धर्तीपुत्र वीर सहिद
by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Wednesday, 22 December 2010 at 08:18
मेरा जन्मभूमि मेरा कर्मभूमि मेरा मातृभूमि मधेस !!
ज्ञान सरोवर ऐतिहासिक धरोहर, अनमोल यहाँ कि संस्कृति !!
बढा रही है सुन्दरता हाराभारा जंगल और मनोरम प्रकृति !!
सदभाव भाइचारा प्रेमस्नेह और गरिमामय यहाँ के भाषाभेष !!
फिर भी हम घुट घुट के जिते है, आँखो के आँशु पिते हँ !!
स्वास्थ शिक्षा सडक और रोजगार हम से है बहुत दुर !!
सताधारी खाता है हमारे मेहनत कि रोटि, भुखे मरते है हम मधेसी मजदुर !!
बुझ गयी आशा अभिलासा कि दिप,थक गयी इन्तजार करते करते आँखे !!
अब दुष्ट निरंकुस तानाशाही सताधारी हमको बिल्कुल नही भातें !!
फिर भी हम घुट घुट के जितें है आँखो के आँसु पिते है !!
पिडित मधेसियों ने क्रान्ति कि बिगुल बजाई !!
वीर सहिदों ने लिया धर्तीपुत्र का अवतार !!< वीर योद्धा लड़ते रहे किया निरङ्कुश शासकों कि प्रतिकार !! जिस्म कि टुक्रे टुक्रे हो गये पर माने न कभी हार !! अपने जान कि आहुति दिये हमे दिया स्वतन्त्रता कि उपहार !! क्रान्तिवीर सपुतको देखके माँ कि छाती हुवा दुन्ना मातृभूमि कि कर्ज अदा किए पर माँ कि गोद हुवा सुन्ना !! वीर सहिदो ने हस्ते हस्ते दे दि अपने जान कि कुर्बानी !! इतिहास मे लिखि जाएगी ईन वीर सहिदों कि कहानी !! अब बारी हमारी है यारों कह्दे उन सहिदोंकी माँ से जरा !! हम सारे बेटा है तुम्हारी तु माँ है हमारा,तु माँ है हमारा !!! रचनाकार :--- प्रभात राय भट्ट
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