रविवार, 1 जनवरी 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट

                  गजल
हम तं कागज कलमक संयोग करबैत छी
कागज पैर शब्दक गर्भधारण करबैत छी 

कागज सियाहिक स्पर्श ले मुह बयेने रहैय
हम तं कागजक भाव बुझी किछु लिखदैत छी 

कागज जखन प्रसव पीड़ा सं छटपटाएत
तखन हम मोनक भाव सृजना करबैत छी 

मोनक उद्द्वेग कोरा कागज पैर उतरैय
लोग कहैय अहां बड निक रचना रचैत छी 

हम तं स्वर लय मात्र छन्द इ किछु नहीं जानी
लोग कहैय अहां बड निक गीत लिखैत छी 

हम तं वर्ण रदीफ़ काफिया किछु नै जनैत छी
लोग कहैय अहां बड निक गजल लिखैत छी 
.........................वर्ण:-१८........................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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