सोमवार, 4 अप्रैल 2011

हे यए जनकपुरवाली भौजी सुनु नए कने,
कहिया स: हम एकटा बात छि मोनमें धयने,
अहाँक बोहीन लगैय दुतियाँक चाँद सन,
कोमल कोमल देह हुनक लगैय मखान सन,
लाल लाल ठोर हुनक लगैय मीठा पान सन,

अहाँक बोहीन भौजी लगैय बड़ा बेजोर,
हुनक रूप देख मोन में हमरा उठल हिलोर,
अन्हार घर में बोहीन अहाँक करिय इजोर,
गगनमे जेना चम् चम् चमकईय चानचकोर,

देख्लौ अहाँक बोहीन के हम जहिया स:
पढाई में मोन लगैय नए हमर तहियाँ स:
मुश्किल स भरहल अछि जिनगीक निर्वाह,
बढ़ाऊ बात आगू करादिया हमर विवाह,

अंग अंगमें सजायेब हुनका हिरा मोती के गहना,
खन खन खन्कौती ओ हाथमें नेपालक कंगना,
अहाँ बोहीनके डोली चढ़ा लायेब अपन अंगना,
ओ बनती हमर सजनी हम बनब हुनक सजना,

 रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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