गुरुवार, 20 जनवरी 2011

हमे आजादी दो !!!
by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Friday, 24 December 2010 at 08:46
खामोश आँखे, कप्कपाती लबज कुछ कहने को चाह्ता है !!
तडपते हुये दिल पिजडा तोड्के उड्जानेको चाह्ता है !!
पर मेरे हुक्मरान कि हुक्म है, कुच्छ मत बोलो !!
चुप चाप मेरे दमन को झेलो !!
तुझे तडपता देख के मुझे बहुत मज़ा अता है!!
ह़ा बहुत मजा आता है, . . धिकार है मुझे अपने आप पर .!! . .
कौन दिलायेगा मेरा स्वतन्त्र अधिकार !!
कौन करेगा इन दमनकारी शासकों. कि प्रतिकार !!
लड़नी होगी मुझे खुदको अपने आजादी कि लडाई.!!
अब होसला दिल मे है ,तकते बाजूओ मे है !!
,बुलन्द है मेरी आवाज!!
.हमे स्वतन्त्र मधेश कि आजादी दो!!
.घर घर मे रोटि और रोजगारी दो!!
हम ने ऐशा क्या मांग डाला,
जो कहते हो इश पे कोइ अधिकार नही है तेरा !!
हमने तो वही मांगा है जो सदियों से है मेरा !!
मांगने से नही दोगे तो हम छिन्ना भी जानते है !!
तेरे कुटिल नज़र को हम भली भाति पहचानते हैं!!
.मुझे और मेरे मधेश कि आजादी दो !!
.घर घर मे रोटि और रोजगारी दो, हमारे मधेश कि आजादी दो !!
जय मातृभूमि !! जय नेपाल !!
कविता के रचनाकार:---प्रभात राय भट्ट

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