गुरुवार, 20 जनवरी 2011

majdur@prabhat ray bhatt



मजदुर !!!

भगवान क असिम कृपा स अहा भेलौ धनवान !!
मुदा भुखा निर्बस्त्र आर निर्धन सहो छैथ इन्सान !!

भुख स छटपटा रहल छै,निर्धन ख्याला एक टा रोटि !!
मुदा धनक लोभ स खुली नै रहल अछी अहा क पोटि !!

भुखा प्यासा निर्बत्र मे करु अपन अन्न धन्न दान !!
तखने ह्याब अहा सबकेर नजैर मे महान् !!

दुख:भुख आ विपति सहके बईनगेल छै गरिब क मजबुरी !!
दु टुक्रा रोटि ख्यालेल खुन आ पसिना बहाके करैया मजदुरी !!

मजदुरक श्रम स उब्जैया फलफुल तरकारी आ बिभिन्न अन्न !!
मालिक भजाईय धनवान मुदा श्रमिक रही जाईय निर्धन !!

आदमी नै छै अहाक नजैर मे नोकर चाकर आर मजदुर !!
निर्धन गरिब पर हुक्मत करैछी कहाँ भेलौ अहा निस्ठुर !!

नै देखाऊ अईठाम ककरो झुठा रुवाब आर साख !!
एकदिन जईरके भ ज्याब अहु अई माटीमे राख !!

कंकर पाथर थाली मे भेटत् भुख स जौं अहा छ्टपटयाब !!
मुठी बांधके जग मे एलि हाथ पसाइरके ज्याब !!

कविता क रचैता:-प्रभात राय भट्ट



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