गीत:-
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२ मुखड़ा
कनिया हमर बड अलबेला
रोज रोज देखबैय नव खेला
हमरा बनौलक बादर
हमर कनिया बनल मदारी........
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि ...//२
आँगन में लगैय रोज मेला
देखैला कनियाक नव नव खेला
नागिन जिका नाच करेय
दैय सब कय नव नव गारी
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२
कनियाक चाही पलंग पर चाय
भानस भात सभटा करेय माए
सब कियो खैय रुखा सुखा
कनिया के चाही चैर पाँच गो तरकारी
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२
कनिया हमर हठा पठा
खैय छै एक नाद घठा
मीट मछली रोज चाही
ऊपर सं खुवा मलाई पुष्टकारी
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२
कनिया हमर बड बलवान
लगैय छै पठा पहलवान
अनेरे करेय छै रगरा झगरा
जौं कियो बाजल तं देय छै सभ के घीसारी
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२ मुखड़ा
कनिया हमर बड अलबेला
रोज रोज देखबैय नव खेला
हमरा बनौलक बादर
हमर कनिया बनल मदारी........
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि ...//२
आँगन में लगैय रोज मेला
देखैला कनियाक नव नव खेला
नागिन जिका नाच करेय
दैय सब कय नव नव गारी
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२
कनियाक चाही पलंग पर चाय
भानस भात सभटा करेय माए
सब कियो खैय रुखा सुखा
कनिया के चाही चैर पाँच गो तरकारी
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२
कनिया हमर हठा पठा
खैय छै एक नाद घठा
मीट मछली रोज चाही
ऊपर सं खुवा मलाई पुष्टकारी
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२
कनिया हमर बड बलवान
लगैय छै पठा पहलवान
अनेरे करेय छै रगरा झगरा
जौं कियो बाजल तं देय छै सभ के घीसारी
अप्पन हारल बहुक मारल
हम दै छि सभटा बिसारि //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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