चाहो तो नजरों से भी मुझे गिरादो
हरजाई कहो या वेवफा मैं तेरही हूँ सनम
पर दिल से कभी निकल नहीं पाओगी
तू जहाँ भी जाओगी मुझे साथ पाओगी
कल तुने सपनेमे जो ख़ाब देखि थी
मीठी मीठी प्यार की एक एहसास थी मनमें मिलन की एक अनोखा प्यास था
सच पूछों तो ओ मेरा ही साया था
चाहो तो मुझ से बढालो जितनी भी दूरियां
चाहे समझो या न समझो मेरी मजबूरियां
पर दो मन की फासले न होगी कम हरजाई कहो या वेवफा मैं तेरही हूँ सनम
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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