शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

मैं तेरही हूँ सनम@प्रभात राय भट्ट

चाहे तू मुझे जितना भी ठुकरादो
चाहो तो नजरों से भी मुझे गिरादो
पर दिल से कभी निकल नहीं पाओगी
तू जहाँ भी जाओगी मुझे साथ पाओगी
कल तुने सपनेमे जो ख़ाब देखि थी
मीठी मीठी प्यार की एक एहसास थी
मनमें मिलन की एक अनोखा प्यास था
सच पूछों तो ओ मेरा ही साया था
चाहो तो मुझ से बढालो जितनी भी दूरियां
चाहे समझो या न समझो मेरी मजबूरियां
पर दो मन की फासले न होगी कम
हरजाई कहो या वेवफा मैं तेरही हूँ सनम

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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