बुधवार, 7 मार्च 2012

रंग जीवन के सरसता प्रदान करैत अछि

जीवन अऔर रंगक बिच अन्योन्याश्रित सम्बन्ध थिक ! दुनु के भीतर एक दोसरक अस्तित्व विधमान अछि ! रंग जीवन के सरसता प्रदान करैत अछि तं जीवन रंग कें जीवन्तता प्रदान करैत अछि !मनुखक जन्म संगही रंग के प्रति अनुराग उमड़ लगैत अछि ताहि सं जीवनक हरेक छन आर हरेक रंग एक दोसर में समागम अछि ! रंगक त्यौहार होली मिथिला, भारत ,नेपाल लगायत संसारक विभिन्न देस में अलग अलग रूप सं मनाएल जाईत अछि ! होली असत्य के ऊपर विजयक प्रतिक अछि ! एकरा लोक भाषा में होरी सब्द सं संबोधित कैलजायेत अछि ! होरी के शाब्दिक अर्थ सेहो अपने आप में बड महत्वपूर्ण अछ -"ह" के अर्थ आकाश "र"के अर्थ अग्नि या तेज होएत अछ "ओ"प्रणव अऔर 'ई"शक्ति के स्वरुप अछ तेह होरी= सम्पूर्ण ब्रह्मांड तेजपूर्ण हो ! प्रेमक पर्व होली हर्ष उलासक संग सभ गोटे मनाएल करी आ सद्भाव भाईचारा प्रेम समाज में बनाबी याह कमाना करैत सभ मित्रगन में हमर अशेष सुभकामना !!!
होली पर्वक अवसर पर हमरा दिस सं किछ विशेष उपहार अहाँ सभक लेल :-
गजल:- होली
रंग विरंगक रसरंग सं भौजी के रंगाएल चोली
रंग उडैए छै अवीर उडैए छै देखू आएल होली

होली के रंग में रंगाएल सभक एकही रूपरंग
दोस्ती के रंग में रंगाएल दुश्मन देखू आएल होली

प्रेम स्नेहक पावैन होली गाबैए गीत फगुआ टोली
रसरंग सरोवर भेल दुनिया देखू आएल होली

रंग में रंगाएल शरीर गाबैए गीत जोगी फकीर
गाबैए जोगीरा बजाबैए मृदंग देखू आएल होली

रंग उड़ाबैए रंगरसिया कियो उड़ाबैए अवीर
तन मोन सभक रंगाएल देखू आएल होली

......................वर्ण-२०.............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
गजल
आब कहिया तक रहतै, हमर मोन उदास यौ पिया
होलीमें गाम एबैय,तोड़ब नै हमर विस्वास यौ पिया
 
अहांक ईआद में तर्सल जिया,बरसल नैना सं नीर
बैषाखी बीत बरषलै सावन,बुझलै नै प्यास यो पिया

सुकसुकराती दियाबाती, बितगेल दष्मी दशहरा यौ
छैठो में गाम नै एलौं, तोड़ी देलौं मोनक हुलास यौ पिया
 
मोन भ S गेल आजित, कहिया भेटत अहाँक दुलार यौ
एबेर फागुमें अहाँ आएब,मोन में अछि आस यौ पिया 

जौं गाम नै आएब, हमर मुइलो मुह देख नै पाएब
फेर ककरा संग करब, प्रीतक भोग विलास यो पिया
...................वर्ण:-२१..............................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
गीत :-
गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया,आबिगेलई होली !!
अहि केर प्रेमक रंग स: रंगाएब हम अपन चोली !!
यी प्रेमक पाती में लिखरहल छि अपन अभिलाशाक बोली !!
अईबेर प्रभात भाईजी गाम अओता की नए पूछीरहल अछि फगुवा टोली !!
बौआ काका के दालान में बनिरहल अछि फगुवाक प्लान !!
चईल रहल छई चर्चा अहिके चाहे खेत होई या खलिहान !!
कनिया काकी कहै छथिन बौआ क देखला बहुते दिन भगेल !!
वित साल गाम आएल मुदा विना भेट केने चईल्गेल !!
अहाक संगी साथी सब एक मास पाहिले गाम आबिगेल्ल !!
अहाक ओझा २५ किल्लो क खसी आ भांगक पोटरी अहिलेल दगेल !!
 
गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया जुड़ाउ हमर हिया !!
पूवा पूरी सेहो खिलाएब ,घोईर घोईर पियाएब हम अहाक भंग !!
अहि केर हाथक रंग स: रंगाएब हम अपन अंग अंग !!
रंग गुलाल अवीर उडाएब हम दुनु संग संग !!

गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया,आबिगेलई होली
प्रेमक रंग स: तन मन रंगाएब एक दोसर के संग संग !!
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
 
होली मनाबू किछु हुर्दंग शेरक संग :-
१.होली में जकरा घर आएल सारी ओ भेल माला माल
सारी के चोली में रंग ढारी करे गोर गाल लाले लाल
जोगीरा सारा रा रा रा रा रा ..........................//२

२.भैयाक सारी रंग अवीर ल क चालली खेले लेल होली
सारी के रसरंग देखि बुढ्बो के मुह सं चूमा चूमा के बोली
जोगीरा सारा रा रा रा रा रा ..........................//२

३.बिच बाज़ार पारी जिका रम्कैय भैया के सारी
फगुवा टोली मरैय रंगक पिचकारी सारी के पछारी
जोगीरा सारा रा रा रा रा रा ..........................//२

४.होली में भैया पीब खजुरक तारी भेलाह मतंग
भौजी पीब दूध में घोरी भंग पडल बिच आँगन चितंग
जोगीरा सारा रा रा रा रा रा ..........................//२

५.पीब क भौजी भंग बिच आँगन पडल चितंग
भैया करे रासलीला छोटकी सारी के संग
जोगीरा सारा रा रा रा रा रा ..........................//२

६.होली के रसरंग सं उठल सारी के मोन में तरंग
सारी बनल आधा घरवाली सुतल बिच पलंग
जोगीरा सारा रा रा रा रा रा ..........................//२

७.भैया पीब तारी बिच बाज़ार पडल चितंग
भौजी खेले होली छोटका दियर जी के संग
जोगीरा सारा रा रा रा रा रा ..........................//२

८.दूर देस सं होली खेलS गाम एलाह हमर भैया
भौजी के चोली में रंग उझली भैया नाचे था था थैया
जोगीरा सारा रा रा रा रा रा ..........................//२
 

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