रविवार, 1 जुलाई 2012

मैथिलि कव्वाली मुकावला-1

 मैथिलि कव्वाली मुकावला-1

बंधुगन अपने लोकनिक समक्ष हम एकटा नव आयाम मैथिलि मुकबला कवाली पेश क रहल छि अप्पने लोकनिक सुझाब लेल सादर आमंत्रित छि आशा अछि की अप्पने सभक प्रतिक्रिया सं किछ नव ज्ञान सिखबाक मौका भेटत !


पुरुष :- ओ प्रेम की करत हमरा सं,जे जाने नै प्रेमक परिभाषा
तोड़ी के दिल हमर, मईट में मिलादेलक प्रेमक अभिलाषा
करैत छलहूँ जकरा से पियार ओकरे लेल हम बेकार भsगेलौं
मोनक ब्यथा कागत पर लिखी लिखी हम गीतकार भsगेलौं //२
गीतकार भगेलौं ,गीतकार भगेलौं , हम गीतकार भगेलौं .........  


महिला:- हम प्रेम की करब हुनका सं जे प्रेम में देलन एहन दगा
दिल लगा कs हमरा सं हमर बोहीन के लsगेल घर सं भगा
करैत छलहूँ जकरा से पियार ओकरे लेल हम बेकार भsगेलौं
दिल के दर्द कागत पर लिखी लिखी हम गजलकार भsगेलौं //२
गजलकार भsगेलौं ,गजलकार भsगेलौं ,हम गजलकार भsगेलौं .......



पुरुष:-ओ प्रेम की करत ककरो सं जे दू-दू टा प्रेमी के दिल में बसौलन
प्रीत जगा क दिल में हमरा हमर मीत सं विआह रचौलन
नै  पुछू इ खबरी सुईनते हम कतेक बीमार भ गेलौं
अप्पन कथा कागत पर लिखी लिखी हम कथाकार भsगेलौं //2
कथाकार भsगेलौं ,कथाकार भsगेलौं ,हम कथाकार भsगेलौं ........


महिला :- हम प्रेम की करब हुनका सं जे चढ़ल जोवन में देलक धोखा
छोड़ी कय घरक भोजन बहरे बाहर खैय दही चुडा पर चोखा
भरल जवानी में प्रीतमक जुल्म सहै पर हम लाचार भ गेलौं
अप्पन कथा कहानी कागत पर लिखी  लिखी हम साहित्यकार भगेलौं //2
साहित्यकार भगेलौं,साहित्यकार भगेलौं ,हम साहित्यकार भगेलौं ..............



पुरुष :- सोचु कने मोंन पाडू कोना बढल हमरा अहा बिचक दुरी
प्रेम निसा सं हम छलहूँ मतल अहाँ बुझलौं नै हमर मज़बूरी
प्रेमक पियास सं हम तडपैत छलौं अहाँ बेर बेर नखरा देखबैत गेलौं
अहाँ बुझलौ नै दर्द हमर हम बाहर बाहर भोजन करै पर लाचार भगेलौ //2
लाचार भगेलौ ,लाचार भगेलौ ,हम लाचार भगेलौ ................................





रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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