बुधवार, 26 जनवरी 2011

अँधा है कानून@प्रभात राय भट्ट




अँधा है कानून ,गूँगा है जनता और बहरी है सरकार !!
दिन प्रतिदिन बढती जारही है आम जनता पर अत्याचार !!
बाहुबली की है बोलबाला ,जो करता है जनता की बजेट घोटाला !!
बंद हो रही है पाठशाला ,जगह जगह खुल रही है बियर बार,मधुशाला !!
जीना मुहाल हुवा इस देस में ,अब लुटेरा घूम रहा है राजनेता की भेष में !!
परख में नहीं आता कौन है गद्दार,कौन है इमानदार !!
अँधा है कानून ,गूँगा है जनता और बहरी है सरकार !!

सत्ता की कुर्सी फसी है नाताबाद ,क्रिपाबाद और क्रूर साशक की चालमें !!
देस की जनता फसी है सामन्तबाद और भ्रष्ट शासक नेता की जाल में !!
पल्बित होरही है बाहुबली की सम्राज्यबाद ईस देस में !!
प्रफुलित होरही है भ्रस्टाचारी दुराचारी रास्ट्रबाद की भेष में !!
जनता जिसको अपना नेता माना ओ लिप्त है पैसा कमाने की खेल में !!
अत्याचार भ्रष्टाचार की खिलाफ आवाज उठाने वाले बंद करदीजाती है जेल में !!
अँधा है कानून ,गूँगा है जनता और बहरी है सरकार !!

छाने लगी है देस में भूख गरीबी बेरोजगारी और महगाई की कहर !!
अस्त्ब्यस्त है जनजीवन चाहे गाउ हो या शहर !!
अपने स्वार्थ में गरीब जनता की चूसा जराहा है खून !!
रक्षक जब भक्षक हो जाये तो कौन दिलाएगा सकुन !!
अब हम सारे जनताको होना है एकजुट,ख़त्म करना है तेरा काला करतूत !!
अब हम कानून की आँखे खोलेंगे ,हम सरे जनता बोलेंगे ,सुनेगी सरकार !!
हम सारे जनता उतरआये है करने तेरा दमनकारी शाशन की प्रतिकार !!
रचनाकार :--प्रभात राय भट्ट

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