रविवार, 24 जून 2012

हमर  गजल यात्रा @प्रभात राय भट्ट

गजल १

अहाँ बिनु हम जिब नै सकब
नोर बिछोड्क पिब नै सकब
आब अहिं कहू प्राण प्यारी रानी
अहाँ बिनु हम कोनाकS रहब
प्रितक बगियाँ में फुल खिलल
फुल पैर अहाँक नाम लिखब
जौं माली फुल तोईरकS लगेल
कांटक चुभन कोनाकS सहब
प्रेम परिणय मधुर सुगंध
हम विचरण कोनाकS करब
"प्रभात"क वेदना जौं ने बुझब
अहाँ बिनु हम जिब नै सकब
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
गज २
गजल
अप्पन वितल हाल चिठ्ठीमें लिखैतछी
मोनक बात सभटा अहिं सँ कहैतछी
मोन ने लगैय हमर अहाँ बिनु धनी
कहू सजनी अहाँ कोना कोना रहैतछी
अहाँक रूप रंग बिसरल ने जैइए
अहिं सजनी सैद्खन मोन पडैतछी
गाबैए जखन जखन मलहार प्रेमी
मोनक उमंग देहक तरंग सहैतछी
अप्पन ब्यथा वेदना हम ककरा कहू
अपने उप्पर दमन हम करैतछी
जुवानी वितल घरक सृंगारमें धनी
हमरा बिनु अहाँ कोना सृंगार करैतछी
जीवनक रंगमहल वेरंग भेल अछि
ब्यर्थ अटारी में रंग रोगन करैतछी
जल बिनु जेना जेना तडपैय मछली
अहाँ बिनु हम तडैप तडैप जिबैतछी
दुनियाक दौड़में "प्रभात" लिप्त भेल अछी
अप्पन जिनगी अप्पने उज्जार करैतछी
वर्ण:-१५
गजल ३
चिठ्ठीमें अहाँक रूप हम देखैतछी
हर्फ़ हर्फ में अहाँक स्नेह पबैतछी
अक्षर अक्षर में बाजब सुनैतछी
शब्द शब्द में अहाँक प्रीत पबैतछी
एसगर में हम इ चिठ्ठी पढैतछी
चूमी चूमी कें करेजा सँ सटबैतछी
अप्रतिम सुन्दर शब्द कें रटैतछी
प्रेम परागक अनुराग पबैतछी
चिठ्ठी में अहाँक रूपरंग देखैतछी
पूर्णमासिक पूनम अहाँ लागैतछी
प्रेमक प्यासी हम तृष्णा मेट्बैतछी
अहाँक चिठ्ठी पढ़ी पढ़ी कें झुमैतछी
कागज कलम कें संयोग करैतछी
"प्रभात"क मोनमे प्रेम बढ़बैतछी
..............वर्ण:-१४..................
गजल ४.
गजल
छोड़ी कें हमरा पिया गेलौं बिदेशमें

विछोड़क पीड़ा किया देलौं संदेशमें

भूललछी अहाँ पिया डलर नोटमें
नैनाक नोर हमरा देलौं संदेशमें

देखैछी पिया अहाँकें इंटरनेटमें
स्पर्शक भाव सं परैतछी कलेशमें

हम रहैतछी पिया विरहिन भेषमें
स्नेहक भूख हमरा देलौं संदेशमें

मिलनक प्यास कोना बुझत नेटमें
गाम आबू पिया रहू अपने देशमें

अहाँ रहबै सबदिन परदेशमें
किल्का कोना किलकतै हमरा गोदमें

मर्म वियोग हमरा देलौं संदेशमें
पिया "प्रभात"किया गेलौं परदेशमें
.....................वर्ण १४....................
५.गजल कनिया ए कनिया एना करैछी किया
फाटैए करेज हमर जरैय जिया

चढ़ल जवानीमे नए करू नादानी
करेजमे साटी जुड़ाउ हमर हिया

जखन तखन नखरा देखबैतछी
एना रुसल फूलल रहैतछी किया

सैद्खन अहींक सुरता करैतछी
अहांक प्रेम स्नेह लए तर्शैय जिया

लग आबू सजनी आब नए तर्साबू
आगि लागल तन मोन जरैय जिया

तरस देखाबू हमरा पैर सजनी
अहिं लए फाटैए रानी हमर हिया

नखरे नखरामे वितल उमरिया
स्नेहक प्यासल रहल हमर जिया

अहां सं हम दूर भS जाएब सजनी
तखन बुझब की होईत अछी पिया

घुईर नै आएत अहांक "प्रभात" पिया
रटैत रहब गोरी अहां पिया पिया
...................वर्ण:-१४.........................
६.
गजल
जगमे आब नाम धरी नहीं रहिगेल इन्सान

मानवताकें बिसरल मनाब भS गेल सैतान

स्वार्थलोलुप्ता केर कारन अप्पनो बनल आन
जगमे नहीं कियो ककरो रहिगेल भगवान

धन सम्पतिक खातिर लैए भाईक भाई प्राण
चंद रुपैया टाका खातिर भाई भS गेल सैतान

अप्पने सुखमे आन्हर अछि लोग अहिठाम
अप्पन बनल अंजान दोस्त भS गेल बेईमान

मनुख बेचैय मनुख, मनुख लगबैय दाम
इज्जत बिकल,लाज बिकल, बिकगेल सम्मान

अधर्म पाप सैतानक करैय सभ गुणगान
धर्म बिकल, ईमान बिकल, बिकगेल इन्सान

पग पग बुनैतअछ फरेबक जाल सैतान
कोना जीवत "प्रभात"मुस्किल भS गेल भगवान
....................वर्ण:-१८.....................................
७.
गजल
प्रितक बगियामे फुल खिलैएलौं
मोनमे सुन्दर सपना सजैएलौं

प्रेमक प्रतिविम्ब पैर पंख लगा
क्षितिजमें शीशमहल बनैएलौं

पंख टूईटगेल हमर क्षणमे
दर्द ब्यथा सं हम छटपटैएलौं

सपना चकनाचूर होईत देख
भाव विह्वल चीतकार कैएलौं

कोमल फुल नै भS सकल अप्पन
कांटमें प्रेमक अंकुरण कैएलौं

कहियो तेह प्रेमक कोढ़ी खीलत
कांटक चुभन हम सहैत गेलौं
...............वर्ण१३ .....................
८.
गजल
लुईटलेलक देसक माल, खाली पडल खजाना छै
देखू नेता सबहक कमाल,भ्रष्टाचारके जमाना छै

विन टाका रुपैया देने भैया,हएतो नै कोनो काज रे
बातक बातमे घुस मांगै छै,घूसखोरीके जमाना छै

टुईटगेल इमानक ताला,करै छै सभ घोटाला रे
धर्म इमानक बात नै पूछ,बेईमानक जमाना छै

दिन दहाड़े चौक चौराहा,होईत छै बम धमाका रे
बेकसूर मारल जाइत छै,देखही केहन जमाना छै

लूटपाट में लागल छै,देसक सभटा राजनेता रे
काला धन सं भरल पडल,स्वीश बैंक के खजाना छै

अन्न विनु मरै छै देसक जनता,नेता छै वेगाना रे
गरीबक खून पसीना सं भरल, एकर खजाना छै

नेता मंत्री हाकिम कर्मचारी,सभ छै भ्रष्टाचारी रे
गरीबक शोषण सभ करैछै,अत्याचारीके जमाना छै

भ्रष्टाचारीके दंभ देख "प्रभात" भS गेल छै तंग रे
भ्रष्टतंत्र में लिप्त छै सरकार,भ्रष्टाचारीके जमाना छै
...........................वर्ण:-२०.................................

९.गजल
नव वर्षक आगमन के स्वागत करैछै दुनिया
नव नव दिव्यजोती सं जगमग करैछै दुनिया
विगतके दू:खद सुखद क्षण छुईटगेल पछा
नव वर्षमें सुख समृद्धि कामना करैछै दुनिया
शुभ-प्रभातक लाली सं पुलकित अछी जन जन
नव वर्षक स्वागत में नाच गान करैछै दुनिया
नव वर्ष में नव काज करैएला आतुरछै सब
शुभ काम काजक शुभारम्भ में लागलछै दुनिया
नव वर्षक वेला में लागल हर्ष उल्लासक मेला
मुश्की मुश्की मधुर वाणी बोली रहलछै दुनिया
जन जन छै आतुर नव नव सुमार्गक खोजमे
स्वर्णिम भाग्य निर्माणक अनुष्ठान करैछै दुनिया
धन धान्य ऐश्वर्य सुख प्राप्ति होएत नव वर्षमे
आशाक संग नव वर्षक स्वागत करैछै दुनिया
.............................वर्ण-१९.......................
१०.गजल
नव वर्षक नव उर्जा आगमन भS गेल अछी
दू:खद सुखद समय पाछू छुईटगेल अछी

इर्ष्या द्दोष लोभ लालच आल्श्य कय त्याग करी
रोग शोक ब्यग्र ब्याधा सभटा पडागेल अछी

नव प्रभातक संग नव कार्य शुभारम्भ करी
नव वर्षक नवका सूर्य उदय भS गेल अछी

अशुभ छोड़ी शुभ मार्ग चलबाक संकल्प करी
दिव्यज्योति सभक मोन में जागृत भगेल अछी

निरर्थक अप्पन उर्जाशक्ति के ह्रास नहीं करी
शुख समृद्धि प्राप्तिक मार्ग प्रसस्त भS गेल अछी

सुमधुर वाणी सं सबहक मोन जीतल करी
सामाजिक सहिंष्णुता आवश्यकता भS गेल अछी
.............................वर्ण:-१८ ...........................
११. गजल
हम तं कागज कलमक संयोग करबैत छी
कागज पैर शब्दक गर्भधारण करबैत छी

कागज सियाहिक स्पर्श ले मुह बयेने रहैय
हम तं कागजक भाव बुझी किछु लिखदैत छी

कागज जखन प्रसव पीड़ा सं छटपटाएत
तखन हम मोनक भाव सृजना करबैत छी

मोनक उद्द्वेग कोरा कागज पैर उतरैय
लोग कहैय अहां बड निक रचना रचैत छी

हम तं स्वर लय मात्र छन्द इ किछु नहीं जानी
लोग कहैय अहां बड निक गीत लिखैत छी

हम तं वर्ण रदीफ़ काफिया किछु नै जनैत छी
लोग कहैय अहां बड निक गजल लिखैत छी
.........................वर्ण:-१८........................
१२.गजल
उईर जो रे पंक्षी नील गगन में

ल चल हमरो स्वच्छंद पवन में

जतय नै छैक कोनो सालसिमाना
उडैत रहब स्वच्छंद पवन में

रोईक सकत नै टोईक सकत
जे कियो हमरा स्वच्छंद पवन में

करी बादल गर्जत मेघ पडत
रमन करब स्वच्छंद पवन में

करब दुरक दृश्य अवलोकन
मोन मग्न रहब नील गगन में

विचरण करी हम जनजन में
इच्छा "प्रभात"क मोन उपवन में
................वर्ण:-१३...............
१३. गजल
अहां एना नए करू दिल बहकतै हमर
फेर अहां विनु कोना दिल सम्हरतै हमर

अहांक संगही रहब हम जन्म जन्म तक
पिया अहां विनु कोना दिल धरकतै हमर

रस भरल अंग अंगमें चढ़ल जोवनके
रसपान विनु कोना दिल चहकतै हमर

नीसा लागल अछि बलम हमरो मिलनके
अहां विनु कोना प्रेमनीसा उतरतै हमर

जे नीसा अहांक अधरमें ओ मदिरा में कहाँ
फेर पिने विनु कोना नीसा उतरतै हमर

पिया पीब लिय पिला दिय जोवन रस जाम
पी विनु ठोरक प्याला कोना छलकतै हमर
...............वर्ण-१७ ............

१४.गजल
विछोड्क व्यथा पीड़ा सं अछि हमर करेज फाटल
सुईया धागा सं नै सिआयोत हमर करेज फाटल

कियो धका नै मारू हम सुखल गाछक ठाएरह छि
ईआदक प्रेमलसा सं अछि हमर करेज साटल

प्रेम रोगी प्रितक मारल मरि मरि हम जिवैतछी
द्गावाज तलवार सं अछि हमर करेज काटल

ओ हाथ मे मेहँदी लगौने छथि हमर लाल खून सँ
हुनक मांग मे सिंदूर देख हमर करेज फाटल

आनक संग ओ वेदिक सात फेरा लगबैत गेल्हिन
वेदिक आगि सँ जरल प्रेम हमर करेज फाटल

दर्द व्यथा की होएत अछि हमरा सँ कियो नहीं पुछू
दर्द वेदना सँ अछि "प्रभात" हमर करेज फाटल
.............वर्ण:-२० ......................
१५.
आई हमर मोन एतेक उदास किये
सागर पास रहितों मोनमें प्यास किये

निस्वार्थ प्रेम ह्रिदयस्पर्श केलहुं नहि
आई मोनमे बहै बयार बतास किये

हम प्रगाढ़ प्रेमक प्राग लेलहुं नहि
आई प्रीतम मोन एतेक हतास किये

प्रेम स्नेह सागर हम नहेलहूँ नहि
आई प्रेम मिलन ले मोन उदास किये

हम मधुर मुस्कान संग हंस्लहूँ नहि
आई दिवास्वपन एतेक मिठास किये

"प्रभात" संग पूनम आएत आस किये
नहि आओत सोचिक मोन उदास किये
.................वर्ण-१५............................
१७.गजल
हम अहां केर प्रीतम नहि बनी सक्लहूँ
मुदा अहांक करेजक दर्द बनी गेलहुं

अहां हमर प्रेम दीवानी बनल रहलौं
हम अहांक दीवाना नहि बनी सक्लहूँ

अहां हमर प्रेम उपासना करैत गेलौं
हम आनक वासना शिकार बनी गेलहुं

अहांक कोमल ह्रदय तडपैत रहल
हम बज्र पाथर केर मूर्ति बनी गेलहुं

हम अहांक निश्च्छल प्रेम जनि नै सकलौं
अनजान में हम द्गावाज बनी गेलहुं

आब धारक दू किनार कोना मिलत प्रिये
मजधार में हम नदारत बनी गेलहुं
................वर्ण:-१६ ...............
१८. गजल मिथिलाक पाहून भगवान श्रीराम छै
जग में सब सं सुन्दर मिथिलाधाम छै
मिथिलाक मईट सं अवतरित सीता
जग में सब सं सुन्दर हुनक नाम छै
मिथिलाक शान बढौलन महा विद्द्वान
कवी कोकिल विद्यापति हुनक नाम छै
भS जाएत अछि सम्पूर्ण पाप तिरोहित
मिथिला एकटा पतित पावन धाम छै
भेटत नै एहन अनुपम अनुराग
प्रेम परागक कस्तूरी मिथिलाधाम छै
घुमु अमेरिका अफ्रीका लन्दन जापान
जग में नै कोनो दोसर मिथिलाधाम छै
मिथिला महातम एकबेर पढ़ी जनु
मिथिला सं पैघ नै कोनो दोसर धाम छै
जतय भेटत कमला कोशी बलहान
अयाचिक दलान,वही मिथिलाधाम छै
गौतम कपिल कणाद मंडन महान
प्रखर विद्द्वान सभक मिथिलाधाम छै
ऋषि मुनि तपश्वी तपोभूमि अहिठाम छै
"प्रभात"क गाम महान मिथिलाधाम छै
.............वर्ण:-१५...........
१९.गजल
आब कहिया तक रहतै, हमर मोन उदास यौ पिया
होलीमें गाम एबैय,तोड़ब नै हमर विस्वास यौ पिया

अहांक ईआद में तर्सल जिया,बरसल नैना सं नीर
बैषाखी बीत बरषलै सावन,बुझलै नै प्यास यौ पिया

सुकसुकराती दियाबाती, बितगेल दष्मी दशहरा यौ
छैठो में गाम नै एलौं, तोड़ी देलौं मोनक हुलास यौ पिया

मोन भ S गेल आजित, कहिया भेटत अहाँक दुलार यौ
एबेर फागुमें अहाँ आएब,मोन में अछि आस यौ पिया

जौं गाम नै आएब, हमर मुइलो मुह देख नै पाएब
फेर ककरा संग करब, प्रीतक भोग विलास यो पिया
....................वर्ण:-२१..............................
२०.गजल
कुमुदिनी पर भँभर किये मंडराईय
यौ पिया कहू नए दिल किये घबराईय
भँभर कुमुदिनी सं मिलन करैत छैक
ये सजनी अहांक दिल किये घबराईय
मोनक बगिया में नाचैय मोर मयूर यौ
मोनक उमंग सं दिल किये घबराईय
अहाँक रोम रोम में अछि प्रेमक तरंग
प्रेमक तरंग सं दिल किये घबराईय
प्रीतक बगिया में कुहकैय छैक कोईली
मधुर स्वर सुनी दिल किये घबराईय
मोन उपवनमें भरल प्रीतक श्रिंगार
मिलन कय बेर दिल किये घबराईय
...............वर्ण:-१६...............
२१.गजल:- होली
रंग विरंगक रसरंग सं भौजी के रंगाएल चोली
रंग उडैए छै अवीर उडैए छै देखू आएल होली

होली के रंग में रंगाएल सभक एकही रूपरंग
दोस्ती के रंग में रंगाएल दुश्मन देखू आएल होली

प्रेम स्नेहक पावैन होली गाबैए गीत फगुआ टोली
रसरंग सरोवर भेल दुनिया देखू आएल होली

रंग में रंगाएल शरीर गाबैए गीत जोगी फकीर
गाबैए जोगीरा बजाबैए मृदंग देखू आएल होली

रंग उड़ाबैए रंगरसिया कियो उड़ाबैए अवीर
तन मोन सभक रंगाएल देखू आएल होली

......................वर्ण-२०.............
२२.गजल
आब कहिया तक रहतै, हमर मोन उदास यौ पिया
होलीमें गाम एबैय,तोड़ब नै हमर विस्वास यौ पिया
अहांक ईआद में तर्सल जिया,बरसल नैना सं नीर
बैषाखी बीत बरषलै सावन,बुझलै नै प्यास यो पिया

सुकसुकराती दियाबाती, बितगेल दष्मी दशहरा यौ
छैठो में गाम नै एलौं, तोड़ी देलौं मोनक हुलास यौ पिया

मोन भ S गेल आजित, कहिया भेटत अहाँक दुलार यौ
एबेर फागुमें अहाँ आएब,मोन में अछि आस यौ पिया

जौं गाम नै आएब, हमर मुइलो मुह देख नै पाएब
फेर ककरा संग करब, प्रीतक भोग विलास यो पिया
...................वर्ण:-२१..............................

२३. गजल:-
वसंत ऋतू में आएल सगरो वसंत बहार
वनस्पतिक पराग गमकौने अनन्त संसार


हरियर पियर उज्जर पुष्प आर लाले लाल
पुष्पक राग केर उत्कर्ष अछि वसंत बहार


झूमी रहल कियो गाबी रहल नाचे कियो नाच
पलवित भेल प्रेम मोन में अनन्त उद्गार


सीतल सुन्दर सजल बहैय वसंत पवन
मनोरम प्रकृतिक दृश्य अछि वसंत बहार


मोर मयूरक नृत्य मधुवन कुह्कैय कोईली
मधुर मुस्कान सगरो आनंद अनन्त संसार


प्रेम मिलन मग्न प्रेमी पुष्पित वसंत बहार
मोन उपवन सुरभित भेल अनन्त संसार
.............वर्ण-१८.............

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