रविवार, 3 जुलाई 2011

रोटी रोजीक खोजी@प्रभात राय भट्ट

नेपालक मधेस प्रान्तमें महोतरी जिलाक धिरापुर गामक बर्ष ३० के भोला खत्बेक जीवनचक्र पैर आधारित यी आलेख अछि जे सम्पूर्ण मध्यमबर्गीय आओर निम्मन बर्गीय समुदाय के जीवन जुडल यथार्थ जीवनी  !
                        भोला एकटा निम्नबर्गीय परिवार में जन्म लेलक हुनक माए बाबु बड मुस्किल से मेहनत मजदूरी करी  भोला के पालनपोषण केलक, भोलाक माए बाबु गरीब होवाक कारन भोला प्रारम्भिको  शिक्षा  बन्चित रहल जेनतेन समय बितैत गेल  समयानुसार भोला पैघ सेहो भगेलाह ! समय के संग संग हुनक दाम्पत्य जीवन सुभारम्भ सेहो भगेलई,भरल जुवानी के अबस्था में दाम्पत्य जीवनक रस्वादन एवं आन्नदमें  पूर्णरुपेन डुबिगेलाह अपन आर्थिक स्थितिके नजैर अंदाज करैत गेलाह मुदा विना अर्थ जीवनक गाडीं कतेक दिन चैल सकैय ! कनिया के सौख श्रींगारक सामग्रिः भोजन भातक ब्यबस्था बृध माए बाबु के दबाई दारू सभक आभाव चारू   खटक लग्लई,तकर बाद भोला के अपन जिमेवारिक  बोध भेलैन ! हुनका किछ नै सुझाई  जे की करू  नै करू राईत दिन बेचारा भोला घरक लचरल ब्यबस्था देखि बड चिंतित रहलागल !एक दिन अपन मिता सुरेश कापर के अपन सभटा दु: सुनैलक  ! सुरेश बड नीक सलाह देलकै देखू मिता अई नेपाल देश में स्वरोजगारी के कोनो ब्यबस्था नै छई पढलो लिखल मनुख के नोकरी नै भेटैछैक तहन  हम अहां कोण जोक्रक छि ! हम एकैटा सलाह देब सउदी अरब चैल जाऊ ओईठाम बड़ पैसा भेटैछैक अहंक सभटा दू:ख दूर भ्ज्यात,सुरेशक गप सुनिक भोलाके माथमें चकर देबलगलै !!मुदा किछ देरक बाद भोला सहमती जनौलक आ सुरेश सं बिदा लैत घर तरफ प्रस्थान केलक!
               सुरेश घर पहुचैत कनियाँ कतय गेली ये हमरा बड़ जोर सं भूख लागल अछि किछु खयाला दिया नए,कनियाँक कोनो जवाब नै अयीलाउपरांत ओ भानस घरमे गेल कनियाँ के देखलक माथ हाथ धयने आ सिशैक सिशैक क कानैत,अहां किये कनैछी ये अतराढंवाली ?की भेल किछ बाजब तब नए हम बुझबई ! कनिया कहलकै....हम की बाजु आ बाजल बिनु रहलो नै जैइय,अहां जे कोनो काम धंधा नै करबै तहन ई चुल्हाचौका कोना चलति एक पाऊ चाबल छल जेकर मद्सटका भात बनाक माए-बाबु आ बच्चा सभमे परसादी जिका बाईंट देलौ आ हम त उपबासो कलेब मुदा अहांके त भूख बर्दास्त नै होइया ताहि सं हमर छाती फटी रहल अछि मुदा अहांके त कोनो चिंताफिकिर रह्बेने करेय !तपेश्वर मालिक सेहो बड़ खिसियक द्वार पर सं गेल कहैछल जे ५०० टका के हमर सूद ब्याज सहित २५००० भगेल मुदा यी भोलबा अखन धरी देब के नाम नै लैय,
     हे यए अतराढंवाली अहां आब जुनी चिंता  करू हमरा पैर भरोषा रखु सभ ठीक भजेतई ई किछ दिनक दू:ख थीक एकटा कहाबत छै जे भगवानक घरमे देर छै मुदा अंधेर नै,अतारधवाली के मोन अति प्रसन्न भेलै आ झट सं पुईछ बैठिय आईंयो रामपुकारक पापा आई की बात अछि जे अहां एतेक पुरुषार्थ वाला गप करैत छि ?की बजली यए अतराढंवाली एकर मतलब अहुं हमरा निक्मे बुझैत छि? त कान खोईलक सुनिलिय हम आब सउदी अरबिया जारहल छि  आ ढेर पैसा कमाक अहां लेल भेजब !अतराढंवाली ई बात सुईनते घबरागेल आ कहलागल की बज्लौं ?कने फेर सं बाजु त अहांके जे मोन में अबैय सहे बाईजदैत छि,एहन बात आब बजैत नै होईब से कहिदैछी हम................मोन त भोला के सेहो उदास भजैय मुदा हिमत करिकें कनियाँ के समझाबक कोशिश करेय देखियो कनिया हम जनैत छि जे हम कोनो काम धंधा नै करैत छि तयियो अहां हमरा सं खूब प्रेम करैत छि,आ हमहू अहां बिनु एकौ घडी नहीं रही सकैत छि यी सभटा जनैत बुझैत हम मज़बूरी बस एहन निर्णय लेलहुं आ अईके अलाबा दुसर कोनो रस्तो नहीं अछि ! आखिर यी जीवन त प्रेम आ स्नेह सं मात्र नै चलत नए जीवनमे दुःख सुख भूख रोग सोक पीड़ा ब्यथा वेदना संवेदना प्रेम स्नेह विबाह बिदाई जीवन मृत्यु समाज सेवा घर परिवार ईस्ट मित्र कर कुटुंब नाता गोता मान सम्मान प्रतिष्ठा घर माकन खेत खलिहान बगीचा मचान सत्कार तिरिस्कार मिलन बिछोड यी सभटा जिनगीक अभिन्न अंग अछि,आ यी सभटाके जैर एकैटा थीक जेकर नाम ऐच्छ पैसा............तै हमरा परदेश जाहिटा परते अहां कनिको मोन मलाल नै करू सबहक प्रियतम पाहून परदेश खटेछैक ! हेयौ रामपुकारक पापा यी बात सुनिके हमर छाती फटेय..तहन अहां बिनु हम कोना रहीसकैछी? नए नए हमरा नहीं चाही पैसा कौड़ी महल मकान हम नुने रोटी खेबई सेहो नहीं भेटत त साग पात ख्याक जिनगी काटीलेब कहैत भोलाके भैर पांज पकरिक सिशैक सिशैक नोर बहबैत कानैलागैय....मुदा भोला कुलदेवता के सलामी राखैत माए-बाबु सं आशीर्वाद लैत घर सं प्रस्थान भगेल.....................! अगिला पाठ क्रमश:.............
लेखक:-प्रभात राय भट्ट

फुट होईन एकजुट होऊ@प्रभात राय भट्ट

आ-आफ्नो स्वार्थलिप्सा परिपूर्ति गर्ने लोभमा आसक्त भई मधेसी नेताहरू संकीर्ण मानसिकताले मधेस का राजनीती लाई  ब्यापरको दृष्टीकोण बाट हेर्न थालेको छ ,मधेस आन्दोलन पछि तराई मा उदयमान भएका राजनीती दलहरु थोरै समयमा सफलता को फड्को मार्न सफल भये ! आफ्नै मातृभूमि मा सरकार पक्ष बाट नेपाल एकीकरण भयेताकई काल देखि वर्तमानकाल सम्म भेद भाव,शोसन ,पीड़ा ,अपमान र नागरिक अधिकार विहीन मधेसी समुदाय संग समन्तबाद एबं क्रूर शासक हरुले उपेक्षाकृत ब्यावहार गर्दै आईरहेकाछन ! सत्तासीन शासक द्वारा पीड़ा र ब्यथा भोग्दै अईराहेका मधेसी जनता हरुले क्रांति का बिगुल बजाई मधेस आन्दोलन लाई आफ्नो जानको वलिदान दीई आन्दोलन लाई निर्णायक आन्दोलन सम्म पुर्ययो !  मधेश आन्दोलन पछि भएका संविधान सभाको चुनावमा मधेसी जनताले मुक्ति पाऊने आसमा आफ्ना अग्रज नेताहरू लाई पूर्ण समर्थन दियियो र संविधान  सभामा पठाईयो ! मधेस आन्दोलनले दीईएको जनादेस र अंतरिम संविधानले दीईयेका  
जनादेसलाई नया सविधानमा कार्यान्वयन गर्न र गराऊन यी नेताहरू लाइ जिमेवारी दियियो तर विडंवना के भईदियो भने मधेसी नेताहरु आ-आफ्नो स्वार्थ मा आसक्त भई मधेस मुक्ति लाई आफ्नो मंत्रिपद अध्यक्षपद र पैकेट भर्ने जुक्ति मा परिवर्तन गर्यो , त्यसैको दुस्परिन्नाम्स्वरूप  मधेसी दलहरूमा  उग्ररुपले पार्टी विभाजन गरि नया नया पार्टी खोलने होड़ चलेको छ ! नेताहरुले हुन त कारन धेरै देखायो सामंतवाद नातावाद जातिवाद कृपावाद पार्टी अध्यक्षहरू भएकाले हामी मिलेर बस्न सकेनौ,
तर जे जती कारन देखाए पनि परिणाम एउटा मात्रै आयो विखंडन !!! विखंडन !!! विखंडन !!!
 यस्तो संकीर्ण मानसिकता बाट ग्रसित नेताहरूले आफ्नो स्वार्थसिधि सिधांतलाई आलिंगन गर्यो र मधेसी जनतामाथि मधेसी नेताहरुको खेलवाड़ हुनथाल्यो !
                    आज मधेसी जनताले देखेका मधेश मुक्तिको  सपना माथि तुसरापात पर्ने भान सर्वत्र हुन थालेको छ,मधेश आन्दोलनमा सहादत प्राप्त गरेका सहीद हरुको सपना समेत चकनाचूर हुने कगार मा छ ! के यी मधेसी सहीद हरुको सपना साकार हुन्छ त ?  के मधेसी नेताहरू पुनः एकजुट हुन्छ त ?भने जस्ता प्रश्न उठ्नु स्वाभाविक हो ! यदि नेताहरु सांचे नै मधेस मुक्ति चाहन्छन भने पुनः फुट्को भावना त्याग गरि एकजुट हुने मनोदशा मा जनताको अगाड़ी देखा पर्नु पर्ने आब्स्यकता मह्सुश गरिन्छ र पुनह समस्त मधेसी राजनैतिक दलहरु स्वार्थ लोभ पद को मोह त्याग गरि जातिवाद नातावाद कृपावाद बाट माथि उठेर ऐउटइ मधेस मुक्ति सिधांत को संकल्प गरि आत्मनिर्णय सहितको समग्र मधेस एक प्रदेश को निर्माण कार्यमा योगदान दिनुपर्छ ! र आउदों नया संविधान मा मधेश का एजेंडा हरु समावेशी गरि परतंत्र मधेसिहरुको अधिकार देसको हरेक निकायमा सुनिश्चित गरिसक्नुपर्छ
मधेस आन्दोलनको वलिदानले दिएको यो स्वभाग्य्पूर्ण अवसर को लाभ सक्दो छिटो उठाउने कार्यनीति बनाउनु पर्छ यदि अहिले प्राप्त भएका मौका बाट भने मधेसी नेताहरुको चरित्रमा कालो धबा लाग्नेछ र
ईतिहास को कालो सुचिमा नाम लेखिनेछ ! तसर्थ हे मधेसका भाग्य विधाता अग्रजहरु एक चोटी गंभीर भएर सोच्नुहोस की मधेसको फितलो राजनीती कुन दिशांतरमा लम्किदै गैरहेको छ !

लेखक-- प्रभात राय भट्ट 

सोमवार, 27 जून 2011

हम एकटा पत्रकार छी@प्रभात राय भट्ट

हम एकटा पत्रकार छी उतर पूरब पश्चिम dakshin सं
खबर,घटना,सूचना,समाचार लाबैत छी,
पत्रिकामें छापि गाम गाम पहुंचाबैतछी,
एक दिन एकटा कार्यालय हम गेलहुं,
परिचयपत्र देख हमर भेल सभ परेशान,
एकटा कर्मचारी कहलक औ बैसू जजमान,
लेखाशाखामें रखल अछि अहांलेल अनुदान,
हम कहलहुं यी सभ हमरा किछु नए चाही,
बस हाकिम साहब सं भेटटदिय,
हम एकटा पत्रकार छी बस इंटरभ्यु लेब दिय,
एकटा महिला कर्मचारी झट सं बोलल,
हाकिम साहब छैथ मीटिंग में बड ब्यस्त,
जुनी अहां करू नै एतेक कष्ट,
पत्रकार सभक ब्यवहार सं हम सभ छी अभ्यस्त,
लेखापाल कें भेटगेल छै हाकिम साहबक आदेश,
जौं कोई पत्रकार आबे हुनका उपहार दिया विशेष,
किछु नै लिखू किछु नै छापू बंद रखु अपन बोली,
चुप चाप निकैल जाऊ ऐठाम सं भैरक अपन झोली,
हम कहलियैन यी सभटा बात अछि निराधार,
की पत्रकारों करेय भ्रष्टाचार ???
जौं पत्रकार भज्यात भ्रष्ट कोना भेटत समाचार प्रष्ट ???

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 21 जून 2011

अहां रहैत छि परदेस पिया@प्रभात राय भट्ट

अहां रहैत छि परदेस पिया,
एसगर लागेना मोरा जिया,
ओ सजनजी लागेना मोरा जिया.....२

जागल आईख सपना देखै छी,
नितदिन अहांक बाट तकैत छी,
अहांक देखैला फटेय हमर हिया,
ओ बलम जी लागेना मोरा जिया....२

रिमझिम वर्षीय सावनके बदरा,
केकरा संग सुतब लाईगक पजरा,
आईग लागल देहमें पिया जी मोरा,
ओ पिया जी लागेना मोरा जिया.....२

अहां विनु सुना लगैय पलंगिया,
गाम आबिजाऊ बलम जनकपुरिया,
बुझाऊ प्यास मिलनके जुडाऊ हिया,
ओ सजन जी लागेना मोरा जिया......२

देखू पिया उमरल जैइय हमर जवानी,
जेना सावनमें उमरैय कमला कोशीके पानी,
जुवानी भरेय हुकार अहां आबैछी नए किया,
ओ बलम जी लागेना मोरा जिया.........२

देखू सजनजी हम सोलह श्रृंगार केने छी,
अहिंके सूरत सैद्खन  हम ध्यान देने छी,
पंख लगा उईर आऊ घुईर फेर नै जाऊ,
ओ सजनजी अहां बिनु लागेना मोरा जिया....2

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट



६०१ सभासद महान@प्रभात राय भट्ट

जे नै देखलौं कतय दुनियां में
ओ सभटा देखलौं नेपाल देस में
चोर डाका घुसल शिंहदरवार में
लोकतान्त्रिक नेता क भेष में
लूटपाट में सभ लागल अछि
 देसक मालखजाना
भिखमंगा कह्बैय अपना के 
आब उच्च राजघराना 
साईकल जे चलबैछल बिनु ब्रेक के
ओ करैय लैंडक्रूजर के सवारी,
जे पेनहैछल फाटलपुरान अंगा
ओ पेन्हैय आब सुटसफारी
उज्जर केश रैंग करैय कारी
खाई में जेकरा छल आफद चायपान
ओ बियर वार में करैय मधुपान
गाम में जेकर छल टुटलफूटल मकान
राजधानीमें बनौलक महल आलीशान
देखू यी चोर नेता सभक शान
सय में अछि पचासी बेईमान
तैयो अछि ६०१ सभासद महान
जे नै देखलौं कतय दुनियां में
ओ सभटा देखलौं नेपाल देस में
दू वर्ष में नै बनौलक संविधान
संविधानसभाक समय केलक अवसान
फेर एक वर्ष ललक अनुदान
ओकरो यी ६०१ केलक अपमान
फेर लेलक ३ महीनाक अनुदान
दिन बितल जाईय देखू
कहिया बनत संबिधान
गिद्ध जिका करैय सभ घिचातानी
नेता सभक पोषण में
 देसक टाका बनल पानी
तिन पार्टी में तेरह गुट
स्वार्थलोलुपतामें भेल फुट
करैय में लागल अछि सभ ब्रम्ह्लुट
सावधान!! सावधान!! सावधान!!
भलेही तू नेता जो स्वार्थमें फुट
मुदा हम जनता अखनो अछी एकजुट
शाही तंत्र के हम जनता केलौं अंत
जुनी बुझिहें अपनाक बलबंत
जौं तिन महिनामें संविधान नै बनलौं
हेतौ ६०१ सभासद्क शर्मनाक अंत !!!

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट





स्नेह लगाक@प्रभात राय भट्ट


गजल:-

स्नेह लगाक किये मुह  मोईड लेने छि,
प्रीत जगाक दिलमे किये छोइड देने छि,
अंहि सिखेलौं हमरा यी प्रेमक परिभाषा,
जुनी बनू बेदर्दी पूरा करू हमर अभिलाषा,
उईड चलू प्रेम नगर मोनमें इक्षा जगल,
मिलनके प्यास बुझाब  हम येलु भागल,
प्रेम मे अहांक प्रियतम भेल छि हम बताह,
सभटा जनैतबुझैत अहां बनल छि घताह,
हम अहां बिनु जिब नए सकब सजनी,
जहर बियोगक पीव नए सकब सजनी,
हम देखैछि अहांके जेना चाँदके देखैय चकोर,
आऊ सजनी अन्हार जिन्गिमे कदीय ईजोर,
देखू रिमझिम रिमझिम बरशैय साबनके बदरा,
फुल अहां छि हम भंभरा,रसपान कराउ हमरा,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

रविवार, 19 जून 2011

हम दू:खिया दू:ख केंय मारल@प्रभात राय भट्ट

हम दू:खिया दू:ख केंय मारल@प्रभात राय भट्ट

हम दू:खिया दू:ख केंय मारल के पूछत हमर हाल,
केकरा स कहू के पतियाईत हमर बिप्तिक हालत,
अपने सुखमें आन्हर भेल अछि ऐठाम सभ नेहाल,
अपन हारल दुनियाके मारल भेल छि हम बेहाल,

दू:ख के सागर में अटकल अछि हमर जिनगीक  नैया,
विधाता भेल बेपक्ष बईमान मलाह  भेटल हमर खेबैया,
हम कोना उतरब पार बिधाता फसल छि बिच मजधार,
किछु नै सुझाइय किछु नै बुझाईय कोना हयात उद्धार,

दोस्त बनल दुश्मन अपन नाता गोता सेहो भेल पराया,
फूटल करम हमर जहिया स: कालचक्र के परल छाया,
हम निर्दोष सरस बोली बजैत अछि दिल स: साँच साँच,
दोषी कहिक धधरा में लगाबैय सभटा हमरा आंच,

सुईखगेल आईखक नोर कल्पी रहल अछि हमर ठोर,
करैय घाऊमें नुनदलन यी दुनिया भेल केहन कठोर,
जिनगी भेल पहार की दुनिया लगैय आब अन्हार,
अपनों आब मुह मोडैय जेना रही हम अनचिन्हार,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 17 जून 2011

माए अहाँ ऐइ जग में महान छि@प्रभात राय भट्ट

माए अहाँ ऐइ जग में महान छि,
हमरा लेल अहाँ एकटा भगवन छि,
नौ मास हमरा  गर्भ में रखलौं,
मृत्युक मुहमें जाक जन्म देलौं,
ब्यथा पीड़ा वेदना सभटा सहलौं,
हर्षित मोन स मलमूत्र सेहो केलों,
अमृत समान धुधपान करेलों,
जागी जागी अहाँ राईत बितेलौं,
आँचर स झापि गोद में सुतेलौं,
हम अबोध किछु नए बजलौं,
मोनक बात अहाँ सभटा बुझ्लौं,
हमर सुख में अहाँ कतेक दू:ख उठेलौं,
था था करी आँगुर पकरी चलब सिखेलौं,
माँ माँ बा बा बोलीक  बाजब सिखेलौं,
बत्सलनिश्छल प्रेम हमरा पैर लुटेलौं,
ममताक रूप भगवतिक स्वरुप,
माए हम इस्वर में देखैत छि अहींक रूप,
मंदिर मस्जिद सभठाम गेलौं,
मुदा अहाँ स बैढ़क ओ भगवन की ,
जईमें अहांक सूरत नै देख्लौं,
माए अहिं छि चारोतीरथ चारोधाम,
जन्म जन्मान्तर हम रटब अहींक नाम,
माए अहाँ ऐई जग में महान छि,
हमरा लेल एकटा भगवान छि,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 16 जून 2011

एकटा उड़नखटोला कक्का छै@प्रभात राय भट्ट



एकटा उड़नखटोला कक्का छै,
सकल्सुरत स भोलाभाला, 
मुदा एकनंबर उचका छै,
सत्य कहैत हुनका बड तित लगैय,
झूठ बोलैत बड मीठ लगैय,
भीतर स छैथ ओ बिलकुल खाली,
झूठमुठमें हैंस हैंस क मारैय ताली,
घरमें छथि दू दुगो घरवाली,
मुदा हुनका मोन परैय छोटकी साली,
धुवा धोती में लगाबैय टिनोपाल,
सिल्क कुरता पैर छीट लालेलाल,
कान्हा पैर रखैय मखमल के रुमाल,
अजब गजब छै हुनक चालढाल,
सुइत उईठ भोरे भोरे करैया मधुपान,
गप मारी मारी खाय पिबैय चायपान,
चाहे दिन भैर हुनका भेटे नै जलपान ,
मुदा सैद्खन मस्त रहैय करैमे धुम्रपान,
झुठमुठ क करैया ओ रोजगारी,
चौक चौराहा बैठ क मारैय पिहकारी,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 5 जून 2011

बाबुजी छैथ बड होसियार@प्रभात राय भट्ट

हमर बाबुजी छैथ  बड होसियार,
हुनका सन कियो नै बुधियार,
लेनदेनमें छैथ ओ बड माहिर ,
भला अर्थ स: संसार चलैय,
ई बातों छै जग जाहिर,
हम कहैछी बी.ए.एम्.ए.पढ़दीय,
बाबु कहैछैथ बस आब रहदीय,
आई.ए.पैढ़ लेलौ ई की कम अछि?
हम कोण पढ़ल लिखल ?
मुदा शिक्षा मंत्री बनल अछि,
पि.ए. स:सभटा काज कराबैछी,
साइनके जगह औठाछाप लगाबैछी,
काज करू एहन जैमे पाए नै लागे,
बैसल बैसल अपार धन सम्पति घर आबे,
बात हमर सुन बेट्टा,बन तहूँ हमरा सन नेता,
फेर देख जिन्दगी में चमत्कार भजेतौं,
हमरा संग संग तोरो उधार भजेतौं,
जो मंदिर,मस्जिद में आईग लग्बादे,
गिरजा घर,बौध गुम्बा पर डोजर चल्बादे
ई सब करिहे राईत के अन्हार में,
दू चाईर गो हिन्दू के गिरादीहे ईनारमें,
फेर देख हिन्दू मुस्लिम में लडाई भजेतई,
हमरा नेता सभक बड़का कमाई भजेतई,
भलेही मंदिर मस्जिद के आईग बुईझ जेतई,
मुदा धर्म मजहब केर आईग लागले रहतई,
अनेरो घुमैत रहिहे गामेगाम टोला टोला,
साथ वोकरे दिहे जेकर छै बोलबाला,
वोट बैंक बैढ़ जेतौं भजेबें तहूँ हमरा सन नेता,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट





गुरुवार, 2 जून 2011

एतेक चंचल तू किये@प्रभात राय भट्ट

एतेक चंचल तू किये
भेले रे मनमा,
भभर में हम फसल छि
तोहरे करनमा,
हमरा जे नै भावे 
ओतह करेछे  तू परिक्रमा ,
कह कोना हेतई
हमरो दिन सुदिनमा,
राईत दिन साझ सबेरे
रहैछे तू अपने फेरे,
निक बेजाई किछु नै सोचे
मस्त रहैछे तू अनेरे,
जालमे तोरा फसलछि
केने छे तू केहन काबू,
कियो जाईन नए सकल
रे मनमा तोहर जादू,
क जाईत छे तू एहन काम,
भ ज्यात छि हम बदनाम,
सूक्षम अतिसूक्षम रूप तोहर,
कियो देख नै सकैय तोरा,
निक काज में प्रसंसा
बेजाय में उलहन परे मोरा,
हम तारा स दूर दूर भागी,
मुदा साथ नए छोड़े तोहर छाया,
हमरा काया के भीतर,
पसरल छौ तोहर महामाया,
रे मनमा कोना हम समझाऊ,
तू हवा स तेज बुझाइतछें,
जते हम सम्झाबी तोरा,
ओत्बें तू बहकल जाईछें,
क्षण में महल माकन बनबैछे,
होस अबैत सभटा गिरबैछे,
कखनो राजा कखनो रंक,
कखनो जोगी कखनो भोगी,
हम तोहर की तू हमर ??

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट





मातृभाषा@प्रभात राय भट्ट

मिथिलावासी बोल बोलू मेची स: महाकाली,
हिंदी उर्दू इंग्लिस चाहे बोलू आऔर नेपाली,
मुदा सब स अनमोल रत्न अछि अपने मातृभाषा,
किया तुलल छि कर पैर मातृभाषा के दुर्दशा,
जन्म लैत कान स:सुनलौ मैथिलि स्वर मधुर,
मैथिलि स्वर मधुर सुनीक नाईच उठैय मयूर ,
सरस सरल ममता सा भरल अछि माएक बोली,
जेना आमक गाछी में कु कु कु कुह्कैय कोयली,
मथिली भाषा आ मिथिलाक जीवनशैली स:
उत्तपन भेल अछि मिथिलाक विराट संस्कृति,
मनमोहक आ मनोरम अछि मिथिलाक प्रकृति,
गंगा हिमालय कोशी गण्डकी के मध्य्भूमि,
हराभरा जंगल एतिहासिक नदी के संगम,
अछि प्रेम प्राग सुन्दर अनमोल अनुपम,
हिंदी उर्दू इंग्लिस बोली चाहे अओर बोलू नेपाली,
माए के माथक टिकुली अछि मैथिलि बोली,
टिकुली बिनु सुन्दर नै लागत माएक सृंगार,
अपने हाथे किये करैत छि माएके सृंगारक ऊजार,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट  

शनिवार, 21 मई 2011

सजना हमर मनमोहना@प्रभात राय भट्ट

हे ययो दुलरुवा सजना हमर मनमोहना,
अहाँ बिनु दिन राईत हम काटैछी कहुना,
बितल अषाढ़ एलई देखू सावन के महिना,
संगीसहेली सभक आबिगेलय प्रियतम पहुना,

मिलल नजैर अहाँ संग  हमर जहिया स:,
अहाँ बिनु दिल लगैया नए हमर तहियाँ स:,
बड़ मुश्किल स: हम दिन राईत काटैछी,
सद्खैन सजना अहाँक बाट तकैत छि,

टुनिया मुनिया चुटकुनिया के भेलई वियाह,
पुनिया ललमुनिया के द्वार  एलई बराती,
मुदा हम बनल छि संगी सभक सराती,
नीन्द स: उठी उठी गबैछी हम पराती,

यी सभ देखिक मोन कटैय हमर अहुरिया,
हम कहिया बनब अहाँक घर क बहुरिया,
हे ययो दुलरुवा सजना हमर मनमोहना,
अहाँ बिनु दिन राईत हम काटैछी कहुना,

एसगर राईतमें नुका नुका श्रृंगार करैछी,
लाल लाल चुनरी ओढ़ी हम पेटार करैछी,
मोने  मोन हम सोचलौ यी बेकार करैछी,
फेर अपने हाथे श्रृंगारक उज्जार करैछी,

हम तडपैछी जेना ज़ल बिनु तडपैय मीन,
जाईगजाईग प्रात: करैछी उडीगेल आईखक निन,
सजना निरमोहिया राखु हमर स्नेहक लाज ,
जल्दी स: लक आऊ बराती संग शाज बाज , 

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट




शुक्रवार, 20 मई 2011

मुह किया फुलौनेछी@प्रभात राय भट्ट

मुह किया फुलौनेछी नोर किया बहौनेछी,
किछ बाजु नए सजनी हमर प्राण प्रिया,
मोन कुह्कैया सजनी फटईय हमर हिया,
भूल करबै नए कहियो  देब  दगा प्रियतम,
अहाँक पबैला लेब हम  बेर हजार बेर जन्म,

संग देब अहाँ केर  जाधैर चलतै  हमर साँस,
अहूँ संग नए छोड़ब यी अछि हमर आस,
अहाँ छि अनमोल रत्न रखाब हम जतन,
अहिं पैर निछावर केनु प्रिया अपन तनमन,

अहाँक स्नेह स: मोनमे हमरा उमरल उमंग,
प्रेमक  डगैर पैर हम चलब अहाँक संग संग,
कियो तोईर नए सकैत अछि यी प्रेम बंधन,
आई नए त काईलह हेतई अपन प्रेम मिलन,

लाख बैरी हेतई दुनिया चाहे अओर जमाना,
प्रियतम जौं अहाँ संग दी त मिलजेतै ठेगाना ,
प्रेम स: उपजैय जिनगीमें रंगविरंगक बहार,
प्रेमक जे दुश्मन ओकर जिनगी अछि बेकार,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 10 मई 2011

हमारे देस की संबिधान@प्रभात राय भट्ट r

संबिधान की समयअब्धि 
 हो रही है अबसान,
अब कब बन पायेगी
 हमारे देस की संबिधान,
प्रचंड आया तांडब दिखाया,
जनता को खूब भ्रमाया,
जब तलक कुछ कर पता,
भला होता या बुरा होता ,
फस गए वेचारा अपनेही,
हाथों बुने हुए जाल में ,
हाथ आई लोटरी डूब गयी,
टुक्रे टुक्रे हुए सरे सपने,
छोड़ चले मात्रिका जो थे
उसके अपने,
बाबुराम किरण बैध भी
 क्या कम थे
कहदिए प्रचण्डको निक्मा,
वेचारे प्रचंड अक बक
 कुछ बोल न पाया ,
फिर एक नयी प्लान बनाया ,
उसमे भी जोर का झटका पाया,

सत्ता की कुर्सी पाने की लालच में 
कई सौदागर मौजूद थे,
गिरिजा बाबु की हाथ
 पड़े माधव के माथ,
 माधव की अतृप्त ईच्छा
 हुवा साकार,
बने एमाले की
मिलीजुली सरकार,
जनतामे एक नयी आस जगी,
झूठाही सही कुछ तो प्यास बुझी
माधव ने संबिधान बनाने की
 कसम उठाया,
झलनाथ और प्रचंडको ये बात 
रास न आया,
फस दिए उसके पैरों में जंजीर ,
तान दिए लक्ष्मण रेखा की लकीर,
प्रचंडने दिखाया अपना कारनामा,
माधव को देना पड़ा राजीनामा ,

तीर निशाने पर लग गयी,
मानो की झलनाथ की
झंझट टल गयी,
क्या होगा ईस देस का?
कब बनेगी संबिधान?
आनेवाली खतरा से
जनता है थर्कमान,
आक्रोशित हुए
देस की सारे जनता,
रेग्मी की हाथों पीट गई,
 झलनाथ जैसे राजनेता
झलनाथ को एक 
थपड क्या मारा,
रातो रात मिलगया ,
माओबादी का सहारा,

सत्ता की कुर्सी का
फिर से हुवा मारामारी   
झलनाथ ने कहदिया
अब वारी हैं हमारी,
जैसे की मानो उसकी
बपौती हैं सम्पति,
नहीं मिलने पर उसे,
 होगी बड़ी आपति,
जनताको तो सबोंने लुटा,
 एक वार तुम भी लुट्लो
भरलो अपनी माल खजाना,
पैसा भी पिट्लो,
संबिधान तो तुमसे भी
 न बन पायेगी,
क्यों की कीनर हो
तुम सारे के सारे,
बस हाय हाय करके
ताली बजाते रहो,
संबिधानसभा की
म्याद बढ़ाते रहों,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


शनिवार, 7 मई 2011

यात्रा@प्रभात राय भट्ट

मरलोउपरांत रहैय ओ आत्मा जीवंत,
जिनकर यात्रा होइत अछि अनन्त,
अनबरत चलैत रहू लक्ष्यक डगर पैर,
मिलय नए मंजिलक ठेगाना जाधैर,

पाछू कखनो घुईर नए ताकू,
डेग पैर डेग बढ़ाऊ आगू,
पाथैर कंकर पैर चल परत,
कांट क चुभन सहपरत,

भसकैय संगी सेहो साथ नएदिए,
एसगर जिनगी क यात्रामें चल पड़य,
रही रही मोनमें उठ्य जोर टिस,
जुनी कियो नए ताकत अहाँदिस,

भसकैय अपनों सम्बन्ध पराया,
साथ छोइड सकैय स्वस्थ काया,
मुदा टूटे  नए अटल विस्वास,
एक दिन बुझत मोनक प्यास,

भेटत अहांके अपन मंजिलके ठेगाना,
जिनगी अनंत यात्रा छै बुझत जमाना,
मरलोउपरांत रहैय ओ आत्मा जिवंत,
जिनकर यात्रा होइत अछि अनन्त,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट


गुरुवार, 5 मई 2011

की अछि हमार नाम@प्रभात राय भट्ट

जन्म लेलौं हम जतय सीता माए के अछि गाम,
म्या गै हमरा एतेक बतादे की अछि हमार नाम,
किया कहैय हमरा सीसी बोतल आर बिहारी धोती,
आफद भगेल ख्यामे हमरा अपने देशमें दू छाक रोटी,
अपने देश बुझाईय परदेश शासक बुझैय हमरा बिदेशी,
नए छौ तोहर कोनो नागरिक अधिकार तू भेले मधेसी,
भूख स मोन छटपट करैय भेटे नए किछु आहार,
दया धर्म इमान नए छै शासक के किया करैय तिरस्कार,
की यी हमर राष्ट्र नए अछि? या हम सुकुम्बासी थिक?

बौआ हमर नुनु ययौ कान खोइलक दुनु सुनु ययौ,
अहाँ थिक मधेशक धरतीपुत्र हम अहाँक मधेस माए,
निठुर शासक के हाथ बन्धकी परलछि देलौं सब्किछ गमाए,
तन मन धन सब लुट्लक आब करैय खून पसीना शोषण,
आशा केर दीप अहिं अछि हमर वीरपुत्र करू मधेस रोशन ,
मधेसमे जन्म लेली जे कियो फर्ज तेकरा निभाव परत ,
नेपाल स मधेस माए के मुक्त कराब परत ,
सुन्दर शांत स्वतंत्र एक मधेस एक परदेश बनाब परत,
मंगला स त भेटल नए आब छीन क लेब परत ,
लड़ पडत आजादी के लड़ाई देब परत बलिदान ,
तखने भेटत मान समानं आ बनत मधेस महान ,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट