ये हवा मुझे ईतना बता ,क्या है मेरे महबूब की पता !!
नजाने किस हल में होगी ओ कुछ नहीं मुझे पता !!
जीना मुहाल हो गया है मेरा ,जबसे हुवा ओ मुझ से जुदा !!
मौला मेरे मुझे मेरे महबूब से मिलादे ,उम्र भर करूँगा मै तेरा सजदा !!
मेरे बेबसी की नजाकत पर जरा तरस खाओ !!
रहम करके मौला मेरे महबूब से मिलादों !!
डस रही है मुझे इस तन्हाई में लम्बी रात की जुदाई !!
एहसास होता है की ओ साथ है मेरे बनके मेरी परछाई !!
ढल चुकी है सूरज छाने लगी है अँधेरा !!
मुझे मेरे महबूब से मिलना है नजाने कब होगी सबेरा !!
नजाने क्या भूल हुयी मुझसे ,क्या है मेरा खता !!
नजाने किस हालमे होगी ओ ,कुछ नहीं मुझे पता !!
मौला मेरे मौला मुझे मेरे मेह्बुबसे मिलादे ,या तो फिर जनाजा उठादे !!
मौला मेरे मौला मुझे मेरे मेह्बुबसे मिलादे ,मेरे तक़दीर बनादे !!
उसकी यद्मे ईतना टूटा हूँ की छुनेसे बिखर जाऊंगा !!
मिलने की तमन्ना सायद दिलमे लिए मिटटी में दफ़न होजाऊंगा !!
मौला मेरे मौला मुझे मेरे मेह्बुबसे मिलादे ,मेरे तक़दीर बनादे !!
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
rayprabhatbhatt.blogspot.comhttp://rayprabhatbhatt.blogspot.com
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