ क देखला बहुते दिन भगेल !!

वित साल गाम आएल मुदा विना भेट केने चईल्गेल !!

अहाक संगी साथी सब एक मास पाहिले गाम आबिगेल्ल !!

अहाक ओझा २५ किल्लो क खसी आ भांगक पोटरी अहिलेल दगेल !!

गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया जुड़ाउ हमर हिया !!

पूवा पूरी सेहो खिलाएब ,घोईर घोईर पियाएब हम अहाक भंग !!

अहि केर हाथक रंग स: रंगाएब हम अपन अंग अंग !!

रंग गुलाल अवीर उडाएब हम दुनु संग संग !!

प्रेमक रंग स: तन मन रंगाएब एक दोसर के संग संग !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

गंगा माई@प्रभात राय भट्ट


धर मन धीर चल गंगा केर तीर ,

तन मन की मैल धोत है गंगा के नीर ,

महादेव की जटा से बहत है गंगा की धरा ,
गंगाजल की महिमा गाए जग सारा ,

तिनोलोक में भए गंगाजल अमृत समान ,

देव दानव मानब भए अमर,करके गंगाजल्पान ,

निर्धन को धन बाझिनको पुत्र मिले कोढिको काया ,

जान सकेना कोई,अपरम्पार है गंगा माई की महामाया ,

शरण जाये जो गंगा माई के होई तिनके मनोकामना पूरा ,
सर्व सुख पूर्ण होई तिनके ,रहेना कोई कामना अधुरा ,

गंगा की बखान करे कवी कोविद तुलसी गोसाई ,

जय जय गंगा माई होई हम भक्त पर सहाई ,

तुम विन न कोई ईस गरीब का और दूजा ,

नित्यदिन श्रद्धा सुमन से करहु तेरी पूजा ,

गंगा माई है प्रकृति का सुन्दर उपहार ,

जो जाये गंगा माई की शरण में होई तिनके उधार ,

जय जय जय गंगा माई ,होहु हम भक्त पर सहाई,

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

हम रहित छि परदेश@प्रभात राय भट्ट



हम रहैत छि परदेश मुदा प्रेम अछि अपने देश स:!!

हम छि पावनभूमि मिथिलाधाम मधेस स:!!

लिखैत छि चिठ्ठी अपन ब्याथ केर नैनक नोर स:!!

मोनक बात चिठ्ठी में लिखैत छि मुदा बाईज नई सकैत छि ठोर स:!!
लिखैत छि अपन दुःख क पाती,रहैत छि कोना परदेश में !!

अईब केर परदेश हम फैस गेलौ बड़का क्लेश में !!

माए केर ममता भौजी केर स्नेह बिसरल नई जाईय !!
साथी संगी खेत खलिहान हमरा बड मोन परईय !!

माथ जौ दुखैत हमर माए लग में अब्थिन !!

की भेल हमर सोना बेट्टा के कहिक माथ मालिश करथिन !!

बोखार जौ लागैत हमरा भौजी बौआ बौआ करैत लग अब्थिन !!

दुधक पट्टी माथ पर रख्थिन आ दबाई ला क हमरा खुअब्थिन !!

मुदा अ इ परदेश में धर्ती गगन चंदा सूरज सब लगईय अनचिन्हार !!

बड अजगुत लगैय हमरा देख क ऐठामक दूरब्यबहार !!

मानब्ता नामक छीज नई छई इन्शान बनल अछि इंजिन !!

अठारह घंटा काम कर्बैय मालिक बुझैय हमरा मशीन !!

जान जी लगाक केलौ काम दू चैरगो रोग हमरा भेटल इनाम !!

नई सकैत छि त आब कामचोर कहिक हमरा केलक बदनाम !!

लिखैत छि कथा अपन ब्यथा केर बुझाब आहा सब बिशेष में !!

नून रोटी खैहा भैया अपने देश में ,जैइहा नई परदेश में !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

बालविधवा@प्रभात राय भात


आहा जे नई भेटतौ त जिनगी रहित हमर उदास !!

सागर पास होइतो में बुझैत नई हमर मोनक प्यास !!

अहि स पूरा भेल हमर जिनगी केर सबटा आस !!

नजैर में रखु की करेजा में राखु अहि छि हमर भगवान !!

उज्जरल पुज्जरल हमर जिनगी में आहा एलौ !!

रंग विरंग क ख़ुशी केर फूल खिलेलौं !!

की हम भेलू अहाक प्रेम पुजारी ,अहा हमर भगवान यौ !!

मुर्झायल फूल छलौ हम ,अहि स खिलल हमर प्रेमक बगिया !!

बालविधवा हम अबोध छलौ ,समाज केर पैरक धुल !!

उठैलौ अहा हमरा करेजा स लगैलौ, बैनगेली हम फूल !!

पतझर छलौ भेल हम,सिच सिच क अहा लौटेलौ हरियाली !!

अनाथ अबला नारी के अपनैलौ आ बनेलौ अपन घरवाली

अहि स यी हमर जिनगी बनल सुन्दर सफल सलोना !!

गोद में हमर सूरज खेलैय,अहा बनलौ बौआक खेलौना !!

हमर उज्जरल पुज्जरल जिनगी में अहा येलौ !!

रंग विरंग क ख़ुशी केर फूल खिलेलौ,ख़ुशी स हमर आँचल भरलौं !!

हमर मन उपवन में अहि बास करैत छि, अहि केर हम पूजित छि !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

गीत:-माहासंग्राम@प्रभात राय भट्ट


संग्राम संग्राम ई अछि मधेस मुक्ति केर महासंग्राम !!
विना हक हित अधिकार पौने हम नए लेब आब विश्राम !!
अईधैर हम सहित गेलौ दुस्त शासक केर अन्याय !!
मुदा आब नई हम सहब लक हम रहब अपन न्याय !!
निरंकुश शासक शासन करईय घर में हमरा घुईस !!
मेहनत मजदूरी हम करैतछि, खून पसीना ललक हमार चुईस !!

अढाईसय वरखक बाद आई भेलई मधेस में भोर हौ !!
गाऊ गाऊ गली गली में आजादी क नारा लागल छै जोर हौ !!
निरंकुश शासक कहैया हम छि बड़ा बलबंत !!
मुदा आई हेतई दुष्ट निरंकुश शासक केरअंत !!
संग्राम संग्राम यी अछि मधेस मुक्ति केर महासंग्राम !!
विना हक हित अधिकार पौने आब नई हम लेब विश्राम !!

अईधैर हम सहैत गेलौ उ बुझलक हमरा कांतर !!
तन मन धन सब कब्जा कौलक हमरा बुझलक बांतर !!
आब हम मांगब नई छीन क लेब अपन अधिकार हौ !!
उतैर गेलौ हम रणभूमि में करैला दुष्ट शासक केर प्रतिकार हौ !!
मेची स महाकाली चुरेभावर स तराई,समग्र भूमि अछि मधेस माई !!
हिन्दू मुश्लिम यादव ब्राम्हिन थारू सतार संथाल हम सब एक भाई !!
जातपात कोनो नई हमर हम सब छि एक मधेसी हौ !!
अपन भाषा भेष संस्कृति नया संविधान में हम करब समावेशी हौ !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 20 फ़रवरी 2011

गीत स्वतंत्रता के@प्रभात राय भट्ट


सुनु सुनु ययो बाबु भैया ,
नींद स तू जगबा कहिया ,
भूखे पेट पेटकुनिया देला स
नई चलत आब कम हौ
कालरात्री के भेलई अस्त ,
उठह उठह कर दुसमन के पस्त ,
आइधैर तोरा पर शासन केलक ,
आब कतय दिन रहबा गुलाम हौ,
भेलई परिवर्तन बदैल गेलई दुनियाँ,
मधेस अखनो रहिगेलई शासक केर कनियाँ,
हसैछ दुसमन दैछ ललकार ,
उठह उठह दुष्ट शासक के करः प्रतिकार ,
मग्लाह स त भूख गरीबी रोग शोक देलकह ,
आब छिनक ला ला अपन अधिकार हौ ,
अखनो नई जगबा त जिनगी हेतह बेकार हौ ,
बेसी सुत्बा त अम्लपित बैढ़ जेताह ,
बिस्फोट भक्ह प्राण निकैइल जेताह ,
उठह उठह करः अपन प्राण क रक्षा ,
सिखह तू मान-स्वाभिमान क शिक्षा ,
प्राण तोहर मधेस माई में ,
मान-स्वाभिमान छह तोहर स्वतंत्रता में ,
बन्धकी परल छह तोहर मधेस माई,
उठह उठह हों बाबु भाई ,
मधेस माई केर मुक्ति दिलाब ,
सुन्दर शांत विकाशील मधेस बनाब ,
कालरात्री केर भेलई अस्त ,
उठह उठह करः दुसमन केर पस्त ,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
पिता :-गंगेस्वर राय
माता :-गायत्री देवी
ग्राम :-धिरापुर -महोतरी
अस्थाई बसोबास :-जनकपुरधाम -नेपाल


गंगा तट @प्रभात राय भट्ट



गंगा तट के गंगेस्वरमहादेवका भजले मनवा नामरे ,

प्रभात काल में माँ गायत्री का जपले मनवा जापरे,

व्याकुल मनको मिले तुझे आराम रे ,

अँधेरे जीवन में मिले तुझे प्रकाश रे ,

शुभ प्रभात में भजले बन्दे महाप्रभु का नाम रे ,

कार्यकुशलता कलाप्रतिभा में तू होगा प्रविन ,

श्रधा सुमन विस्वाश रहेगा तुझमे नविन ,

दुःख से तुझको मुक्ति मिलेगा रख ये मनमें आशा ,

मिलेगा मुक्ति भुक्ति समृधि पूरा होगा अभिलाषा ,

शुभ प्रभत में जपले बन्दे माँ गायत्री का नाम रे ,

ॐ भुर्भुव्स्व्ह त्त्सवितुवार्न्य भर्गो देवास्य्ह

धिम्हिधियोयोनह प्रचोदयात:

गंगा तट पर गंगेस्वर महादेव है विराजमान रे ,

जो जाये उनके शरण होई तिनके जीवन दिव्यमानरे ,

भक्ति के सुखसागर में आनंद मिलेगा तुझे स्वर्णिम रे ,

धन्य धन्य होगा जीवन तन मन को मिलेगा विश्राम रे ,

सत्यम शिवम् सुन्दरम भजले माँ गायत्री का नाम रे ,

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट



गजल@प्रभात राय भट्ट


गजल !!!

जीवन में तेरी ऐसी क्या है कमी,
जो तेरी आँखों में है मोती सी नमी ,
आँखों से कवी आंसू बहाना ना ,
हमसे कभी कुछ छुपाना ना ,
--अपने दिल की दर्द सारे हमको देदे ,
मेरे जींदगी की शारी खुशियाँ तू लेले ,
जो कहना है मुस्कुराके कहो ,
नजरों से नजरें मिलाके कहो ,

दर्दे दिलको शिते जाओ ,
हस हस के जिंदगी जीते जाओ ,
दुःख सुख तो आते रहेंगे ,
हम प्रेमी प्यार के गीत गाते रहेंगे ,

मेरे हाथो में रखदे तू अपनी हाथ ,
हर डगर पे हम सफ़र करेंगे साथ साथ ,
चाहे दुश्मन हो जमाना चाहे अपना हो बेगाना ,
कोई रोक सके न कोई टोक सके,हम तो है दीवाना ,२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

parichay prabhat ray bhatt


परिचय@प्रभात
यी अछी हमर परिचयरुपी कविता,
यी अछी हमर प्रेमपरागक सरिता,
धन्य धन्य अछी भाग्य हमर,
जन्म लेलौ हम मिथिलाधम में,
बास अछी हमर पावनभूमि धिरापुर गाम में,
स्वर्ग स सुन्दर आनन्द बरसैय,अई मिथिलाधम में,
धिरापुर केर धिरेस्वरमहादेव छैथ बड़ ओढरदानी,
हम बालक प्रभात अबोध अज्ञानी,
पिता गंगेस्वर छैथ ईश्वर के स्वरूप ,
माता गायत्री ममता स भरल देवी क रुप,
भातृत्व प्रेमक प्रतिक प्रकाश प्रभात प्रविन,
सब भाई मे अछी आदर सत्कार स्वाभिमान नबिन,
सुन्दर सरल सिशील शालीन बहिन आशा,
धन्य धन्य अछी भाग्य हमर पुरा भेल अभिलाषा ,
भौजी सद्खन ममता स भारल स्नेह बर्सबैय,
भावो भावनात्मक बत्सल स्नेह बच्चा सब मे बटैय,
हमर मन उप्वनमें बास करैय चन्द्रबदन पत्नी पुनम,
सोन स सुन्दर सरल शुशिल बेट्टी अछी स्वर्णिम,
सत्यमार्गी संतान तेज्स्व्बी बेट्टा अछी सत्यम ,
धन्य धन्य अछी भाग्य हमर जन्म लेलौ मिथिलाधाम में,

rachnakar :prabhat ray bhatt
dhanya

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

मोनक अपन बात@प्रभात राय भट्ट



की कहू ककरा स: कहू मोनक अपन बात !!

विग्रल जाईय समाज क प्रबृति आओर हालत !!

जुल्म अपराध में फसल अछि युवा वर्ग केर हाथ !
देखरहल छि सबके गोली बन्दुक केर साथ !!

हम जहिया बच्चा छलौ बाबु स मंगलौ किताब कापी कलम !!

मुदा हमर दश वरखक बेट्टा कहैय किन्दे वावू पेस्तोल बन्दुक आ बम !!

हम जहिया युवा छलौ खेलौ दूध खुवा मलाई !!

तन मन स केलौ गाऊ समाज देश क भलाई !!

आई काहिल क छौरा सब वीडी गंजा भांग दारू तारी पिबैय !!

चौक चौराहा बैठक जुवा तास खेलईय !!

बाट चलैत बहुरिया केर देख क मारईय पिहकारी !!

सुतल सुतल भोजन करईय करे नए कोनो रोजगारी !!

अपहरण फिरौती चंदा स पैसा कमाईकेर मन में छई भ्रम !!

चोरी डकैती सेहो कराइय घोईर घोईर पिगेल सबटा लाज शर्म !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

गीत वियोग के @प्रभात राय भट्ट



पिया निर्मोहिया गेलैथ परदेश ,

भेजलैथ नई चिठ्ठी आ कोनो सन्देस,

जिया घबराईय ,चैन नई भेटैय,

सद्खन साजन अहि पर सुरता रहैय,

अहाविन हे यौ साजन मोन नई लगैय .......२

आईबकेर परदेस हमहू छि कलेश में ,

दुःख केर पोटरी की हम भेजू सन्देस में ,

आईबकेर परदेस मोन पचताईय ,

अहाक रे सुरतिया सजनी बिसरल नई जाईय ,

अहा विन हे ये सजनी मोन नई लगईय ,..........२

नई चाही हमरा गहना ,रुपैया आऔर बड़का नाम ययौ ,

ख्याब नून रोटी झोपडी में मुदा चएल आउ गाम ययौ ,

अहाक मुन्ना मुन्नी पर नई अछि हमार काबू ,

बाट चलैत बटोही क कहीदईया झट सा बाबु ,

सम्झौला स झट पुईछबैठेय कतए गेल हमर बाबु ,

सुनीकेर बेट्टाबेट्टी के बोली ,दिल पर चैइल जाईत अछि गोली ,

चुप चाप हम भजईत छि ,मोने मोन हम लाजईत छि ,

कहिदु मुन्ना मुन्नी के बाबु गेल छौ पाई कमाईला विदेस ,

ल क अईतोऊ तोरासबल्या खेलौना आ मीठ मीठ सनेश ,

मोन तर्शैय हमरो सजनी अहाक प्यार आ अनुरागला ,

आ बेट्टा बेट्टी केर मिठिका दुलार ला ..............................२ !!!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट



मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

हम अंतिम साँस तक लड़ेंगे @प्रभात राय भट्ट


एकतंत्र से प्रजातंत्र फिर आया लोकतंत्र नेपाल देशमें !!

सामन्तबादी का शोषण सिधान्त अब भी हावी है मधेस में !!

दमन शोषण पीड़ा उत्पीडन क्रूर शासक का है मूलमंत्र !!

अपनेही मातृभूमि में मधेसी जनता पर शासन है परतंत्र !!

मधेसी राजनितिक पार्टी का विखंडन हो जाना ये है बड़ी षड़यंत्र

मधेस में फुट डालो शासन करो यथास्थितिबाद का है बड़ा यन्त्र !!

अढाई सय वर्ष से हम जीरहे है शासक की चाकरी और गुलामी में !!

रोग सोक भूख गरीबी हमको दिया,सम्पति हमारा लिया सलामी में !!

अपने अधिकार मांगनेवालेको दिनदहाड़े मारदिजाती थी गोली !!

हमारे वीर मधेसी योधा के खून से खेलागयाथा होली !!

आओ माहान मधेसी जनता हम सब मिलकर उठाये स्वतंत्र मधेस की आवाज !!

अपनी माँ की रक्षा करो चाहे जियो या मरो मधेस माँ की है ये अगांज !!

यथास्थितिवाद शासक का करना है हम सबको मिलके अबशान !!

ईस परिवर्तन के लिए देना पड़ेगी तो देंगे हम अपना वलिदान !!

बार बार मर मर के जीने से अच्छा है एह बार महामृत्यु पा जाउ !!

आपने माँ की आजादी के लिए देके कुर्वानी सदा के लिए अमर हो जाऊ !!

अपने अधिकार के लिए हम अंतिम साँस तक लड़ेंगे !!

सामन्तबाद शासक को हम सता से पदच्युत करेंगे !!

समग्र मधेस एक स्वतंत्र परदेस का हम निर्माण करेंगे !!

हम रहे या न रहे हमारे बच्चे गर्व के साथ जियेंगे,जय माँ मधेस !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट


एक तंत्र से प्रजातंत्र फिर आया लोकतंत्र नेपाल देश में

समंताबदी शोषण सिधनता

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

फैस्गेल मधेसी जनता @प्रभात राय भट्ट


फैस्गेल मधेसी जनता बहुरुपिया नेताक जालमे !!
मधेसक शक्ति विभक्त भगेल दमनकारी शोसक के चालमें !!
जे भेलैथ मंत्री पद अध्यक्ष पद क आ अपन स्वार्थप्रति मोहित !!
ओ केलैथ विनार्थ मधेसक वीर शहीद केर सपना सेहो तिरोहित !!
जे केलैथ सामन्तबाद शासक केर चाकरी आ भक्ति !!
ओ कहैछैथ हम छि मुक्ति दाता मधेसी के देव प्रतिमुक्ति !!
फैस्गेल मधेसी जनता बहुरुपिया नेता क जालमे ................!!
अब्तरित होइया भ्रष्ट नेता नया नया रूप स:हरेक कालखंड के अन्तरालमे !!
जे छलैथ सामन्तबाद क पुजारी ,मधेस आन्दोलन के दमनकारी !!
ओ कहैय हम छि एक मधेस एक प्रदेश क निर्माण युगांतकारी !!
मधेसी क खून पसीना शोषण क रैय भरैया अपन भखारी!!
अपार धन सम्पति केर हक़दार होइतोमे मधेसी भेल भिखारी !!
फैस्गेल मधेसी जनता बहुरुपिया नेता क जाल में !!
अब्तरित होइया भ्रष्ट नेता नया नया रूप स हरेक कालखंड के अन्तरालमे !!
रचनाकार :प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

prabhat ray bhatt

नेपाली को लास ६ महिना देखि साउदी अरबमा कुहि रहेछ !!!
महोतरी जिल्लाको ग वि स एकरहिया वार्ड न:६ को रुपन राउत को छोरा बर्ष४२
रामदेव राउत रोटि रोजीको खोज गर्दै मरुभूमि देस साउदी अरब आइ पुगे !
अल याममा कम्पनिमा न्युनतम तलब भए पनि इमान्दारी पुर्बक कर्मठ्शील
भई श्रम गर्दै आइरहेका थिए ! तर त्यो कर्मठ्शील श्रमिक लाई के थाहा थियो र?
कि एक दिन म मृत्यु भई मेरो मिर्त शारीर यहि मरुभूमि विरण मा कुहि रहने छन् !
यो हृदय विदारक घटना हो सेप्तेम्बेर १५ २०१० को -- दैनिक काम काज कै शिलशिला
मा त्यो दिन पनि रामदेव राउत ढल भित्र काम गरि रहेको बेला अचानक थुनी राखेको
फोहोर पानी को मुहान भत्क्यो र रामदेव तिर मृत्यु को महाकाल भई लम्किदै थियो तर
विचरा रामदेव निरिह भई राख्नु बाहेक अरु कुनै विकल्प थिए न,अन्तोग्त्वा रामदेव दुख को संसार
त्याग गरि अन्तरिक्ष मा विलिन भयो ! बिडम्बना के भयो भने उनको मृत शरीरको अन्तिम संस्कार
हुन सकेन किन कि ६ महिना बितिसक्दा पनि उनको लास मातृभूमि नेपाल आइपुगेन र उहाको श्रीमती
वालवचा आफन्त सबैले लास कहिले आउछ भने बाटो हेरी बसेका छन् ! साउदी अरब स्थित नेपाली
राजदुतावास मा रामदेव का गाउले हरुले पनि सोधखोज गर्दा कम्पनीको दोष देखाउछ भने कम्पनि
ले नेपाली राजदुतावास को दोष देखाउछ ! आखिर जसको गल्ति भए पनि रामदेवको मृत शरीर
मरुभूमि मा कुहि रहेछ ! यसको जिमेवारी कसले लिने नेपाल सरकार ? सम्बन्धित मेनपावर ?
परराष्ट्र मन्त्रालय ? या नेपाली राजदुतावास ? या इ सबै सम्बन्धित निकाय ले ? सम्बन्धित
निकायहरु ले अबिलम्ब रामदेव को लास लाई उसको मातृभूमि मा ल्याइदिनु पर्यो र उसको
अन्तिम संस्कार गराई पिडित परिवार लाई राहत सहयोग समेत उपलब्ध गरिदिनु पर्यो !

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

सपना देख्लौ बड अजगुत@प्रभात राय भट्ट


की कहिय राएत सपना देखलौं बड अजगुत हो भाई ,
हमरा पाछु लागल रहे एकटा बहुरुपिया कसाई,
धमकी देलक गल्ह्थी लगौलक देखौलक चाकू छुरा ,
जान स माएर देबौ,प्राण निकाइलदेबौ,नईतकर हमर माग पूरा ,
गाल हमर लाल कौलक खीच क मारलाक चटा चट चांटा ,
निकाल बाक्स पेटी स फटा फट दू चार लाख टाका,
डर स हम थर थर कापी मोन रहे घबराईल ,
तखने एकटा पहरा करैत प्रहरी हमरा लग चईल आईल ,
मोने मोन हम सोचलौ इ करता हमरा मदत ,
मुदा उहो रहे ओई चंडाल कसाई केर भगत ,
दुनु गोटा कान में कौलक फुस फूस ,
बाईन्ध क हमरा डोरी स घर में गेल घुईस ,
छन में सबटा भेल छनाक घर में परल डाका ,
झट पट जे आईंख खोल लौ ,त की कहिय काका ,
उ सपना नई सचे के बिपना रहे ,
हमर बिपति क एकटा घटना रहे ,
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट