बुधवार, 28 सितंबर 2011

खुद बदलो बदल डालो दुनिया@प्रभात राय भट्ट

बातें तो युहीं बड़े बड़े सभी करतें हैं
मैं समाज बदल सकता हूँ मैं देश बदल सकता हूँ
यार मैंने मना की तुम सबकुछ बदल सकता है
पर पहले तू खुद को तो बदल के देखा
यथास्थितिबाद के सिधान्त से बहार निकल के तो देखा
स्वाधीनता प्राप्त की डगर पे चल के तो देखा
तू बदल गया तो ये जहाँ बदल जायेगा
नाबिनता की सृजन जहाँ में नजर आएगा
तुझ में वह उर्जाशक्ति है पहचानो अपनेआपको
प्रवाहित करो परिवर्तन की धार
प्रज्वलित करो क्रांति की मुलभुत आधार
अंकुरण करो जन जन की मानसपटल पर
नव संग्राम की युगांतकारी बिचार
प्रष्फुटन करो परिवर्तनशील सिधान्त की सार
तुम खुद लेलो कार्लमार्क्स की अवतार
खुद बदलो और बदल डालो ये भ्रष्ट संसार
तेरे प्रतिभा की प्रयाश से बुझेगी जन जन की प्यास
स्थापित होगी अमन चैन सुख समृद्धि शांति
खुद बदलो बदल डालो दुनिया यही है नव क्रांति

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

b