दुनिया सगरो लगैया अन्हार -- २
भूखल पेट जेकर टूटल घरदुवार
वर्षा में भीत गिरल हवा उरौलक चनवार
फाटल अंगा झलकैया अंग उघार
सर्दी सं थर थर कापिं बहैय पूर्वाबयार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2
दिन दू;खी पैर हुकुम करैया
नेता आर सरकार
गरीबक बच्चा कोना जिबैय
केकरो नै कुनु दरकार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2
बड़का माछ छोटका माछके
बनौलक अपन आहार
धनवान बनल अछि शिकारी
निर्धन के करेय शिकार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2
अन्न अन्न लय जी तर्सैया
भेटे नै किछु आहार
के बुझत मर्म गरीबक
साहू महाजन नै दैय उधार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2
माए बाबु रोग सं ग्रसित
कोना करी हुनक उपचार
तंग आबिगेलहूँ हम
देख इ दुनियाक व्यवहार
गरीबक जिनगी भेल पहार ..............2
दुनिया सगरो लगैया अन्हार ............2
रचनाकार:- प्रभात राय भट्ट
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