रविवार, 24 जून 2012

२४. गजल:-
अहाँ विनु जिन्गी हमर बाँझ पडल अछि

सनेह केर पियासल काया जरल अछि


दूर रहितो प्रीतम अहाँ मोन पडैत छि
प्रीतम अहिं सं मोनक तार जुडल अछि


तडपैछि अहाँ विनु जेना जल विनु मीन
अहाँ विनु जिया हमर निरसल अछि


नेह लगा प्रीतम किया देलौं एहन दगा
मधुर मिलन लेल जिन्गी तरसल अछि


अहाँ विनु प्रीतम जीवन व्यर्थ लगैय
की अहाँक प्रेमक अर्थ नहीं बुझल अछि
..............वर्ण-१६...........
२५.गजल-
अहाँ केर प्रेम में हम भेलौं बाबरिया
सुद्ध बुद्ध बिसारि हम देलौं सबरिया

प्रेमक गाछ पर अछि प्रेमक पलव
पलव पर नाम लिखी देलौं सबरिया

डरेछि हम कियो पलव नै तोड़ी दिए
सोंची सोंची प्रीतम हम भेलौं बाबरिया

मधुर मिलन केर अछि आस लागल
दुनिया सं बांची कS हम एलौं सबरिया

भीख नै पियास अछि मिलन केर आस
जीवन में अहिं मिठास दलों सबरिया
............वर्ण-१५....
२६.गजल
अनचिन्हार सं जहिया चिन्ह्जान बढल

तहिया सं हमरा नव पहिचान भेटल

विनु भाऊ बिकैत छलहूँ हम बाजार में
आई अनमोल रत्न मान सम्मान भेटल

काल्हि तक हमरा लेल छल अनचिन्हार
आई हमरा लेल ओ हमर जान बनल

अन्हरिया राईत में चलैत छलहूँ हम
विनु ज्योति कहाँ कतौ प्रकाशमान भेटल

प्रभात केर अतृप्त तृष्णा ओतए मेटल
जतए अनचिन्हार सन विद्द्वान भेटल
.............वर्ण:-१६.................
२७. गजल:-
अप्पन आन सभ लेल अहाँ चिन्हार बनल छि
आS हमरा लेल किएक अनचिन्हार बनल छि

अहाँ एकौ घड़ी हमरा विनु नहीं रहैत छलौं
आई किएक हम अहाँ लेल बेकार बनल छि

कोना बिसरल गेल ओ प्रेमक पल प्रीतम
हमरा बिसारि आन केर गलहार बनल छि

हमर प्रीत में की खोट जे देलौं हृदय में चोट
अहाँक प्रीत में आईयो हम लाचार बनल छि

दिल में हमरा प्रेम जगा किया देलौं अहाँ दगा
दगा नै देब कही कs किएक गद्दार बनल छि

..................वर्ण:-१८............

२८. गजल
तड्पी तड्पी हम जीबैत छि
कहू धनी अहाँ कोना रहैत छि

एसगर निक नै लगैय धनी
अहींक सुरता हम करैत छि

हमरो विनु तडपैत छि अहाँ
से सोची सोची हम मरैत छि

मोन हमर कटैय अहुरिया
अहींक सपना हम देखैत छि

अहाँ हमरा सपना में आबी कें
हमरा पर प्रेम लुटबैत छि

मधुर बोली आर मादकता सँ
हम चरम उत्कर्ष पबैत छि

प्रभातक किरण आईख पर
परीते नीन सँ हम जागैत छि

सपना तं वस् सपना होईए
विछोड्क पीड़ा सँ तडपैत छि
.......वर्ण:-१२............

२९. गजल फुलक डाएरह सुखल सुखल फुल अछी मुर्झाएल
वितल वसंत आएल पतझर देख पंछी पड़ाएल


भोग विलासक अभिलाषी प्राणी तोहर नै कुनु ठेगाना
आई एतय काल्हि जएबे जतय फुल अछी रसाएल


अपने सुख में आन्हर प्राणी की जाने ओ आनक दुःख
दुःख सुख कें संगी प्रीतम दुःख में छोड़ी अछी पड़ाएल


कांटक गाछ पर खीलल अछी मनमोहक कुमुदिनी
कांट बिच रहितो कुमुदनी सदिखन अछी मुश्काएल


बुझल नहीं पियास जकर अछी स्वार्थी महत्वकांक्षा
होएत अछी तृप्त जे प्रेम में सदिखन अछी गुहाएल


अबिते रहैत छैक जीवन में अनेको उताड चढ़ाव
सुख में संग दुःख में प्रीतम किएक अछी पड़ाएल
...........वर्ण-२१...................

३०.
सुन्दर शांत मिथिला में मचल बबाल छै
जातपात भेदभावक उठल सबाल छै
नहि जानी किएक कियो करैय भेदभाव
सदभाव सृजना केर उठल सबाल छै
मनुख केर मनुख बुझैय छुतहा घैल
उंच नीच छुवाछुतक उठल सबाल छै
डोम घर में राम जी केनेछ्ल जलपान
ओहू पर कहियो कोनो उठल सबाल छै
सबरी क जूठ बैर सेहो खेलैथ राम जी
ओहू पर कहाँ कहियो उठल सबाल छै
............वर्ण-१६......
३१.
कनिया निक लगैय श्रृंगार कने सैज धैजके चलु

गला शोभैय हिरा हार कने चमैक चमैकके चलु



शोरह वसंतक जोवन लगैय हिमगिरी पहार

गोरी भगेल अहाँ से पियार कने सैट सैटके चलु



अहाँक रूपरंगक छाया में भSगेलैय लोक बीमार

चढ़ल छै कतेको कें बोखार कने हैट हैटके चलु



सोनपरी के देख दुनिया फेकी रहल छै मायाजाल

गोरी बड जालिम छै संसार कने बैच बैचके चलु



इन्द्रपरी गगन सं उतरी चलैय प्रभातक संग

देखैला लोक लागल बजार कने हैंस हैंसके चलू

............वर्ण-२०..................
३२. गजल
सावन भादव कमला कोशी जवान भSगेलै
कमला कोशी मारैय हिलोर तूफान भSगेलै
कोशी केर कमला सेहो पैंच दैछई पईन
कोशीक बहाब सं मिथिला में डूबान भSगेलै
कोशी के जुवानी उठलै प्रलयंकारी उन्माद
दहिगेलै वलिनाली बर्बाद किसान भSगेलै
गिरलै महल अटारी आओर कोठी भखारी
खेत बारी घर घर घरारी सभ धसान भSगेलै
निरीह अछि मिथिलावासी के सुनत पुकार
खेतक अन्न घरक धन अवसान भSगेलै

कोशिक कहर नहि जानी की गाम की शहर
घुईट घुईट जहर सभ हैरान भSगेलै

खेत में झुलैत हरियर धान बारीमे पान
दाहर में डुबिक नगरी समसान भSगेलै

भूखल देह सुखल "प्रभात" मचान भSगेलै
कोशिक प्रकोप सं मिथिला परेशान भSगेलै
...........वर्ण-१७..............
३३. गजल
साबन में बरसै छै बदरिया गाम आबू ने पिया सबरिया
अंग अंग में उठल दरदिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

प्रेम मिलन के आएल महिना बड मोन भावन छै सावन
कुहू कुहू कुह्कैय कोईलिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

नील गगन सीतल पवन लेलक चढ़ल जोवन उफान
इआद अबैय प्रेम पिरितिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

मोन उपवन साजन प्रेम रासक रस सं भरल जोवन
मोन पडैय अहाँक सुरतिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

मोन बौआइए किछु ने फुराइए जागी जागी वितैय रतिया
पिया कटैय छि हम अहुरिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया
.................वर्ण:-२३.....................
३५.गजल अप्पने देशमें बनल छि हम सभ परदेशी यौ
जन्मशिद्ध अधिकार सं बंचित छि सभ मधेशी यौ

शोषक शाषक कें बोली सं चलैय मधेश में गोली
मरैय मधेशी जेना लगैय माल जाल मवेशी यौ

नारकीय जिन्गी जीवै पर हम सभ छि मजबूर
करेज चुभैय बबुर जौं कियो कहैय विदेशी यौ

यी जन्मभूमि कर्मभूमि हमर स्वर्गभूमि मधेश
मधेश माए केर संतान हम सभ छि स्वदेशी यौ

बन्ह्की परल मधेश माए कल्पी कल्पी कानैय
स्वतंत्र मधेश के संविधान में करू समावेशी यौ
.................वर्ण-१९..............
३६.भ्रम में किएक रखने छि सत्य तथ्य बताबु यौ
नै बनत मधेश तं सरकार छोइड आबू यौ

दिवा स्वप्न में भ्रमित छि जनता केर भ्रमौने छि
मातृभूमि रक्षा हेतु चिर निंद्रा सं जागु यौ

माए मधेश के छाती पर चलल हर फार
खण्ड खण्ड कोना भेल मधेश किछ तं सुनाबू यौ

आब कियो सपूत नै देत वलिदान अहि ठाम
कोना भेल नीलाम मधेश कारन देखाबू यौ

सहिद्क आत्मा के सुनलौ नै चितकार कियो
नहीं भेटल कुनु अधिकार आब नै लडाबू यौ

मधेशी गर्दन पर चलल स्वार्थक तलवार
आब अप्पन संविधान अप्पने लिख बनाबू यौ
............वर्ण-१८.............
३७. गजल आई फेर पुछैय लोक हमरा अहाँ किएक उदास छि
आ हम पूछलएन हुनका सं अहाँ किएक नीरास छि

जातपातक भेदभाव कोना उत्तपन भेल मधेश में
ताहि चिंतन में हम डुबल छि अहाँ किएक नीरास छि

थरुहट अबध मिथिला भोजपुरा नै चाही मधेश के
मधेशी के चाही स्वतंत्र मधेश अहाँ किएक नीरास छि

अखंड मधेश केर विखंडन में शाषक अछि लागल
हेतै क्रूरशाषक के अवसान अहाँ किएक नीरास छि

सहिदक सपना मधेश एक प्रदेश बनबे करतै
निरंकुश शाषक मुईल जेतै अहाँ किएक नीरास छि
............वर्ण-२१..............
३८.गजल
पी कs शराब जे बनैय नबाब
झूठ जिन्गी के ओ करिय बचाब

पी क शराब जे देखाबै नखरा
जमाना ओकरा कहैय खराब

नीसा सं मातल ओ ताडिखाना में
लडैत पडैत पिबैय शराब

ओ खोजैय प्रीतम के बोतल में
बोतल शराब लगैय गुलाब
३९.गजल
इ धरती इ गगन रहतै जहिया तक
अप्पन प्रेम अमर रहतै तहिया तक

कहियो तं इ दुनिया बुझतै प्रेमक मोल
प्रेमक दुश्मन जग रहतै कहिया तक

बाँझ परती में खिलतै नव प्रेमक फुल
प्रेमक फुल सजल रहतै बगिया तक

कुहू कुहू कुहकतै कोयल चितवन में
जीवनक उत्कर्ष रहतै सिनेहिया तक

प्रीतम "प्रभात" संग नयन लडल मोर
भोर सं दुपहरिया साँझ सं रतिया तक

..........वर्ण-१६...............

४० गजल
माए बाप बेटी के जतन सं राखै छै सहेज
ह्रिदय टुक्रा दान करैय में फाटै छै करेज

ख़ुशी के नोर बह्बैत बाप करै छै कन्यादान
दुलहा के चाही टाका रुपैया मागै छै दहेज़

दुलहा बनल याचक बाप बनल पैकारी
की सब चाही दहेज़ ओ सूनाबै छै दस्तावेज

बाप बेचीं घर घरारी दैय छै मोटर गाड़ी
बर मागै सोफासेट बाप तनै छै गोदरेज

दहेजक आईग में जईर कs मरैय बेट्टी
की जाने लोक एकरा कोना करै छै परहेज
--------वर्ण-१७---------------
४१.गजल
दिल में घाऊ भरल मुदा महफ़िल अछि सजल !!
दगावाज प्रीतम के राज खुजल हम गाएब गजल !! -शेर

एकटा राज के भेद आई खुईल जेतए
जीते जी जिनगी सं ओ आई मुईल जेतए

मानैत छलहूँ जेकरा प्राण ओ छल आन
पर्दा उठैत नून जिका ओ घुईल जेतए

फरेबक जाल बुनैय में ओ छै होसियार
कवछ जोगार में ओ आई तुईल जेतए

बैच नै सकैय ओ आई हमरा नजैर सं
सभटा होसियारी ओ आई भुईल जेतए

पतिवर्ता नारी कोना कैएलक मुह कारी
भेद राज खुलैत ओ आई झुईल जेतए
..........वर्ण-१६..............
४२.

गजल

सब दान सं पैघ दुनिया में कन्यादान छै
धन टाका सं पैघ दुनिया में स्वाभिमान छै

निर्लज मनुख की जाने मान-स्वाभिमान
दहेज़ मांगब याचक केर पहिचान छै

मांगी दहेज़ टाका रुपैया देखबैय शान
बेचदैय बेट्टा के लोक केहन नादान छै

जैइर मरैय बेट्टी दहेजक आईग में
विआहक नाम सुनीते बेट्टी परेशान छै

सपथ लिय बंधू दहेज़ नै लेब नै देब
आदर्श विआह जे करता ओहे महान छै

आब नै बेट्टी मरत नै पुत्रबधू जरत
दहेज़ मुक्त मिथिलाक एही अभियान छै

---------वर्ण-१६-----------
४३.गजलप्रेमक दुनियाँ में संसारक रित धनी तोईर दिय
शराबी ठोरक रस हमरा ठोर पर घोईर दिय

प्रेमक बैरी इ दुनिया की जाने प्रेम सनेहक मोल
अनमोल प्रेम सं दिल टूटल हमर जोईर दिय

अहिं हमर जिनगी छि हम अहिं प्रेम केर दीवाना
दिल लगा कs हमरा सं जमाना के पाछु छोईर दिय

प्रेमक पंछी हम अहाँ उईर चलू प्रेम नगर में
कियो देखैय खराप नजैर सं ओकर मुह मोईर दिय

अप्पन प्रेम देख क दुनिया जैईर जैईर मरतै
प्रेमक दुश्मन जमाना के अहाँ धनी झकझोईर दिय

-----------वर्ण-२०------------
४४. गजल मरि रहल छै सीता सन बेट्टी दहेजक खेल में
बेट्टी पुतोहू जरी रहल छै किरोसिन तेल में

बेट्टा के बाप बेचीं रहल छै मालजालक मोल में
बेट्टीबाला के घर घरारी सब लागल छै सेल में

कs देलन घर घरारी दुलहा के नाम नामसारी
बनी गेलाह ओ दाता भिखारी बाप बेट्टा के मेल में

फेर दुलहा मोटर आ गाड़ी लेल कटैय खुर्छारी
कनिया संग आबैय ओ ससुरारी चैढ कS रेल में

नै भेटला सं मोटर गाड़ी कनिया के देलक मारि
दहेजक लोभी ओ बाप बेट्टा चकी पिसैय जेल में

------------वर्ण-१९-----------
४५.गजल
आजुक दुनियां में सब किछ विकाऊ भsगेलै
अनैतिक कुकर्म करैबला कें नाऊ भsगेलै

बेच अप्पन इज्जत कमबै छै टाका रुपैया
ठस ठस गन्हईत छौड़ी सभ कमाऊ भsगेलै

उठलै लोकलाजक पर्दा भsगेलै गर्दा गर्दा
चौक चौराहा नगरबधू के गाँउ ठाऊ भsगेलै

इज्जत केर धज्जी उर्लै एलै केहन जवाना
पुलिस प्रहरी थाना एकर जोगाऊ भsगेलै

वर्ण -17
४६.

गजल

अप्टन सुन्दरता के बढ़ा रहल छै
पुष्प दूध सं सुनरी नहा रहल छै

कोमल कोमल देह लागैछै दुधिया
आईख सं बिजुरिया गिरा रहल छै

पैढ़लिय इ सुनारी छै खुला किताब
अंग अंग सुन्दरता देखा रहल छै

पातर पातर ठोर लागै छै शराबी
गाल गुलाबी रस टपका रहल छै

घिचल घिचल नाक चमकै छै दाँत
काजर के धार तीर चला रहल छै

अप्टन लगा गोरी सुनरी लागै छै
मोन मोहि पिया के ललचा रहल छै

दुतिया चान सन चकमक करै छै
ताहि ऊपर श्रृंगार सजा रहल छै

सैज धैज सजनी इन्द्रपरी लागै छै
देख सुनरी के चान लजा रहल छै

-------वर्ण-१४-------
४७. गजल
अप्पन जीनगी के अप्पने सजाएल करू
अप्पन स्वर्णिम भविष्य रचाएल करू

राह ककर तकैत छि इ व्यस्त जमाना में
अप्पन राह के कांट खुद हटाएल करू

बोझ कतेक बनल रहब माए बाप कें
कर्मशील बनी कय दुःख भगाएल करू

असफलता सं लडै ले अहाँ हिमत धरु
कर्मक्षेत्र सं मुह नुका नै पडाएल करू

हार मानु नै जीनगी सं जाधैर छै जीनगी
जीत लेल अहाँ हिमत के बढ़ाएल करू

चलल करू डगर सदिखन एसगर
ककरो सहारा कें सीढ़ी नै बनाएल करू

उलझन बहुत भेटत जीवन पथ में
पथिक बनी उलझन सोझराएल करू

हेतए कालरात्रिक अस्त नव-प्रभात संग
अमावस में आशा के दीप जराएल करू
------------वर्ण -१६------------
४८.गजल हम अहाँ संग चलैत रहब जाधैर छै जीनगी
दुःख सुख हम सभटा सहब जाधैर छै जीनगी

हावा बयार कतबो तेज बहतै छोडब नै संग
अहाँक सूरत देख कs जीयब जाधैर छै जीनगी

नीरास भाव केर त्याग करू आशाक दीप जरा कs
जीवन सं हम संघर्ष करब जाधैर छै जीनगी

विपतिक घड़ीमें देखैत चलु भाग्य केर तमाशा
अपनो भाग्य बदलतै कहब जाधैर छै जीनगी

"प्रभात" पतझर गुलजार जीवनक बगिया में
प्रेम सनेह नदिया में बहब जाधैर छै जीनगी

-----------वर्ण-१९----------

५०.गजल

ई हमर दुर्भाग्य नहि जे अहाँक सनेह पाबी नहि सकलौं
अहाँ बुझैत छि दोष हमर अहाँक नाम जापी नहि सकलौं

नहि जानी किएक क्रोद्ध देखबैछी ईर्ष्याभाव सेहो करैतछी
क्रोद्ध तामस सं मातल आगिक आंच हम तापी नहि सकलौं

दम्भ अहंकार सद्दति अछि अहाँक क्रुद्ध संस्कारक स्वाभाव
गुण शील विवेकक अछि आभाव से हम भांपी नहि सकलौं

अपने शुद्ध जग अशुद्ध अहाँक परिपाटी हम जानी गेलौं
विशुद्ध मोती केर ज्योति पर अहाँ नजैर ताकि नहि सकलौं
-----------वर्ण-२३---
५१.गजल
गोरी अहाँक आईखक काजर हमर जान मरैय
कारी कारी केशक लाल गाजर हमर जान मरैय

कs कs सोलह श्रृंगार अहाँ जखन घर सं निकलै छि
हावा में उडैत अहाँक आँचर हमर जान मरैय

चानी पीटल देह देख कs मोन करैय करि सनेह
सजनी अहाँक कमर पातर हमर जान मरैय

रूप अहाँक चकमक ज्योति अंग अंग लगैय मोती
मोती सं जडल अहाँक चादर हमर जान मरैय

वर्ण-२०
५३.गजल
श्रद्धा सुमन मोन उपवन में प्रीतम
अहिं हमर मोन चितवन में प्रीतम

प्रेम परागक अनुराग अछि जीवन
श्याम राधा मिलन वृन्द्रावन में प्रीतम

चलू जतय बहैय प्रेम स्नेह सरिता
सिया रामक संग रामवन में प्रीतम

रुक्मिणी बनी विरह कोना हम जियब
हमहू जाएब लक्ष्मणवन में प्रीतम

अढाई अक्षर प्रेमक प्रेम में संसार
प्रेम विनु जीव कोना भवन में प्रीतम

वर्ण-१५.......
५४. गजलनीरास जिनगीक अहिं हमर नव आस छी
हम विहिनी कथा अहाँ हमर उपन्यास छी

हम पतझर बगिया केर मुर्झाएल फुल
अहाँ रजनीगंधा गुलाब फूलक सुवास छी

हम नीम गाछ तित अछ हमर सभ पात
मधुर फल में अहाँ सभ फल सं मिठास छी

कर्मक मरल छलहूँ हम जग सं हारल
नीरसल जीनगीक अहिं हमर पियास छी

देखलौं बड खेला ई जग अछि स्वार्थक मेला
स्वार्थक संसार में अहिं निस्वार्थ विस्वास छी

साँस लेब छल मुश्किल छलहूँ हम वेजान
इ बांचल प्राण "प्रभात"अहिं हमर साँस छी

--------वर्ण-१७---------
५५. गजल
भरल जोवन में दुःख देलौं अपार सजाना
विरह जीनगी लगैय आब अन्हार सजना

छोड़ी हमरा पिया गेलौं परदेश जहिया सँ
फूटल तहिया सँ इ करम कपार सजना

सहि जाएत छि बैषाख जेठक गर्मी कहुना
सहल नै जइए जुवानी के गुमार सजना

अहींक वियोग में धेने छि विरहिन भेष यौ
निक लागैय नै हमरा शौख श्रृंगार सजना

चान देखैय चकोर दिल में उठेय हिलोर
टुक्रा टुक्रा भेल दिल हमर हजार सजना

मोन करैय माहुर खा छोइड दितौं दुनिया
मुदा मरहू नै दैय अहाँक पियार सजना

वर्ण-१७-
५६. गजल
हम कहानी जीवन केर सुनाऊ कोना
करेज चिर कs घाऊ हम देखाऊ कोना

नाम हुनके जपैतछि जे देलक दगा
द्गावाज प्रीतम सँ दिल लगाऊ कोना

चमकैत रूप पाछू जे भागल दीवाना
ओहन दगावाज के हम मनाऊ कोना

विछोडक पीड़ा सँ सुल्गैत अछि करेज
धुँवा धुँवा अछि जीनगी बताऊ कोना

विसरल नै जाईए ओ मिलनक पल
प्रीतमक ईआद दिल सँ भगाऊ कोना

जरल करेज में प्रेम जगाएब कोना
दिल में प्रेमक दीया आब जराऊ कोना

वर्ण-१५------

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