गुरुवार, 2 जून 2011

मातृभाषा@प्रभात राय भट्ट

मिथिलावासी बोल बोलू मेची स: महाकाली,
हिंदी उर्दू इंग्लिस चाहे बोलू आऔर नेपाली,
मुदा सब स अनमोल रत्न अछि अपने मातृभाषा,
किया तुलल छि कर पैर मातृभाषा के दुर्दशा,
जन्म लैत कान स:सुनलौ मैथिलि स्वर मधुर,
मैथिलि स्वर मधुर सुनीक नाईच उठैय मयूर ,
सरस सरल ममता सा भरल अछि माएक बोली,
जेना आमक गाछी में कु कु कु कुह्कैय कोयली,
मथिली भाषा आ मिथिलाक जीवनशैली स:
उत्तपन भेल अछि मिथिलाक विराट संस्कृति,
मनमोहक आ मनोरम अछि मिथिलाक प्रकृति,
गंगा हिमालय कोशी गण्डकी के मध्य्भूमि,
हराभरा जंगल एतिहासिक नदी के संगम,
अछि प्रेम प्राग सुन्दर अनमोल अनुपम,
हिंदी उर्दू इंग्लिस बोली चाहे अओर बोलू नेपाली,
माए के माथक टिकुली अछि मैथिलि बोली,
टिकुली बिनु सुन्दर नै लागत माएक सृंगार,
अपने हाथे किये करैत छि माएके सृंगारक ऊजार,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट  

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