रविवार, 20 फ़रवरी 2011

गंगा तट @प्रभात राय भट्ट



गंगा तट के गंगेस्वरमहादेवका भजले मनवा नामरे ,

प्रभात काल में माँ गायत्री का जपले मनवा जापरे,

व्याकुल मनको मिले तुझे आराम रे ,

अँधेरे जीवन में मिले तुझे प्रकाश रे ,

शुभ प्रभात में भजले बन्दे महाप्रभु का नाम रे ,

कार्यकुशलता कलाप्रतिभा में तू होगा प्रविन ,

श्रधा सुमन विस्वाश रहेगा तुझमे नविन ,

दुःख से तुझको मुक्ति मिलेगा रख ये मनमें आशा ,

मिलेगा मुक्ति भुक्ति समृधि पूरा होगा अभिलाषा ,

शुभ प्रभत में जपले बन्दे माँ गायत्री का नाम रे ,

ॐ भुर्भुव्स्व्ह त्त्सवितुवार्न्य भर्गो देवास्य्ह

धिम्हिधियोयोनह प्रचोदयात:

गंगा तट पर गंगेस्वर महादेव है विराजमान रे ,

जो जाये उनके शरण होई तिनके जीवन दिव्यमानरे ,

भक्ति के सुखसागर में आनंद मिलेगा तुझे स्वर्णिम रे ,

धन्य धन्य होगा जीवन तन मन को मिलेगा विश्राम रे ,

सत्यम शिवम् सुन्दरम भजले माँ गायत्री का नाम रे ,

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट



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