गुरुवार, 5 जनवरी 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट

                   गजल
अहां एना नए करू दिल बहकतै हमर
फेर अहां विनु कोना दिल सम्हरतै हमर 

अहांक संगही रहब हम जन्म जन्म तक
पिया अहां विनु कोना दिल धरकतै हमर 

रस भरल अंग अंगमें चढ़ल जोवनके
रसपान विनु कोना दिल चहकतै हमर 

नीसा लागल अछि बलम हमरो मिलनके
अहां विनु कोना प्रेमनीसा उतरतै हमर 

जे नीसा अहांक अधरमें ओ मदिरा में कहाँ
फेर पिने विनु कोना नीसा उतरतै हमर 

पिया पीब लिय पिला दिय जोवन रस जाम
पी विनु ठोरक प्याला कोना छलकतै हमर 
...............वर्ण-१७ ............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

b