मंगलवार, 31 जनवरी 2017
रुबाई
रुबाई
१.याद अहाँक निन उडा लSगेल
स्नेह्क स्वपन से पीडा दSगेल
मन कहाँ छल विछ्डि अहाँ सँ
मुदा करम कपारे दगा दSगेल
२.अन्जाने मे कभी,कदम मत उठाया करो,
अजि,बेगाने डगर,सोच सम्झ चला करो !!
अपनो को पराया सम्झ,गैरो पे भरोसा ,
अजि,खुद से खुद को,ना झुठलाया करो !!
by:- प्रभात पुनम
रुबाई
३.बढैए मिथिला मैथिली कए मान !
जतए हुए विधापती केर बखान !!
मिथिलाक पर्चम गगन चुमए !
बढैेए जन जन कए स्वभिमान !!
४.हे सुरवीर सहिद तुझे कैसे और क्या करु मै अर्पण ।
करु माल्यअर्पण या खुदको तेरे राह पर करु समर्पण ।।
ब्यर्थ न जाने दु बलिदानि तेरा ऐसा कुछ तो करना है ।
साकार करु सपना तेरा फिर करु श्रद्धाञ्जली अर्पण ।।
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