मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

गजल

गजल
कनिया निक लगैय श्रृंगार कने सैज धैजके चलु
गला शोभैय हिरा हार कने चमैक चमैकके चलु

शोरह वसंतक जोवन लगैय हिमगिरी पहार
गोरी भगेल अहाँ से पियार कने सैट सैटके चलु

अहाँक रूपरंगक छाया में भSगेलैय लोक बीमार
चढ़ल छै कतेको कें बोखार कने हैट हैटके चलु

सोनपरी के देख दुनिया फेकी रहल छै मायाजाल
गोरी बड जालिम छै संसार कने बैच बैचके चलु

इन्द्रपरी गगन सं उतरी चलैय प्रभातक संग
देखैला लोक लागल बजार कने हैंस हैंसके चलू
............वर्ण-२०..................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

b