गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

गंगा माई@प्रभात राय भट्ट


धर मन धीर चल गंगा केर तीर ,

तन मन की मैल धोत है गंगा के नीर ,

महादेव की जटा से बहत है गंगा की धरा ,
गंगाजल की महिमा गाए जग सारा ,

तिनोलोक में भए गंगाजल अमृत समान ,

देव दानव मानब भए अमर,करके गंगाजल्पान ,

निर्धन को धन बाझिनको पुत्र मिले कोढिको काया ,

जान सकेना कोई,अपरम्पार है गंगा माई की महामाया ,

शरण जाये जो गंगा माई के होई तिनके मनोकामना पूरा ,
सर्व सुख पूर्ण होई तिनके ,रहेना कोई कामना अधुरा ,

गंगा की बखान करे कवी कोविद तुलसी गोसाई ,

जय जय गंगा माई होई हम भक्त पर सहाई ,

तुम विन न कोई ईस गरीब का और दूजा ,

नित्यदिन श्रद्धा सुमन से करहु तेरी पूजा ,

गंगा माई है प्रकृति का सुन्दर उपहार ,

जो जाये गंगा माई की शरण में होई तिनके उधार ,

जय जय जय गंगा माई ,होहु हम भक्त पर सहाई,

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

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