मंगलवार, 12 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट

               गजल

हम अहाँ संग चलैत रहब जाधैर छै जीनगी
दुःख सुख हम सभटा सहब जाधैर छै जीनगी

हावा बयार कतबो तेज बहतै छोडब नै संग
अहाँक सूरत देख कs जीयब जाधैर छै जीनगी

नीरास भाव केर त्याग करू आशाक दीप जरा कs
जीवन सं हम संघर्ष करब जाधैर छै जीनगी

विपतिक घड़ीमें देखैत चलु भाग्य केर तमाशा
अपनो भाग्य बदलतै कहब जाधैर छै जीनगी

"प्रभात" पतझर गुलजार जीवनक बगिया में
प्रेम सनेह नदिया में बहब जाधैर छै जीनगी

-----------वर्ण-१९----------
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

b