गजल
अप्पने देशमें बनल छि हम सभ परदेशी यौजन्मशिद्ध अधिकार सं बंचित छि सभ मधेशी यौ
शोषक शाषक कें बोली सं चलैय मधेश में गोली
मरैय मधेशी जेना लगैय माल जाल मवेशी यौ
नारकीय जिन्गी जीवै पर हम सभ छि मजबूर
करेज चुभैय बबुर जौं कियो कहैय विदेशी यौ
यी जन्मभूमि कर्मभूमि हमर स्वर्गभूमि मधेश
मधेश माए केर संतान हम सभ छि स्वदेशी यौ
बन्ह्की परल मधेश माए कल्पी कल्पी कानैय
स्वतंत्र मधेश के संविधान में करू समावेशी यौ
.................वर्ण-१९..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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