शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

मिथिलांचल@प्रभात राय भट्ट



गंगा तट स: हिमालय केर पट

कोसी स: गनडकी तक !!

यी सम्पूर्ण भूमि अछि मिथिलांचल !!

जतेय बहथी निर्मलगंगाजल !!

हम थिक मिथिलाभूमि केर संतान !!

मिथिलांचल अछि हमार आन वान शान !!

मिथिलाक संस्कृति अछि हमर स्वाभिमान !!

स्वर्ग स: सुन्दर अछि हमर मिथिलाधाम !!

वसुधा केर हृदय थिक यी जनकपुरधाम !!

जतेय जन्म लेलैथ माँ जानकी आऔर साधू संत कवीर !!

एतही परम्पद पैलैथ ऋषि मुनि संत महंथ आऔर फकीर !!

राजर्षि जनक छलैथ विदेह राज्यक महर्षि राजा !!

कवी कौशकी गंडक बाल्मिकी मंडन !!

भारती सुशीला कुमारिल भट्ट नागार्जुन !!

महाकवि बिध्यापतिसं: बिद्वान रहथि प्रजा !!

मिथिला रहथि न्यायिक आऔर मसंसा ज्ञानक प्रदाता !!

येताही ब्याह केलैथ चारो भाई मर्यादापुरुषोतम राम बिधाता !!

मिथिला अछि भारतवर्ष केर प्राकृतिकाल स: ज्ञानबिज्ञान क स्रोत !!

यी सब हम जनैत भेलंहू ख़ुशी स: ओत प्रोत !!

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


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