गजल
विछोड्क व्यथा पीड़ा सं अछि हमर करेज फाटल
सुईया धागा सं नै सिआयोत हमर करेज फाटल
कियो धका नै मारू हम सुखल गाछक ठाएरह छि
ईआदक प्रेमलसा सं अछि हमर करेज साटल
प्रेम रोगी प्रितक मारल मरि मरि हम जिवैतछी
द्गावाज तलवार सं अछि हमर करेज काटल
ओ हाथ मे मेहँदी लगौने छथि हमर लाल खून सँ
हुनक मांग मे सिंदूर देख हमर करेज फाटल
आनक संग ओ वेदिक सात फेरा लगबैत गेल्हिन
वेदिक आगि सँ जरल प्रेम हमर करेज फाटल
दर्द व्यथा की होएत अछि हमरा सँ कियो नहीं पुछू
दर्द वेदना सँ अछि "प्रभात" हमर करेज फाटल
.............वर्ण:-२० ......................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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