गुरुवार, 20 जनवरी 2011

गहरी नींद @प्रभात राय भट्ट

गहरी निन्द !!!
जागो जागो मेरे सोये हुये किस्मत जागो !!
देखो सु-प्रभात लेके आया है एक सुन्दर सा सबेरा !!
चारों ओर फैल रही है सु-प्रभात कि स्वर्णिम लाली !!
स्वछन्द पवन मे नाच रही है हर पेडपौधों कि डाली !!
जागो जागो मेरे सोये हुये किस्मत जागो !!
कब तक रहोगे गहरी निन्द मे सोये,जब तक कुछ खो न जाये !!
तेरे जाग्ने मे कहिँ देर न होजाये !!
वक्त वित् जाने पर तु हाथ मलते रह जाये !!
पर तेरे हथों मे कुछ न आये !!
जागो जागो मेरे सोये हुये किस्मत जागो !!
माना कि समय से पहले और भाग्य से अधिक कुछ न मिल पाये !!
पर भाग्य भी गहरी निन्द मे सोजाये और वक्त भी हाथ से निकल जाये !!
तो पस्च्याताप के सिवा तेरे जीवन मे और कुछ न रह जाये !!
जागो जागो मेरे सोये हुये किस्मत जागो !!
वक्त कि नजाक्त को जानलो,समयचक्र को भी पह्चानलो !!
फिर कदम पे कदम आगे बढाते चलो !!
कामयाबी कि यासियाना बनाते चलो !!
रचनाकार:--प्रभात राय भट्ट

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