गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

तड्पी तडपि बांची रहलछी@प्रभात राय भट्ट

सजनी अहांक इयादमे कोना कोना हम जिबैछी //
प्रियम्बदा हमर कोना हेती पूर्वा पवन सं पुछैछी //
पात पात फुल फुल पैर अहांक नाम  लिखैछी //
प्रेम में अहांक पागल भेल सैद्खन हम रहैतछी //१
 
देख हमर इ हालत लोग मजनू हमरा बुझैय //
देख हमर इ तड़पन लोग बताह सेहो कहैय//
इयाद अहांक आबिते गोरी चिहैक उठैय करेज//
अहां बिनु निर्सल जिनगी आब नै होईय परहेज //२
 
घर घुईर आबू सजनी आब नै तडपाबू //
स्नेह के प्यासल मोनक हिया हमर जुडाबू//
वेकल तनमन हमर अहांक संग खोजैय//
अहां बिनु इ दुनिया सुनसान वीरान लगैय//३
 
मधुर मिलनके आशमें तड्पी तडपि बांची रहलछी // 
मुदा भीतर भीतर हम विरह भेल टुट्टीरहल छी //
कदम कदम पर ठेस लगैय कंकर कांट पइरमें चुभैय //
हिया हमर हारिगेल कतय कुनु खबर नै भेटैय //४
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट  

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