बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

गजल @प्रभात राय भट्ट

                 गजल
अहाँ सं हम प्रगाढ़ प्रेम करैत  छि 
अहाँ किएक इ अपराध बुझैत छि 
 
जिन्गी अछि हमर अहींक नाम धनी 
हमरा किएक बदनाम बुझैत छि
 
हमर आँखी अहांके  दुलार  करैय
नैन किएक हमरा सं झुकबैत छि
 
अछि मोनक मिलन प्रेमक संगम 
अहाँ किएक प्रेम इन्कार करैत छि
 
हम छोड़ी देलहुं सब काज सजनी 
बस अहींक नाम लिखैत रहैत छि
 
बिसारि देलहुं हम अलाह ईश्वर
प्रेम केर हम  इबादत करैत छि  
 
प्रेम छै पूजा,छै प्रेम सच्चा समर्पण 
अहिं कें हम अपन जिन्गी बुझैत छि
................वर्ण -१४...................
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

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