जीता हूँ जिसके लिए उसीके नामसे पिता हूँ !!
मेरे यारने की है मुझ पर ये मेहरवानी !!
उसीने दी है मुझे ये जिंदगानी !!
अब न पियूँगा शराब तो मर जाऊंगा !!
ईतना फिसल गया हूँ की अब न सम्हाल पाउँगा !!
जब जब मैं पिता हूँ शराब !!
लोग कहते हैं ये आदत हैं खराब !!
पर कोई नहीं पूछता है तू क्योंपिता है शराब !!
जिस यार को मैंने चाहा !!
ओ झूम रही है किसी और की बाँहों में !!
भटक रहा है मेरा जवानी तन्हाई की राहों में !!
ओ मुझे जला के चली जाती है !!
अपने आशिक की बाँहों में !!
यार के संग गुजरे पल की तस्वीर !!
उत्तर आती है मेरे निगाहों में !!
जब टूट जाता हूँ आ जाता हूँ मैंखाने में !!
जब खोलता हूँ बोतल शराब की !!
मेरे रूबरू नजर आती है खुशबु मेरी दिलरुबा की !!
गम भुलानेको उठा लेता हूँ हाथों में जाम !!
जुबा पे आती है सुबहो साम उस वेवफा की नाम !!
अब न पिऊंगा शराब तो मर जाऊंगा ...............२ !!
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
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