शनिवार, 14 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट

               गजल

चन्दन  कें गाछ पर बसेरा होए छै सांप कें  
जेना कान्हा पर बौआ सबारी होए छै बाप कें

बड दुःख उठा बाप बौआ के पैघ बनाबै छै 
चोट लागैछै बौआ कें  दर्द होए छै बाप कें  

प्रेम स्नेह माया ममताक  पात्र थिक संतान
सैतान छै संतान भान कहाँ होए छै बाप कें

काहि काटी कें बाप बेट्टा पर जीन्गी लुट्बैय
आला आफिसर भS कS बेट्टा नै होए छै बाप कें

सांप कें कतबो दूध पियाबू डैस लै छै सांप
बाप मागै छै भीख बेट्टा कहाँ होए छै बाप कें
..............वर्ण:-१७ .................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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