मधेश करता है गजू बाबु तुझे सलाम ,तुझसे ही मिला मधेशी जनता को एक नया अबम . अज गजू बाबु हमारे बिच नहीं है पर उनकी बनी अज भी हमारे साथ है , कदम कदम पे हमे मार्गदर्शन करते है ,उन्होंने हमे स्वतंत्र ज़िन्दगी जीने की कला सिखलाये ,मधेश को आजादी दिलाने की कसमे उठाये ,अकेला वोह सकस थे जो संषद भवन में मधेसी पोषक धोती और कुरता पहनके जाते थे ,पहाड़ी समुदाई के लोग गीध के नजर से उन्हें देखता था , पर वोह कवी भी कदम पीछे नै हटाये , एक बीर योधा की बहती आगे और सिर्फ आगे बढ़ते गए .उनका अकेला आजादी की यात्रा था और वोह अकेले ही सरे पहाड़ी समुदाई से लड़ते रहे , पर हम मधेशी जनता जो उनके साथ नैन्शाफी किये है वोह अज हमे ज्ञात हो रहा है ,जिन्हों ने अपने ज़िन्दगी को भुलाके हमारे लिए जीते रहे , हमने उनकाही दमन छ ओद दिया ,नगण्य रूपसे उन्हें मधेसी जनता की साथ मिली . अज जब वोह हमारे बिच नहीं है तो उनकी कमी मह्सुश हो रही है .अज मधेशी जनता में जो उर्जा है यही उर्जा हम पहले दिखाए होते और गजू बाबु को साथ दिए होते तो 18 साल पहले ही हमे आजादी मिल गयी होती .खैर अब भी हम सरे मधेसी जनता मिलके उनके सपने साकार करें क्यों की वोह हमारे आदर्श है .
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