- हमारें मां बाप झूठे हैं
मान्यवर मधेशी नागरिक अब हम अपने बच्चे के नजर में झूठे साबित हो रहें हैं क्यूँ की जब हमारे घरमे एक बच्चा पैदा होता हैं और धीरे धीरे बड़ा होने लगता हैं तो कहा गया है की बच्चो की पहली पाठशाला उसका घर और पहला गुरु उसका माँ बाप होता हैं ! तो हम भी अपना कर्तव्य पूरा करते हुए अपने बच्चों को उसका परिचय प्रदान करतें हैं उसे हम सिखाते हैं बेट्टा तुम्हारा घर ..............जनकपुर हैं जिल्ला धनुषा अंचल जनकपुर और तुम्हारा देशका नाम नेपाल हैं ! बच्चे रटना सुरु करदेता हैं समय के साथ साथ उसे हम स्कुल में दाखिला करबा लेतें है बच्चे पढना सुरु कर देता हैं अब स्कुल में उसके मातृभाषा में शिक्षा नहीं दिजाने के वजह से उसे विकट भाषा नेपली पढ़ने पर मजबूर किया जाता हैं और शिक्षक द्द्वारा जबरन बच्चों को नेपाली सिखाया जाता हैं धीरे धीरे बच्चे अपने मातृभाषा के प्रति रुष्ट होने लगता हैं और बच्चें अपने आपमें संकोचित भावना का शिकार हो जाता हैं ! जिसके वजह से उसके बौद्धिक विकाश में अबरुद्ध पैदा होने लगता हैं समय के साथ साथ बच्चे बड़े हो जाते हैं और अपना स्कूली शिक्षा पूरा करने के बाद उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए सोचता हैं ! और मधेश में उच्च शिक्षा की सुबिधा अप्रयाप्त होने के वजह से मधेशी छात्र छात्रा काठमांडू लगायत देश की अन्य विकशित शहरों में जब ओ जाते हैं और जहाँ पहाड़ी समुदाय का बोलबाला होता हैं वहां पर मधेशी छात्रों के साथ दूरव्यबहार किया जाता है और उपेक्षित नज़रों से देखा जाता है ! मधेसी युवाओं अपने देश की भ्रमण या रोजगारी के शिलशिला में पहाड़ी इलाका में जाते हैं तो वहां भी उसे अपमानित किया जाता हैं धोती मधेसिया मर्सिया बिहारी खली सीसी बोतल आदि इतियादी अपमानजनक शब्दों के बौछार से घायल कर दिया जाता हैं !
मधेसी युवाओं नौकरी तलास के शिलशिला में अपने मातृभूमि की रक्षा हेतु नेपाल राष्ट्रिय सेना में अपना श्रम समर्पित करने का निर्णय लेता है और वो नेपाल सेना की तालीम केन्द्र में पहुचता है परन्तु मधेसी युवाओं को यह सौभाग्य नहीं मिलपाता है उसे सेना की ऑफिसर द्द्वारा कहा जाता है की तुम सेना में भर्ना नहीं हो सकते ! मधेशी युवाओं हतप्रभ हो जाता है और अपने आप से पछ बैठता हैं हमे सेना में भर्ना क्यों नहीं लिया जा सकता है ? क्या हम निक्मे हैं ? क्या इस नौकरी के लिए हम योग्य नहीं हैं ? क्या हम मधेसी इस देस का नागरिक नहीं हैं ? या तो फिर यह देश ही हमारा नहीं हैं ? आखिर कौन येसी वजह है जो हमे इस सेवा से बंचित किया जा रहा हैं ? या तो फिर हमारे माँ बाप झूठे है ? ओ हमसे झूठ बोलेथे की बेट्टा तुम नेपाल के नागरिक हो और नेपाल तुम्हारा देश है ? यदि नेपाल हमारा देश है तो हमारें मौलिक हक और नागरिक अधिकार कहाँ हैं ? एक नागरिक के लिए उसके देश में उसका जन्मशिद्ध नागरिक अधिकार सुरक्षित होता हैं परन्तु हमारे लिए इस देश में असीमित अधिकार और असुरक्षित कानून क्यूँ है ? अपनेही भूमि में हम एक दाशी की भांति क्यों जीते है ? हमे हमरा अधिकार अब लड़ के लेना होगा आओ मधेसी माहान युवाओं अब हमे एकजुट हो करके हमारा मधेश मुदा को अगाड़ी बढाबें और हम अपना भविष्य को सुरक्षित करें !!! जय मधेश !!! जय मातृभूमि !!!
by :-प्रभात राय भट्ट
किस से पुछु,कोन बाताऐगा, क्या है मेरा पहचान !!!
by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Tuesday, December 21, 2010 at 10:48pm
किस्से पुछू कौन बताएगा क्या है मेरा पेहचान ,. . . . .
माँ जानकीकी जन्मभूमि मिथिलाअंचल मधेस
जो है तेरा मातृभूमि नेपाल देश,
मेरी माँ ने दीथी मुझे ये उपदेश .. .
दिलमे मची यैसी तरंग झूम उठा मेरा मन,
चल पड़ा मै करने अपने देश नेपाल की रमण .
कही किसी ने कहा मधेशी मुझे बहुत अच्छा लगा,
खून मेरा तब खौल उठा जब पहाड़ियों ने कहा मुझे
मधेशिया, मर्सिया, देसी बिहारी और धोती .
मधेस की जमीन से मिलती है पहाड़ियों को दो छाक की रोटी
.फिर भी करता है हमारा उफाश कहकर हमे धोती .
पहाड़ी भाइयो ने उड़ाया मेरा मजाक कर दिया मेरा ऐसा अपमान .
नहीं दिया मुझे मेरा एक नेपाली होनेका सम्मान .. . . . . . . . . . . . . . . . .
किस्से पुछू कौन बताएगा क्या है मेरा पेहचान ..,
हाँ! मै हु एक मधेसी नेपाली और मधेस ही है मेरा स्वाभिमान ,
कबि बिध्यापति जी ने भी किये है मधेसका बखान .
मधेस से ही अब्तारित हुए माँ जानकी और गौतमबुद्ध भगवान .. . . . . .
गर्व है मुझे मधेसी होने पर और मधेस ही है
हमारा स्वाभिमान और यही है मेरा पेहचान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
b