गंगा तट के गंगेस्वरमहादेवका भजले मनवा नामरे ,
प्रभात काल में माँ गायत्री का जपले मनवा जापरे,
व्याकुल मनको मिले तुझे आराम रे ,
अँधेरे जीवन में मिले तुझे प्रकाश रे ,
शुभ प्रभात में भजले बन्दे महाप्रभु का नाम रे ,
कार्यकुशलता कलाप्रतिभा में तू होगा प्रविन ,
श्रधा सुमन विस्वाश रहेगा तुझमे नविन ,
दुःख से तुझको मुक्ति मिलेगा रख ये मनमें आशा ,
मिलेगा मुक्ति भुक्ति समृधि पूरा होगा अभिलाषा ,
शुभ प्रभत में जपले बन्दे माँ गायत्री का नाम रे ,
ॐ भुर्भुव्स्व्ह त्त्सवितुवार्न्य भर्गो देवास्य्ह
धिम्हिधियोयोनह प्रचोदयात:
गंगा तट पर गंगेस्वर महादेव है विराजमान रे ,
जो जाये उनके शरण होई तिनके जीवन दिव्यमानरे ,
भक्ति के सुखसागर में आनंद मिलेगा तुझे स्वर्णिम रे ,
धन्य धन्य होगा जीवन तन मन को मिलेगा विश्राम रे ,
सत्यम शिवम् सुन्दरम भजले माँ गायत्री का नाम रे ,
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
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