शनिवार, 8 अक्तूबर 2011

मैंने कब कहा यह मातृभूमि  मेरा देश नहीं
मैंने कब कहा अमन चैन मेरा सन्देश नहीं
मैंने कब कहा हम मह्देशी का अपना देश नहीं 
मैंने कब कहा भाईचारा सदभाव मेरा उपदेश नहीं 

यह  प्यारा धरती है मेरा यह सारा गगन है मेरा 
यह निराला अमन है मेरा  यह  चमन है मेरा 
यह मिटटी का कणकण है मेरा यह वतन है मेरा
यह तो तनमन है मेरा यह श्रद्धा सुमन है मेरा

मैंने कब कहा मेरे मधेश माँ को कब्ज़ा करलो
मैंने कब कहा मेरे मधेश माँ की नाम बदलदो
मैंने कब कहा हम मधेशी का पहचान बदलदो
मैंने कब कहा हम पर गुलामी का लगाम लगादो

दर्द मेरे सीनेमें भी होती है जब मेरी माँ रोति है
तुने जुल्म बहुत ढाया है कदम कदमपे हमे रुलाया है
तेरे साम्राज्य की अब अंत है आजादी की पथ प्रसस्त है
हमारी अपनी भाषा भेष है हमारा अपना धरती मधेश है

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट




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