मंगलवार, 29 मार्च 2011

अनमोल रचना@प्रभात राय भट्ट

रूप अहाँक लगैय चंदाचकोर अन्हार में करैछी ईजोर,
देख अहाँके मोनमें हमरा उठल हिलोर बड़ा बेजोर,

अहाँक केशक गजरा आईखक कजरा जान मारैय,
नशीली नयनक धार हमरा दिल पर वाण मारैय ,

खन खन खन्कैय कंगना छम छम बजैय पाजू,
 घुंघटा उठा सजनी हमरा संग मुस्की मुस्की बाजू,

अहाँके पबैला मंदिर मस्जिद मगैछी दुवा पढ़ैछि कलमा,
हे यै हमर गोरी गरिमा बनालू हमरा अहाँ अपन बलमा,२

चम् चम् च्म्कैछी रानी अहाँ दुतिया के चाँद सन,
गम गम गम्कैछी सुगिया अहाँ बेलीचमेलि फुल सन,

मृग नयनी अहाँक नयन ठोर लगैय रस भरल मधुशाला,
अंग अंगमें तरंग मोनमें उमंग जेना संगीतक पाठशाला,

प्रेम रस स उमरल रूप अहाँक देख भेली हम दीवाना यए,
देख अहाँ संग हमरा गोरी,जईर जईर मरैय जवाना यए,

डोली कहार लक आएब गोरी हम अहाँक अंगना
अहाँ बनब हमर सजनी हम बनब अहाँक सजना,

अहाँक रूप देखि चाँद चकोर सेहो लजागेल,
अहाँक सुन्दरताके तेज स ईन्द्रपरी सेहो झपागेल,

विधाता के रचल सजनी अहाँ छि अनमोल रचना,
अंग अंग में सजल यए अनुपम अनुराग के गहना,

हे यै हमर मोनक रानी गरिमा चलू हमर अंगना,
अहाँ बनब हमर सजनी हम बनब अहाँक सजना,२

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट  





  

  

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

पेट किया जरैत@प्रभात राय भट्ट

जाईछी  परदेश  धनि छोइडक अपन देस,
भेजब कमाके धन रुपैया मीठमीठ सनेश,

जग केर रित सजनी आब अहाँ जानु,
जिनगीके चौबटिया पर येना नए कानु प्रभात राय भट्ट

प्रीत स जौं चलैत जिनगी त पेट किया जरैत,
अन्न विन दुनियां में लोग किया मरैत,

अहाँ विन सजनी हम जिव नए सकैत छी,
मुदा भूखे  जौ पेट जरत त प्रीतो नए सुहाय्त,

गरीव भक जन्म लेलौ अई पत्थर के संसार में,
जिनगीक नाव अटकल रहिगेल मजधार में,

हम नाव बनब अहाँ पतवार बनू,संग संग चलू,
हम नवका खोज के राही,अहाँ राय दैत चलू ,

दुःख सुख केर जीवन साथी अपन साथ दिय,
जिनगीक यात्रामें जौं लरखराई त हिमतके हाथदिय,

जीवन के कटुसत्य  सजनी आब अहाँ मानु,
जिनगी केर चौबटिया पर येना नए कानु,

लड़ दिय हमरा जिनगी स चलदिय कर्मपथ पर,
गन्तव्य स्थान जरुर मिलत चलू दुनुगोटा धर्मपथ पर,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

प्रेम दीवाना@प्रभात राय भट्ट

हम अहाकप्रेम दीवाना अहिं स:प्रीत करैत छी,
सुतैत जगैत उठैत बैसैत अहींक नाम रतैत छी ,
ऐसजनी अहींक नाम रतैत छी .....................२

हम अहाँक प्रेम दीवानी अहिं स:प्रीत करैत छी,
जखन तखन सद्खन सजना अहींक याद करैत छी,
ययौ सजाना अहिं के याद करैत छी.....................२ 

रोज रोज हम लिखैत छी अपन प्रेम कहानी के पोथी ,
अहाँ विन तडपैछी जेना पाईन विन तडपैय पोठी,
वित् जाईय दिन कहना राईत नए वितैय.........
अहिं के सुरता सजनी सद्खन लागल रहैया....२

हमर मोनक बात पिया अहिं सब कहिदेलौं ,
अहुं केर तड़पन पिया हम सब जाईन्गेलौं,
फटईय हिया पिया एक दोसर के प्रीत विन,
बड मुस्किल स कटैय अहाँक हमर राइत दिन,

हम अहाँक प्रेम दीवाना अहिं स प्रीत करैत छी,
सुतैत जगैत उठैत बैसैत अहिक नाम रतैत छी,
ऐ सजनी अहिक नाम रतैत छी.....................२
हम अहाँक प्रेम दीवानी अहिं सा प्रीत करैत छी,
जखन तखन सद्खन सजना अहिक याद करैत छी,
ययौ सजना अहींक याद करैत छी...................२

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 23 मार्च 2011

हमरा बिसैर गेलौं@प्रभात राय भट्ट

हमरा स की भूल भेलई जे अहाँ हमरा बिसैर गेलौं,
सब केर प्रीतम गाम येलई अहाँ किया नए येलों,  
यौ पिया अहाँ हमरा बिसैर गेलौं...........................२

अहाँ के कोना बिसरबई धनि अहीं छि हमर जान,
अहाँ के जौं बिसरबई त निकेल जेतई हमर प्राण,
ये धनि अहांके कोना बिसरबई ...........................२

सावन वितल भादो वितल,वितल पूस माघ क जारा,
मईर मईरक जिन्दा रहलौं बड मुस्किल भेल गुजरा,
यौ पिया अहाँ हमरा बिसैर गेलौं ...........................२

सावन में रिमझिम रिमझिम बदरा येना  बरसल,
अहांक स्नेह आ प्रीत लेल सजना देह  हमर  तरसल ,
यौ पिया अहाँ हमरा बिसैर गेलौं .......................२

पुर्निमो केर राईत में हमरा लगैय अन्हार ययौ,
माघफागुन येना बितईय जेना जोवन भेल पहार यौ,
सब केर पिया गाम एलई अहाँ किया नए येलौ,
ययौ पिया अहाँ हमरा बिसैर गेलौं .............२

काम काज में दिन बीत जैइय मुदा राईत नए कटईय,
असगर मोन नए लगईय अहिक सुरतिया याद अबैय,
छि हम मजबूर भेल सजनी अईब केर परदेस में ,
अहाँ विन जिबैछी कोना बुझु विशेष में ............२ 

जाईग जाईग करैत छि प्रातः उठैत छि खाली हात,
केकरा स:कहू अपन मोन क बात के बूझत हमर हालत ,
अहि स:हमर यी निर्सल जिनगी केर हिया जुडायत,
 सजनी अहा ला लक आइब मोनभैर  प्रेमक सौगात..२

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 21 मार्च 2011

नैन किया भईरगेल@प्रभात राय भट्ट

अहाक ठोरक मुस्कान सजनी कतय चलिगेल यए,
अहाक नैन में नोर सजनी किया भैरगेल यए ,
नोर नए बहाऊ सजनी यी थीक अनमोल मोती,
अहाँ हैस दी त जगमग करे हमार जीवन के ज्योति,
अहाक ठोरक मुस्कान सजनी कतय चलिगेल यए,

येना नए होऊ अहाँ उठास,मों नए करू उदास,
आई छई दुःख त काईलह सुख हेतई,
यी छन भर के विपति सब टईर जेतई,
रखु मोन में आशा अओर हमरा पर भरोषा,
पूरा हयात मोन क सबटा अभिलाषा,
अहाक ठोरक मुस्कान सजनी कतय चलिगेल यए,

दुःख सुख ता जीवन में अबिते रहतई,
चाहे हवा जाते तेज बहतई,
समुन्दर में लहर जतेय जोर उठतई,
चाहे धरती स ज्वाला फुटतई,
मुदा जीवन के यात्रा कखनो नए रुकतई,
अहाँक ठोरक मुस्कान सजनी कतय चलिगेल यए,
अहाँक नैन में नोर सजनी किया भईरगेल यए,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 19 मार्च 2011

HOLI @PRABHAT RAY BHATT

HOLI @PRABHAT RAY BHATT


जीवन और रंग के बिच अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है,दोनों के भीतर एक दूसरेका अस्तित्व बिधमान रहता है,रंग जीवनको सरसरता प्रदान करता है और जीवन रंग को जीवंतता प्रदान करता है ! जन्म के साथ ही मनुष्य में रंग के प्रति उमंग और अनुराग पल्वित होने लगता है,इस सम्बन्ध को कायम रखने के बास्ते हम होली जैसे पर्व त्यौहार को सहृदय आलिंगन करते है,ताकि जीवन और रंग का समागम हो सके!इसे लोक भाषा में होरी कहते है जिसका अर्थ होता है ह का अर्थ आकाश र का अर्थ अग्नि वा तेज होता है ओ प्रणव और ई शक्ति का स्वरुप है !होरी का शाब्दिक अर्थ है सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तेजपूर्ण होना !तो आइये हम लोग भी होरी खेलें:-
होली कुञ्ज भवन खेलतु है नन्दलाल
लाले श्याम लाल भैली राधा
लाले सकल वृज्वाल होली कुंजभवन में
अवीर गुलाल रंग पिचकारी
सब लेलानी लेलेंन कर सम्हारी
मरतु है ताकि ताकि छातियाँ पर
चोली भेल गुलजार
होरी खेले राधा संग बन्सिधारी ..............
होरी है होरी है जोगीरा सारा रा रा रा ,,,,,,,,,


गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया,आबिगेलई होली !!
अहि केर प्रेमक रंग स: रंगाएब हम अपन चोली !!
यी प्रेमक पाती में लिखरहल छि अपन अभिलाशाक बोली !!
अईबेर प्रभात भाईजी गाम अओता की नए पूछीरहल अछि फगुवा टोली !!
बौआ काका के दालान में बनिरहल अछि फगुवाक प्लान !!
चईल रहल छई चर्चा अहिके चाहे खेत होई या खलिहान !!
कनिया काकी कहै छथिन बौआ क देखला बहुते दिन भगेल !!
वित साल गाम आएल मुदा विना भेट केने चईल्गेल !!
अहाक संगी साथी सब एक मास पाहिले गाम आबिगेल्ल !!
अहाक ओझा २५ किल्लो क खसी आ भांगक पोटरी अहिलेल दगेल !!
गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया जुड़ाउ हमर हिया !!
पूवा पूरी सेहो खिलाएब ,घोईर घोईर पियाएब हम अहाक भंग !!
अहि केर हाथक रंग स: रंगाएब हम अपन अंग अंग !!
रंग गुलाल अवीर उडाएब हम दुनु संग संग !!
प्रेमक रंग स: तन मन रंगाएब एक दोसर के संग संग !!
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
ho

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

जीवन और रंग के बिच अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है,दोनों के भीतर एक दूसरेका अस्तित्व बिधमान रहता है,रंग जीवनको सरसरता प्रदान करता है और जीवन रंग को जीवंतता प्रदान करता है ! जन्म के साथ ही मनुष्य में रंग के प्रति उमंग और अनुराग पल्वित होने लगता है,इस सम्बन्ध को कायम रखने के बास्ते हम होली जैसे पर्व त्यौहार को सहृदय आलिंगन करते है,ताकि जीवन और रंग का समागम हो सके!इसे लोक भाषा में होरी कहते है जिसका अर्थ होता है ह का अर्थ आकाश र का अर्थ अग्नि वा तेज होता है ओ प्रणव और ई शक्ति का स्वरुप है !होरी का शाब्दिक अर्थ है सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तेजपूर्ण होना !तो आइये हम लोग भी होरी खेलें:-
होली कुञ्ज भवन खेलतु है नन्दलाल
लाले श्याम लाल भैली राधा
लाले सकल वृज्वाल होली कुंजभवन में
अवीर गुलाल रंग पिचकारी
सब लेलानी लेलेंन कर सम्हारी
मरतु है ताकि ताकि छातियाँ पर
चोली भेल गुलजार
होरी खेले राधा संग बन्सिधारी ..............
होरी है होरी है जोगीरा सारा रा रा रा ,,,,,,,,,,,,

मिथिला गर्भपुत्र@PRABHAT RAY BHATT

माँ हम अहाक गर्भ में पलिरहल्छी,मुदा जन्म लेबS पहिले हम अपन मोनक बात किछ आहा के सुनाब चाहैत छि! यी हमर पुनर्जन्म अछी हम अहि मिथिलांचल के जनकपुरधाम में जन्मलरहलौ ताहि समय में विदेह एकटा समृद्ध राष्ट्र रहैक जेकर अपन भाषा अपन भेष बिदेह के गौरव रहैक,कोशी स गण्डकी तक गंगा स हिमालय के पट यी सम्पूर्ण भूमि मिथिलांचल रहैक जतय कोशी कमला विल्वती यमुनी भूयसी गेरुका जलाधीका दुधमती व्याघ्र्मती विरजा मांडवी इछावती लक्ष्मणा वाग्मती गण्डकी अर्थात गंगा 
आर हिमालय के मध्य भाग में यी पंद्रह नदी के अंतर्गत परम पवन तिरहुत देश विख्यात छल ! जतये कोशी कमला क वेग स संगीत उत्पन होइत्छल दुधमतीस दूध बहथी नारायणी में स्नान कैयला स स्वस्थ काया भेटैत
 छल,गण्डकी के वेग स प्रेरित कवी गंडक काव्यसुधा रचित छल,कवी कौशकी कोशी तट बईस काव्यवाचन
करैत छल ! अनमोलसंस्कृति  आर अनुपम  प्रकृति केर उद्गमस्थल याह मिथिलाधाम छल बागबगीचा में कोइली मीठ मीठ संगीत गबैछल शुभ-प्रभातक लाली स मिथिलाक जनजीवन स्वर्णिम छल !हर घर मंदिर आ लोग इह के साधू संत छल चाहे कोनो मौसम होइक सद्खन ईहा बहैत बसंत छल !पग पग पोखईर माछ मखान मीठ मीठ बोली मुह में पान इ छल मिथिलाक पहिचान,अहि ठाम जन्म लेलैथ पैघ पैघविद्वानवाचस्पति, विद्यापति,गौतम, कपिल, कणाद,जौमिनी,शतानंद,श्रृंगी,ऋषि याज्ञवल्क्य ,सांडिल
,मंडन मिश्र,कुमारिल भट्ट ,नागार्जुन,वाल्मीकि, कवी कौशकी, कवी गंडक ,कालिदास, कवीर दास,महावीर यी सब छलैथ 
मिथिलापुत्र एतही जन्म लेलैथ माँ जानकी राजर्षि जनक के पुत्रीक रूप में !एतही भगवान शिव उगना महादेव के रुपमे महा कवी विद्यापति के चाकर बनलाह ! मिथिला भूमि से अवतरित होइत छल ऋषि मुनि साधू संत भगवान ताहि स कहलगेल की यी मिथिलाभूमि अछि वसुधा के हृदय !मिथिलाक मान समान स्वाभिमान भाषा  भेष प्रेम स्नेह ज्ञान विज्ञान विश्व  बिख्यात छल! अहि ठाम जन्म लेबक लेल देवी देबता सब लालायित होइत छल ! तायहेतु हमहू पूर्व जन्म में माँ जानकी स कमाना 
कयने रहलू जे हे माता जाऊ हम फेर मानव कोइख में जन्म ली ता हमरा मिथिले में जन्म देव !ताहि स हम अपनेक कोइख में पली रहल छि! मुदा  आजुक मिथिलाक दुर्दशा देखिक हम संकोचित भगेल्हू,विस्वास नए बहरहाल अछि जे यी वाह्य मिथिला छई राजर्षि जनक के नगरी वैदेहिक गाम की कोनो दोसर ?सब किछ बदलल बदलल जिका लगैय,कियो कहिय हम नेपाल के मिथिला में छि ता कियो कहैय हम 
विहार के मिथिला में छि यी विदेह नगरी दू भाग में विभक्त कोना भगेलई माए? राजा प्रजा शाषक जनता भाषा भेष व्यबहार व्यापार ज्ञान विज्ञान सब किछ 
बदलल बुझाईय !मिथिलाक अस्तित्व विलीन आ परतंत्र शासन के आधीन में हमर मिथिला  कोना आबिगेल माए ? मैथिल भाषा कियो नए बाजैय, धोती कुरता फाग के उपहास भरह्लय,महा कवी विद्यापति क गीत कियो नए गबैय ! मिथिलाक संस्कृति लोप के स्थिति में कोना आबिगेल माए ?
समां चकेवा ,जट जटिन,झिझिया,झूमर,झंडा निर्त्य,सल्हेश कुमार्विर्ज्वान,आल्हा उदल,कजरी मल्हार यी नाट्यकला सब कतय चलिगेल ? मिथिलाक एतिहासिक स्थल सब एतेक जरजट कोना भगेल ?
माए हम त पुनर्जन्म मांगने छलु मिथिला राज्य में मुदा आहा अछि विहार में,माए हम त पुनर्जन्म मांगने छलु मिथिला राज्य में मुदा आहा अछि नेपाल में ,माए हमर विदेह राज्य कतय चलिगेल ?माए हम त अपन मिथिला राज्य में जन्म लेब चाहैत छि मिथिला माए क कोरा सन निश्छल आ बत्सल प्रेम खोजलो स नए भेटत चहुओरा में !हम अपन मोनक सबटा जिज्ञासा ब्यक्त केनु आब आहा किछ मार्गदर्शन करू माए !हम मजधार में फसल छि हमर करूणा सुनी हमर सपना साकार करू माए !!!
लेखक:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 14 मार्च 2011

आदर्श विवाह@प्रभात राय भट्ट

हम छी मिथिलाक ललना,
दहेज़ ला क बनब नए बेल्गोब्ना,
दहेज़ लेनाए छई अपराध,
कियो करू नए एहन काज,
हम करब विवाह आदर्श,
अहू लिय इ सुन्दर परामर्श,
भेटत सुन्दर शुशील कनिया,
आहा स प्रेम खूब करती सजनिया,
आँगन में रुनझुन रुनझुन,
 बाजत हुनक पैजनिया ,
घर केर बनौती सुन्दर संसार,
भेटत बाबु माए केर सेवा सत्कार,
छोट सब में लुटवती वो दुलार,
अहक भेटत निश्छल प्रेमक प्यार,

जौ दहेज़ लयक  विवाह करबा भैया,
कनिया भेटत कारिख पोतल करिया,
हुकुम चलैतह शान देखैतह,
बात बात में करतह गोर्धरिया,
अपने सुततह पलंग तोरा सुतैत पैरथारिया,
बात बात में नखरा देखैतह,
भानस भात तोरे सा करैतह,
अपने खेतह मिट माछ खुवा मिठाई,
जौं किछ बाजब देतः तोरा ठेंगा देखाई,
रुईस फुइल नहिरा चईल जेताह,
साल भैर में घुईर घर एतः
सूद में एकटा सूत गोद में देतः
पुछला स कहती इ थिक अहाक निशानी,
आब कहू यौ दहेजुवा दूल्हा,
 आहा छी कतेक अज्ञानी ???
तेय हम दैतछी यी सुन्दर परामर्श,
सुन्दर शुशील भद्र कनिया भेटत,
विवाह करू आदर्श,विवाह करू आदर्श!!!
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट  

गुरुवार, 3 मार्च 2011

wo gujre huye jamana@prabhat ray bhatt


खुश किस्मत से हमने  तुमको पाया,
तुमने भी दिल से मेरा साथ निभाया,
जिसमे सिर्फ मै था और तुम थी ,
मैं तेरे दिल की धड़कन था तू मेरी रूह थी,
सुवह उठ्तेही मैं तेरी सूरत देखा करता था ,
चाय के प्याला हाथ में,
 मुस्कान तेरी होठो पे रहता था,
प्याला हटाके तेरी हथेलियों से मैं पीया करता था,
लपक के मैं तुझे अपने सिने से लगाया करता था,
वक्त को सायद ये राश न आया,
जीवन की राहों में फिर एक मोड़ आया,
मैंने तुम्हे  बहुत दूर छोड़ आया,

पर अब भी वो गुजराहुवा पल याद आता है,
वो सुहानी पल की रंगीन घडी याद आता है,
आह निकल आती है मुझे बहुत रुलाती हैं ,
कई दिनों से सिवाय तेरे,
मेरे लब्ज पे कुछ और आती नहीं,
दुनिया विराना सी लगती है,
सारे रिश्ते अंजना सी लगती है,
वो गुजरे हुए जमाना याद आता है,
वो सुहानी पल की जिन्दगी याद आता हैं,
वो तेरी मंद मंद मुस्कुराहट सारे कायनात में,
कही भी मुझे मीलाही नहीं ,
तेरे सिवाय मेरे दिल में,
किसी और का प्यार खिलाही नहीं,
यह तुम भी जानती हो तेरे बेगैरः
मैं जिन्दगी तन्हाई में जीता हूँ ,
गम की रोटी खता हूँ ,
आंसू की पानी पिता हूँ ,
न जाने कौन सी खता हुयी मुझ से,
जो मिला ऐसा सजा मुझे ,
खुदा न करे किसी को येसी मुसीबत आये,
मज़बूरी में दीवाने एक दूजे से बिछड़ जाये,

रचनाकार:--प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

गीत बालविबाह@प्रभात राय भट्ट

हम नए ब्याह करब यौ बाबा वालीउमरिया में !!

पढ़ लिख खेल कूद दिय,हमरा अपन संग्तुरिया में !!

--निक घर वर भेटल छौ,दहेज सेहो कमे मंगैछौ !!

आगुम की हेतै से नए मालूम,ब्याह करहीटा परतौ !!

ब्याह करहीटा परतौ गे बेट्टी.........................!!

--हम चौदह वरखक कन्याकुमारी अहाक राजदुलारी !!

मुदा दूल्हा छैथ विदुर आ पाकल हुनक केस दाढ़ी !!

हम नए ब्याह करब यौ बाबा वालिउमरिया में २ !!

--दूल्हा विदुर भेलई तईस: की धन सम्पति अपार छई !!

भेटतौ नए कतौ एहन घर वर दूल्हा सेहो रोजगार छई !!

--रुईक जाऊ रुईक जाऊ बाबा यौ हमरा पैघ होब दिय !!

पैढ़लिख क हमरो कोनो सरकारी नोकरी करदिय !!

बेट्टावाला अहाक दरवाजा पर अओता !!

कहता अहाक बेट्टी स:हम अपन बेट्टा क ब्याह करब !!

अहा कहब नै नै अखन हम बेट्टी क ब्याह नए करब !!

फुइक फुइक क चाय पीयब ,अहू किछ शान धरब !!

हम नए ब्याह करब यौ बाबा वालिउमरिया में !!

--एक लाख टका के बात कहले तू भगेले सयान गे !!

बेट्टी क भविष्य नए सोचलौ,हमही छलौ नादान गे !!

बेट्टी क ब्याह कोना हयात सतौने छल हमरा दहेज़ क डर !!

बाल विबाह करबई छलौ,खोईज लेलौ बुढ्बा वर !!

नए ब्याह करबौ गे बेट्टी तोहर वालिउमरिया में !!

पढ़ लिख खेलकूद तू अपन संगतुरिया में !!

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

कुमारी धिया@प्रभात राय भट्ट

सुनु सुनु यौ मिथिलावासी आऔर मिथिलाक बाबु भैया !!
संगी सखी सभक भेलई ब्याह, हमर होतई कहिया !!
तिस वरखक भेली हम, मुदा अखनो रहिगेली कुमारी धिया !!
हमरा लेल नए छाई संसार में, एक चुटकी सिंदुरक किया !!
रोज रोज हम सपना देखैत छि, डोली कहार ल्या क ऐलैथ पिया !!
आईख खुलैय सपना टूटईय, जोर जोर स: फटईय हमर हीया !!
गामे गाम हमर बाबा घुमैय,ल्याक हाथ में माथक पगरी !!
कतहु वर नए भेटैय,की विन पुरुख के छई यी मिथिला नगरी ?!!
बेट्टावाला केर चाहि पाँच दश लाख टाका आ गाड़ी सफारी !!
तिनचाईर लाख टाका ऊपरस:जौ चाहैछी जे ओझा करे नोकरी सरकारी !!
अन्न धन्न गहना गुरिया एतेक चाही जे भईरजाई हुनक भखारी !!
बेट्टीवाला दहेज़ में सबकुछ लुटा क अपने भजाईत अछि भिखारी !!
बाबा हमर खेत खलिहान बेच देलन आ बेच रहल छैथ अपन घरारी !!
अहि कहू यौ मिथिलावासी आऔर मिथिलाक बाबु भैया !!
कतय स:देथिन बाबा हमर दहेज़ में एतेक रुपैया !!
रचनाकार: प्रभात राय भट्ट


मिथिला माए@प्रभात राय भट्ट




अहो भाग्य अछि हमर जन्म लेलौ मिथिला माए के कोरा में !!

एहन निश्छल आ बत्सल प्रेम भेटत नए चाहुओरा m

प्रकृति केर सुन्दर उपहार ,संस्कृति केर बिराट संसार !!

मानबता केर सर्बोतम ब्याबहार मिथिलाक मुलभुतआधार !!

राम रहीम मंदिर मस्जिद दसहरा होई या ईद क रित !!

मिथिलावासी हिदू होई या मुस्लिम एक दोसर स:करैछैथ प्रीत !!

मिथिलाक पसु पंछी सेहो जनैत अछि प्रेमक परिभाषा !!

मधुरों स:मधुर अछि मिथिलाक मैथिलि भाषा !!

ज्ञान सरोबर एतिहासिक धरोहर अछि मिथिलाक संस्कृति !!

मन मग्न भजईत अछि देख क सुन्दर आ मनोरम प्रकृति !!

मिथिले में जन्म लेलैथ सीता केर रूप में माए भगवती !!

महाकवि विद्यापति केर चाकर बनला महादेव उमापति !!

वैदेही केर सुन्दरता पर मोहित भेलैथ भगवान राम !!

बसुधा केर हृदय बनल अछि हमर महान मिथिलाधाम !!

कहैछैथ शास्त्र पुराण विद्वान पंडित आऔर प्रोहित !!

मिथिलावासी क दर्शन स:मात्र भजाईत अछि !!

मनुख क सम्पूर्ण पाप तिरोहित !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट



मिथिलांचल@प्रभात राय भट्ट



गंगा तट स: हिमालय केर पट

कोसी स: गनडकी तक !!

यी सम्पूर्ण भूमि अछि मिथिलांचल !!

जतेय बहथी निर्मलगंगाजल !!

हम थिक मिथिलाभूमि केर संतान !!

मिथिलांचल अछि हमार आन वान शान !!

मिथिलाक संस्कृति अछि हमर स्वाभिमान !!

स्वर्ग स: सुन्दर अछि हमर मिथिलाधाम !!

वसुधा केर हृदय थिक यी जनकपुरधाम !!

जतेय जन्म लेलैथ माँ जानकी आऔर साधू संत कवीर !!

एतही परम्पद पैलैथ ऋषि मुनि संत महंथ आऔर फकीर !!

राजर्षि जनक छलैथ विदेह राज्यक महर्षि राजा !!

कवी कौशकी गंडक बाल्मिकी मंडन !!

भारती सुशीला कुमारिल भट्ट नागार्जुन !!

महाकवि बिध्यापतिसं: बिद्वान रहथि प्रजा !!

मिथिला रहथि न्यायिक आऔर मसंसा ज्ञानक प्रदाता !!

येताही ब्याह केलैथ चारो भाई मर्यादापुरुषोतम राम बिधाता !!

मिथिला अछि भारतवर्ष केर प्राकृतिकाल स: ज्ञानबिज्ञान क स्रोत !!

यी सब हम जनैत भेलंहू ख़ुशी स: ओत प्रोत !!

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


अशांत मधेस@प्रभात राय भट्ट


समस्या दिन पे दिन बढती ही जारही है , कल तक हमे अपने मान समान हक अधिकार की फिक्र थी तो आज हमे अपनी जन-धन और इज़त की खतरा नजर आरहा है । मधेश में हर दिन सुननेको मिलता है . . .हत्या आतंक ,चंदा ,अपहरण ,चोरी और डकैती की संजाल फैल्ताही जारहा है .अशिक्षा , उदंड , दमन अशिष्ट समाज की प्रबिर्ती बढ्ताही जारहा है .जिसकी लाठी उशकी भैंस बाली कहाबत आज हमारे मधेश में चरितार्थ हो रहा है .साधू संत भ्द्रभ्लादमी एबम सजनब्रिंद को जीना मुहाल हो गया है . एक तरफ हम अपनी अधिकार सूरछित करने के लिए सरकार से लड़ रहे है दुशरी तरफ हमे अपनेही समुदाय के लोग से खतरा बढ़ रहा है . तो क्या हम चुप चाप ये तानडब देखते रहेंगे या कुछ करेंगे ? हम सारे युवा मिलेंगे तो एक नयी सोच पैदा होगा समाजमे बिकृतियाँ रोकने की जागरूकता फैलेगी .और हम युवा एक स्वक्छ , सबल , स्वश्थ, शिक्षित एबम आदर्श मधेस समाज की निर्माण कर सकते हैं .और ये हमारी मुलभुत कर्तब्य है .क्यों की युवा पीढ़ी से ही समाज की निर्माण होती है .हमे अपना घर खुद बनाना पड़ेगा नहीं तो कल आनेवाला पीढ़ी हमे प्रश्न की घेरो में घेर लेगा और हमारे पास कोई जवाब नहीं होगा !.तो आओ हमारे मधेस की युवा क्यों की नेता हो तुम्ही हमारे लिए .ख़तम करदो हत्या हिंसा और जुल्म सदियों के लिए !!!!!!! जय मधेस . . . . . . . .जय मातृभूमि !!!!!!!

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

आबिगेलई होली@प्रभात राय भट्ट



गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया,आबिगेलई होली !!

अहि केर प्रेमक रंग स: रंगाएब हम अपन चोली !!

यी प्रेमक पाती में लिखरहल छि अपन अभिलाशाक बोली !!

अईबेर प्रभात भाईजी गाम अओता की नए पूछीरहल अछि फगुवा टोली !!

बौआ काका के दालान में बनिरहल अछि फगुवाक प्लान !!

चईल रहल छई चर्चा अहिके चाहे खेत होई या खलिहान !!

कनिया काकी कहै छथिन बौआ क देखला बहुते दिन भगेल !!

वित साल गाम आएल मुदा विना भेट केने चईल्गेल !!

अहाक संगी साथी सब एक मास पाहिले गाम आबिगेल्ल !!

अहाक ओझा २५ किल्लो क खसी आ भांगक पोटरी अहिलेल दगेल !!

गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया जुड़ाउ हमर हिया !!

पूवा पूरी सेहो खिलाएब ,घोईर घोईर पियाएब हम अहाक भंग !!

अहि केर हाथक रंग स: रंगाएब हम अपन अंग अंग !!

रंग गुलाल अवीर उडाएब हम दुनु संग संग !!

प्रेमक रंग स: तन मन रंगाएब एक दोसर के संग संग !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

गंगा माई@प्रभात राय भट्ट


धर मन धीर चल गंगा केर तीर ,

तन मन की मैल धोत है गंगा के नीर ,

महादेव की जटा से बहत है गंगा की धरा ,
गंगाजल की महिमा गाए जग सारा ,

तिनोलोक में भए गंगाजल अमृत समान ,

देव दानव मानब भए अमर,करके गंगाजल्पान ,

निर्धन को धन बाझिनको पुत्र मिले कोढिको काया ,

जान सकेना कोई,अपरम्पार है गंगा माई की महामाया ,

शरण जाये जो गंगा माई के होई तिनके मनोकामना पूरा ,
सर्व सुख पूर्ण होई तिनके ,रहेना कोई कामना अधुरा ,

गंगा की बखान करे कवी कोविद तुलसी गोसाई ,

जय जय गंगा माई होई हम भक्त पर सहाई ,

तुम विन न कोई ईस गरीब का और दूजा ,

नित्यदिन श्रद्धा सुमन से करहु तेरी पूजा ,

गंगा माई है प्रकृति का सुन्दर उपहार ,

जो जाये गंगा माई की शरण में होई तिनके उधार ,

जय जय जय गंगा माई ,होहु हम भक्त पर सहाई,

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

हम रहित छि परदेश@प्रभात राय भट्ट



हम रहैत छि परदेश मुदा प्रेम अछि अपने देश स:!!

हम छि पावनभूमि मिथिलाधाम मधेस स:!!

लिखैत छि चिठ्ठी अपन ब्याथ केर नैनक नोर स:!!

मोनक बात चिठ्ठी में लिखैत छि मुदा बाईज नई सकैत छि ठोर स:!!
लिखैत छि अपन दुःख क पाती,रहैत छि कोना परदेश में !!

अईब केर परदेश हम फैस गेलौ बड़का क्लेश में !!

माए केर ममता भौजी केर स्नेह बिसरल नई जाईय !!
साथी संगी खेत खलिहान हमरा बड मोन परईय !!

माथ जौ दुखैत हमर माए लग में अब्थिन !!

की भेल हमर सोना बेट्टा के कहिक माथ मालिश करथिन !!

बोखार जौ लागैत हमरा भौजी बौआ बौआ करैत लग अब्थिन !!

दुधक पट्टी माथ पर रख्थिन आ दबाई ला क हमरा खुअब्थिन !!

मुदा अ इ परदेश में धर्ती गगन चंदा सूरज सब लगईय अनचिन्हार !!

बड अजगुत लगैय हमरा देख क ऐठामक दूरब्यबहार !!

मानब्ता नामक छीज नई छई इन्शान बनल अछि इंजिन !!

अठारह घंटा काम कर्बैय मालिक बुझैय हमरा मशीन !!

जान जी लगाक केलौ काम दू चैरगो रोग हमरा भेटल इनाम !!

नई सकैत छि त आब कामचोर कहिक हमरा केलक बदनाम !!

लिखैत छि कथा अपन ब्यथा केर बुझाब आहा सब बिशेष में !!

नून रोटी खैहा भैया अपने देश में ,जैइहा नई परदेश में !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

बालविधवा@प्रभात राय भात


आहा जे नई भेटतौ त जिनगी रहित हमर उदास !!

सागर पास होइतो में बुझैत नई हमर मोनक प्यास !!

अहि स पूरा भेल हमर जिनगी केर सबटा आस !!

नजैर में रखु की करेजा में राखु अहि छि हमर भगवान !!

उज्जरल पुज्जरल हमर जिनगी में आहा एलौ !!

रंग विरंग क ख़ुशी केर फूल खिलेलौं !!

की हम भेलू अहाक प्रेम पुजारी ,अहा हमर भगवान यौ !!

मुर्झायल फूल छलौ हम ,अहि स खिलल हमर प्रेमक बगिया !!

बालविधवा हम अबोध छलौ ,समाज केर पैरक धुल !!

उठैलौ अहा हमरा करेजा स लगैलौ, बैनगेली हम फूल !!

पतझर छलौ भेल हम,सिच सिच क अहा लौटेलौ हरियाली !!

अनाथ अबला नारी के अपनैलौ आ बनेलौ अपन घरवाली

अहि स यी हमर जिनगी बनल सुन्दर सफल सलोना !!

गोद में हमर सूरज खेलैय,अहा बनलौ बौआक खेलौना !!

हमर उज्जरल पुज्जरल जिनगी में अहा येलौ !!

रंग विरंग क ख़ुशी केर फूल खिलेलौ,ख़ुशी स हमर आँचल भरलौं !!

हमर मन उपवन में अहि बास करैत छि, अहि केर हम पूजित छि !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

गीत:-माहासंग्राम@प्रभात राय भट्ट


संग्राम संग्राम ई अछि मधेस मुक्ति केर महासंग्राम !!
विना हक हित अधिकार पौने हम नए लेब आब विश्राम !!
अईधैर हम सहित गेलौ दुस्त शासक केर अन्याय !!
मुदा आब नई हम सहब लक हम रहब अपन न्याय !!
निरंकुश शासक शासन करईय घर में हमरा घुईस !!
मेहनत मजदूरी हम करैतछि, खून पसीना ललक हमार चुईस !!

अढाईसय वरखक बाद आई भेलई मधेस में भोर हौ !!
गाऊ गाऊ गली गली में आजादी क नारा लागल छै जोर हौ !!
निरंकुश शासक कहैया हम छि बड़ा बलबंत !!
मुदा आई हेतई दुष्ट निरंकुश शासक केरअंत !!
संग्राम संग्राम यी अछि मधेस मुक्ति केर महासंग्राम !!
विना हक हित अधिकार पौने आब नई हम लेब विश्राम !!

अईधैर हम सहैत गेलौ उ बुझलक हमरा कांतर !!
तन मन धन सब कब्जा कौलक हमरा बुझलक बांतर !!
आब हम मांगब नई छीन क लेब अपन अधिकार हौ !!
उतैर गेलौ हम रणभूमि में करैला दुष्ट शासक केर प्रतिकार हौ !!
मेची स महाकाली चुरेभावर स तराई,समग्र भूमि अछि मधेस माई !!
हिन्दू मुश्लिम यादव ब्राम्हिन थारू सतार संथाल हम सब एक भाई !!
जातपात कोनो नई हमर हम सब छि एक मधेसी हौ !!
अपन भाषा भेष संस्कृति नया संविधान में हम करब समावेशी हौ !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट