गुरुवार, 20 जनवरी 2011

क्या खोया क्या पाया !!!
by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Friday, 24 December 2010 at 09:40
खाली हाथ आया था, खाली हाथ है जना ! !
जीवन क्या है , मैने अब तक नही पह्चना !!
कौडी कौडी जोद्के, बनाया महल और खजाना ! !
अशक्त हो गया हूँ, अब बनते नही कुछ कर पाना !!
हिसाब बडी मुस्किल है, अपने कर्मो का कर पाना !!
उलझ रहा हूँ, अपने आपमे हमने क्या पाया क्या खोया !!
भुल गया अपने जीवनकी, मुलभूत कर्मोंको ! !
उल्झे रहे स्वार्थ ,लोभ ,लालच और मायाकी जालमे !!
फस्ते गये झुठ फरेब , असत्य और जुल्मकी चालमे ! !
फैस्लाकी घडी आई तो,अपने भी मुकड गये अन्त काल मे !!
जिसको मैने जिन्दगी माना, ओ भी काम न अया ईश हालमे ! !
उलझ रहा हूँ अपने आपमे , हमने क्या पाया क्या खोया !!
बोल नही पाया मैने सत्य ,निष्ठा ,प्रेम और सदभाव कि वानी ! !
भुखे को न खिलाया कभी , प्यासे को न पिलाया पानी !!
भोग बिलाशमे अन्धा होके , जीव जगत से किया मनमानी ! !
अब तो नफरत के भी काविल न रहा , ये मेरे जिन्दगानी !!
पथभ्रष्ट हो गया मैन , खुद बखुद हो रहा है आत्मग्लानी ! !
समझ गया अब , हमने क्या पाया क्या खोया !!
परमानन्द खोया और छनिक भोग बिलाश अहंकार पाया !!
कविता के रचनाकार :--प्रभात राय भट्ट

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